सूर्य षष्ठी (छठ पूजा)-29 अगस्त, 2025, शुक्रवार-1-🌅🙏🍲🎶✨☀️🌍

Started by Atul Kaviraje, August 30, 2025, 02:13:36 PM

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Atul Kaviraje

सूर्य षष्ठी-

सूर्य षष्ठी (छठ पूजा) पर एक विस्तृत और भक्तिपूर्ण लेख-

29 अगस्त, 2025, शुक्रवार

सूर्य षष्ठी, जिसे छठ पूजा के नाम से जाना जाता है, सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित एक महापर्व है। यह मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है और इसमें कठोर तपस्या, स्वच्छता और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। इस पर्व की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें अस्त होते और उगते, दोनों ही सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। यह जीवन चक्र के प्रतीक के रूप में माना जाता है। 🌅

1. छठ पूजा का महत्व और परिचय
छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक तरीका है। यह पर्व सूर्य देव की उपासना के माध्यम से हमें जीवन, ऊर्जा और प्रकाश देने के लिए उनका धन्यवाद करने का अवसर देता है।

अखंड आस्था: यह पर्व दर्शाता है कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयां क्यों न हों, हमें अपनी आस्था और विश्वास को नहीं छोड़ना चाहिए।

वैज्ञानिक आधार: छठ पूजा के दौरान नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। उगते सूर्य की किरणें कई बीमारियों को दूर करने में सहायक मानी जाती हैं।

सामाजिक समरसता: इस पर्व में जाति, धर्म, और अमीरी-गरीबी का कोई भेद नहीं होता। सभी लोग एक साथ मिलकर इस पर्व को मनाते हैं, जो सामाजिक एकता का प्रतीक है।

2. छठ पूजा के पीछे की पौराणिक कथाएँ
कई पौराणिक कथाएं छठ पूजा से जुड़ी हुई हैं, जो इसके महत्व को और भी बढ़ाती हैं।

राम और सीता की कहानी: एक मान्यता के अनुसार, रावण वध के बाद जब भगवान राम और सीता अयोध्या लौटे, तो उन्होंने सूर्य देव का व्रत रखा और छठ पूजा की।

कर्ण की कहानी: एक और मान्यता यह है कि सूर्यपुत्र कर्ण प्रतिदिन सूर्य की उपासना करते थे। सूर्य देव की कृपा से ही वे महान योद्धा बन पाए। ☀️

3. चार दिवसीय अनुष्ठान
छठ पूजा का पर्व चार दिनों तक चलता है, जिसमें हर दिन का अपना एक विशेष महत्व होता है।

पहला दिन - नहाय-खाय: इस दिन भक्त नदी या तालाब में स्नान करते हैं और शुद्ध सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। इस दिन विशेष रूप से लौकी की सब्जी और चावल बनाए जाते हैं। 🍲

दूसरा दिन - खरना: इस दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं और शाम को गुड़ और चावल से बनी खीर का प्रसाद ग्रहण करते हैं। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।

तीसरा दिन - संध्या अर्घ्य: इस दिन छठ का मुख्य अनुष्ठान होता है। व्रती और उनके परिवार के सदस्य नदी या तालाब के किनारे जाते हैं और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं।

चौथा दिन - उषा अर्घ्य: यह पर्व का अंतिम दिन होता है। इस दिन व्रती उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं और फिर व्रत का पारण करते हैं। 🌄

4. पूजा सामग्री और प्रसाद
छठ पूजा में कुछ विशेष सामग्रियों का उपयोग किया जाता है, जो इस पर्व की पहचान हैं।

बांस की टोकरी (सूप): इसमें प्रसाद और फल रखे जाते हैं।

ठेकुआ: यह गेहूं के आटे और गुड़ से बना एक पारंपरिक प्रसाद है, जो इस पर्व का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। 🍪

मौसमी फल: प्रसाद में केला, सेब, संतरा और अन्य मौसमी फल रखे जाते हैं। 🍏🍊

5. छठ पूजा में स्वच्छता का महत्व
छठ पूजा में स्वच्छता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

तन और मन की शुद्धि: यह पर्व न केवल शारीरिक स्वच्छता पर जोर देता है, बल्कि मानसिक और आत्मिक शुद्धि भी आवश्यक मानता है।

पर्यावरण संरक्षण: इस दौरान घाटों की सफाई की जाती है, जो पर्यावरण संरक्षण का एक संदेश देता है।

ईमोजी सारांश: 🌅🙏🍲🎶✨☀️🌍

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-29.08.2025-शुक्रवार.
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