दादाभाई नौरोजी: भारत के 'वृद्ध पितामह' - एक दूरदर्शी शिल्पकार 🇮🇳👴📚💰-1-✊🌍💡

Started by Atul Kaviraje, September 05, 2025, 02:53:30 PM

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Atul Kaviraje

दादाभाई नौरोजी: भारत के 'वृद्ध पितामह' - एक दूरदर्शी शिल्पकार 🇮🇳👴📚💰-

जन्म: 4 सितंबर 1825

आज 4 सितंबर, 1825 को जन्मे दादाभाई नौरोजी जैसे महान व्यक्तित्व को हम आदरपूर्वक स्मरण कर रहे हैं। उन्हें 'ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया' (Grand Old Man of India) के नाम से जाना जाता है। वे केवल एक राजनेता ही नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी शिक्षाविद् और समर्पित समाज सुधारक भी थे। उनके जीवन और कार्यों ने भारतीय राष्ट्रवाद के उदय में एक नया अध्याय शुरू किया। ब्रिटिश शासन के दौरान भारत के आर्थिक शोषण पर उनका 'ड्रेन सिद्धांत' (Drain Theory) विश्लेषण आज भी महत्वपूर्ण है।

1. प्रस्तावना: एक महान दूरदृष्टि का परिचय 🧐
दादाभाई नौरोजी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक अग्रगण्य नेता थे। उनका जीवन भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने और समाज को प्रगति के मार्ग पर ले जाने के अथक प्रयासों से भरा था। उनके कार्य का विस्तार बहुत बड़ा था - शिक्षा से लेकर राजनीति तक, समाज सुधार से लेकर आर्थिक विश्लेषण तक। उनके विचार और कार्य आज भी हमारे लिए प्रेरणादायक हैं।

2. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा: ज्ञानार्जन की नींव 📖
दादाभाई नौरोजी का जन्म 4 सितंबर 1825 को महाराष्ट्र के मुंबई में एक पारसी परिवार में हुआ था। उनका बचपन और प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में ही हुई।

शिक्षा: उन्होंने मुंबई के एलफिन्स्टन कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। वे अत्यंत मेधावी छात्र थे और उन्होंने गणित में विशेष प्रवीणता प्राप्त की थी।

पहले भारतीय प्रोफेसर: 1850 में वे एलफिन्स्टन कॉलेज में गणित और दर्शनशास्त्र के पहले भारतीय प्रोफेसर बने। यह उस समय की एक बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि भारतीयों को उच्च पदों पर नियुक्त नहीं किया जाता था। 🎓

3. भारत में राजनीतिक और सामाजिक सक्रियता: समाज सुधार की ज्योति ✨
शिक्षा क्षेत्र में काम करते हुए ही दादाभाई नौरोजी ने समाज सुधार और राजनीतिक जागृति के महत्व को पहचाना।

ज्ञान प्रसारक मंडली (1850): उन्होंने ज्ञान प्रसारक मंडली की स्थापना की, जिसका उद्देश्य सामान्य लोगों के लिए ज्ञान और शिक्षा उपलब्ध कराना था।

सामाजिक सुधार: उन्होंने महिलाओं की शिक्षा के लिए, बाल विवाह और सती प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई। उनका मानना था कि सामाजिक सुधारों के बिना राजनीतिक स्वतंत्रता अर्थहीन है।

स्थानीय राजनीति: उन्होंने मुंबई नगर पालिका में और बॉम्बे लेजिस्लेटिव्ह कौंसिल में काम किया, जहाँ उन्होंने भारतीयों के हितों के प्रश्न उठाए।

4. इंग्लैंड की यात्रा और 'ड्रेन सिद्धांत': शोषण का खुला रहस्य 💰🇬🇧
1855 में दादाभाई नौरोजी व्यापार के लिए इंग्लैंड गए। वहाँ उन्होंने भारतीयों को अंग्रेजों द्वारा कैसे लूटा जा रहा है, इसका अध्ययन किया।

व्यापारी के रूप में: वे कम्मा एंड कंपनी के भागीदार बने, जो इंग्लैंड में स्थापित होने वाली पहली भारतीय व्यापारिक फर्म थी।

ब्रिटिश शोषण का विश्लेषण: इंग्लैंड में रहते हुए उन्होंने ब्रिटिश शासन के भारत पर पड़ने वाले आर्थिक परिणामों को करीब से देखा।

'ड्रेन सिद्धांत': उन्होंने 'पॉवर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया' (Poverty and Un-British Rule in India) नामक पुस्तक में 'ड्रेन सिद्धांत' प्रस्तुत किया। इस सिद्धांत के अनुसार, ब्रिटिश सरकार कई तरीकों से भारत की संपत्ति (जैसे कर, वेतन, वस्तुएँ) इंग्लैंड ले जा रही थी, जिससे भारत गरीब हो रहा था। 💸

उदाहरण: ब्रिटिश अधिकारियों, सैनिकों और कर्मचारियों के वेतन, पेंशन, इंग्लैंड में प्रशासनिक खर्च और भारत से लिए गए ऋणों पर ब्याज - ये सभी भारत की संपत्ति का 'ड्रेन' थे।

5. ब्रिटेन में राजनीतिक करियर: संसद में भारत की आवाज 🗣�
दादाभाई नौरोजी ने ब्रिटेन में भी सक्रिय राजनीति की, जो भारतीयों के लिए एक बड़ी सफलता थी।

पहले एशियाई सांसद: 1892 में वे ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स में फिन्सबरी सेंट्रल से पहले भारतीय (एशियाई) सांसद के रूप में चुने गए। 🇬🇧🏛�

भारतीय अधिकारों के समर्थक: संसद में उन्होंने भारत के मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाया, भारतीयों को नौकरियों में समान अवसर दिलाने और उन पर हो रहे अन्याय का विरोध किया।

Emoji Saransh: 🇮🇳👴📚💰🇬🇧 parliament 📣 Swaraj ✊🌍💡✨❤️🙏

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-04.09.2025-गुरुवार.
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