ज्येष्ठा गौरी आवाहन: भक्तिपूर्ण लेख- आज, ३१ ऑगस्ट, रविवार-

Started by Atul Kaviraje, September 01, 2025, 02:30:21 PM

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Atul Kaviraje

ज्येष्ठा गौरी आवाहन-

ज्येष्ठा गौरी आवाहन: भक्तिपूर्ण लेख-

आज, ३१ ऑगस्ट, रविवार, ज्येष्ठा गौरी आवाहन का पावन पर्व है। यह दिन माँ गौरी की महिमा और शक्ति को समर्पित है। हर साल, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में, गणेश चतुर्थी के बाद तीन दिनों तक यह उत्सव मनाया जाता है। ये तीन दिन देवी गौरी को समर्पित हैं, जिन्हें माता लक्ष्मी का ही एक रूप माना जाता है।

इस त्योहार को महाराष्ट्र में विशेष रूप से मनाया जाता है। यहाँ घर-घर में माँ गौरी का स्वागत किया जाता है, उनकी पूजा की जाती है और उन्हें स्वादिष्ट पकवानों का भोग लगाया जाता है। यह पर्व परिवार, सुख-समृद्धि और एकता का प्रतीक है।

१. ज्येष्ठा गौरी आवाहन का महत्व * आध्यात्मिक महत्व: यह पर्व माँ गौरी के स्वागत का दिन है, जो घर में सुख, समृद्धि और सौभाग्य लाती हैं।
पारिवारिक महत्व: यह परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ लाता है, जिससे आपसी प्रेम और एकता बढ़ती है।

धार्मिक मान्यता: माना जाता है कि माँ गौरी की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उनके कष्ट दूर होते हैं।

२. उत्सव की तैयारी
सफाई और सजावट: इस दिन, घर को साफ किया जाता है और सुंदर रंगोली व फूलों से सजाया जाता है।

गौरी की प्रतिमा: मिट्टी या धातु से बनी गौरी की प्रतिमाओं को स्थापित किया जाता है। कई जगहों पर चेहरे पर मुखौटा लगाया जाता है और साड़ी पहनाई जाती है।

पूजा की सामग्री: पूजा के लिए नारियल, पान, सुपारी, फल और मिठाई जैसी सामग्री तैयार की जाती है।

३. पूजा विधि
आवाहन: सबसे पहले, कलश और गौरी की प्रतिमाओं का आवाहन किया जाता है, जिसमें उन्हें घर में प्रवेश करने के लिए आमंत्रित किया जाता है।

स्नान और श्रृंगार: प्रतिमाओं को स्नान कराकर नए वस्त्र और आभूषण पहनाए जाते हैं।

आरती और भोग: घी का दीपक जलाकर आरती की जाती है और उन्हें विभिन्न प्रकार के पकवानों का भोग लगाया जाता है।

४. पारंपरिक व्यंजन
पुरणपोळी: यह एक मीठी रोटी है जो गुड़ और दाल से बनती है।

अनरसा: चावल के आटे और गुड़ से बनी एक मीठी मिठाई।

करंजी: नारियल और गुड़ के मिश्रण से भरी हुई एक प्रकार की पेस्ट्री।

अन्य पकवान: इसके अलावा, पूड़ी, सब्जी, खीर और अन्य पारंपरिक व्यंजन भी बनाए जाते हैं।

५. त्योहार का संदेश
एकता और प्रेम: यह त्योहार परिवार के सदस्यों को एक साथ लाता है और आपसी प्रेम को बढ़ावा देता है।

प्रकृति का सम्मान: यह हमें प्रकृति का सम्मान करना सिखाता है, क्योंकि यह पर्व प्राकृतिक सामग्रियों से मनाया जाता है।

श्रद्धा और भक्ति: यह हमें ईश्वर के प्रति श्रद्धा और भक्ति का महत्व बताता है।

६. ज्येष्ठा गौरी और लक्ष्मी का संबंध
लक्ष्मी का रूप: ज्येष्ठा गौरी को माता लक्ष्मी का ही एक रूप माना जाता है, जो धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी हैं।

आशीर्वाद: माना जाता है कि गौरी की पूजा करने से लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है और घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती।

७. त्योहार की भावना
उत्साह और आनंद: यह त्योहार लोगों के बीच उत्साह और खुशी की भावना लाता है।

आशा और विश्वास: यह हमें जीवन में आशा और विश्वास बनाए रखने का संदेश देता है।

८. आधुनिकता का स्पर्श
ऑनलाइन पूजा: आजकल, लोग वीडियो कॉल के माध्यम से भी अपने परिवार के साथ मिलकर पूजा करते हैं।

सोशल मीडिया: सोशल मीडिया पर भी लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं और अपनी खुशियाँ साझा करते हैं।

९. त्योहार का समापन
विसर्जन: तीसरे दिन, गौरी की प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है।

आशीर्वाद: विसर्जन के समय, भक्त उनसे अगले साल फिर से आने का अनुरोध करते हैं।

१०. निष्कर्ष
ज्येष्ठा गौरी आवाहन सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक परंपरा है जो हमें हमारी संस्कृति और जड़ों से जोड़ती है। यह हमें परिवार के साथ मिलकर खुशी मनाने और ईश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने का अवसर देता है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-31.08.2025-रविवार.
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