परिवर्तिनी एकादशी-एकादशी की कविता-

Started by Atul Kaviraje, September 04, 2025, 02:11:52 PM

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Atul Kaviraje

परिवर्तिनी एकादशी-

परिवर्तिनी एकादशी: एक भक्तिपूर्ण विवेचन-

एकादशी की कविता-

1.
आज एकादशी है, मन में भक्ति की लहर है,
श्रीहरि का नाम जपो, यही सबसे बड़ा अवसर है।
वामन देव आए, बलि का अहंकार तोड़ा,
भक्तों के दुःख हरने का, उन्होंने संकल्प जोड़ा।
अर्थ: आज एकादशी का दिन है, मन में भक्ति की भावना उमड़ रही है। भगवान विष्णु का नाम जपना ही सबसे बड़ा मौका है। वामन देव ने आकर बलि का घमंड तोड़ा और भक्तों के दुखों को दूर करने का संकल्प लिया।

2.
पावन ये तिथि है, पापों का नाश होता,
हरि के चरणों में, हर प्राणी मोक्ष पाता।
दान करो, धर्म करो, मन को निर्मल बनाओ,
परिवर्तिनी एकादशी का, सब मिलकर गुण गाओ।
अर्थ: यह तिथि पवित्र है, जिस पर पापों का नाश होता है। भगवान के चरणों में सभी प्राणी मोक्ष प्राप्त करते हैं। हमें दान और धर्म करके अपने मन को शुद्ध बनाना चाहिए और सभी को मिलकर परिवर्तिनी एकादशी का गुणगान करना चाहिए।

3.
तुलसी और पुष्प से, करो हरि का सम्मान,
कथा सुनो, व्रत रखो, यही है सच्ची पहचान।
जलझूलनी एकादशी, पालकी सजी है आज,
भक्ति के सागर में, डूबा है सारा समाज।
अर्थ: तुलसी और फूलों से भगवान विष्णु का आदर करो। कथा सुनना और व्रत रखना ही सच्ची पहचान है। आज जलझूलनी एकादशी है, पालकी सजी है और सारा समाज भक्ति के सागर में डूबा है।

4.
संसार के दुख दूर हो, मिले सुख और शांति,
करुणा और प्रेम से, जीवन में आए क्रांति।
यह व्रत हमें सिखाए, त्याग और संयम का पाठ,
परमात्मा से जुड़ने का, यही है सच्चा मार्ग।
अर्थ: इस व्रत से संसार के दुख दूर होते हैं और सुख-शांति मिलती है। प्रेम और करुणा से जीवन में बदलाव आता है। यह व्रत हमें त्याग और संयम सिखाता है और परमात्मा से जुड़ने का सच्चा मार्ग दिखाता है।

--अतुल परब
--दिनांक-03.09.2025-बुधवार.
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