ज्येष्ठ गौरी विसर्जन: भक्ति, परंपरा और आस्था का महापर्व-1-🌸🙏🔔🏡✨💖🎶

Started by Atul Kaviraje, September 03, 2025, 11:37:19 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

ज्येष्ठ गौरी विसर्जन-

ज्येष्ठ गौरी विसर्जन: भक्ति, परंपरा और आस्था का महापर्व-

दिनांक: 02 सितंबर, 2025, मंगलवार
यह तिथि, 02 सितंबर, 2025, मंगलवार, ज्येष्ठा गौरी विसर्जन के महापर्व का दिन है। यह दिन महाराष्ट्र और कुछ अन्य क्षेत्रों में विशेष भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है। गौरी, जो देवी पार्वती का ही एक रूप मानी जाती हैं, तीन दिनों के लिए अपने मायके आती हैं और तीसरे दिन विदाई लेती हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि परिवार के स्नेह और परंपराओं को सहेजने का भी एक सुंदर माध्यम है।

1. परिचय: ज्येष्ठ गौरी विसर्जन का अर्थ 🌸🙏
ज्येष्ठ गौरी विसर्जन, गौरी पूजा के तीन दिवसीय उत्सव का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन है। ज्येष्ठा नक्षत्र में होने वाली इस पूजा के कारण इसे यह नाम मिला है। 'विसर्जन' का अर्थ है 'विदाई' या 'प्रस्थान'। इस दिन, भक्त देवी गौरी की मूर्तियों या प्रतीकों को सम्मानपूर्वक विदाई देते हैं, इस विश्वास के साथ कि वे अगले वर्ष फिर से उनके घरों में आएंगी। यह पर्व गणपति उत्सव के बीच में आता है, जिससे वातावरण और भी अधिक भक्तिमय हो जाता है।

2. ज्येष्ठा गौरी का महत्व और स्वरूप ✨
देवी गौरी को शक्ति, सौभाग्य और मातृत्व का प्रतीक माना जाता है। इस पर्व में तीन देवियों की पूजा होती है, जिन्हें सामूहिक रूप से 'ज्येष्ठा गौरी' कहा जाता है। ये हैं:

ज्येष्ठा: धन, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की देवी।

कनिष्ठा: शुभता और सफलता प्रदान करने वाली।

ससुराल से आई माता: यह देवी के मायके आने का प्रतीकात्मक स्वरूप है, जो उन्हें और अधिक प्रिय बनाता है।

यह मान्यता है कि देवी गौरी अपने भक्तों के घर आकर उन्हें सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

3. तीन दिनों का पर्व: आह्वान से विसर्जन तक 🏡➡️🌸➡️🌊
यह पर्व तीन चरणों में संपन्न होता है:

अखंड 1: गौरी आह्वान (पहला दिन) 🔔: इस दिन गौरी माता का आह्वान किया जाता है। महिलाएं नदी या कुएं से जल लाती हैं, जिसे देवी का प्रतीकात्मक 'आगमन' माना जाता है। मिट्टी की मूर्तियों को या मुखौटों को स्थापित किया जाता है। घर को फूल और रंगोली से सजाया जाता है।

अखंड 2: गौरी पूजन (दूसरा दिन) 💖: यह पूजा का मुख्य दिन है। देवी को विशेष पकवानों, जैसे पूरनपोली, भाकरी और विभिन्न प्रकार की सब्जियों का भोग लगाया जाता है। परिवार के सभी सदस्य मिलकर पूजा-अर्चना करते हैं। यह दिन विशेष रूप से आनंद और उत्साह से भरा होता है।

अखंड 3: गौरी विसर्जन (तीसरा दिन) 😭➡️🙏: यह विदाई का दिन है। सुबह गौरी माता की आरती की जाती है और उन्हें अंतिम भोग लगाया जाता है। इसके बाद, भक्तिमय गीतों और जयकारों के साथ उनकी प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है। यह विदाई का क्षण बहुत भावुक होता है, जिसमें अगले वर्ष फिर से आने की कामना छिपी होती है।

4. विसर्जन की विधि और सामग्री 🏺🍇
विसर्जन की प्रक्रिया बहुत ही पारंपरिक और विधिपूर्वक होती है।

शोभा यात्रा: भक्त एक छोटी शोभा यात्रा निकालते हैं, जिसमें ढोल-ताशे, भक्ति गीत और जयकारे गूंजते हैं।

सामग्री: विसर्जन के लिए देवी को प्रसाद, फूल, अक्षत और हल्दी-कुंकुम अर्पित किए जाते हैं।

प्रतीकात्मकता: मूर्तियों को जल में विसर्जित किया जाता है, जो यह दर्शाता है कि देवी अपनी शक्ति और आशीर्वाद को प्रकृति के साथ मिला रही हैं, ताकि सृष्टि में सुख और शांति बनी रहे। यह 'पुनर्चक्रण' और 'प्रकृति के साथ एकीकरण' का प्रतीक भी है।

5. धार्मिक मान्यताएँ और लोक कथाएँ 📜
पौराणिक कथाओं के अनुसार, गौरी माता अपने मायके (धरती) आती हैं, जिससे उनके भक्तों को उनसे सीधे जुड़ने का अवसर मिलता है। कुछ कथाओं में यह भी कहा गया है कि देवी पार्वती ने गौरी रूप में आकर राक्षसों का वध किया था, इसलिए उनकी पूजा शक्ति और साहस का प्रतीक है। यह पर्व विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि वे अपने पति और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए गौरी व्रत रखती हैं।

Emoji सारंश:
🌸🙏🔔🏡✨💖🎶👩�👩�👧�👦💧➡️😭➡️😊➡️🙏💖

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-02.09.2025-मंगळवार.
===========================================