गुलाब महाराज पुण्यतिथी: संत परंपरा और भक्ति का महासागर- गुलाब महाराज की महिमा-

Started by Atul Kaviraje, September 05, 2025, 03:27:28 PM

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Atul Kaviraje

गुलाब महाराज पुण्यतिथी-माठण, अमरावती-

गुलाब महाराज पुण्यतिथी: संत परंपरा और भक्ति का महासागर-

गुलाब महाराज की महिमा-

चरण 1:
माठण की धरती, पावन है आज,
गुलाब महाराज की यादों का साज।
भक्ति का सागर, उमड़ रहा है,
हर मन में श्रद्धा का प्रकाश जल रहा है।

अर्थ: अमरावती के माठण गाँव की धरती आज पवित्र हो गई है, जहाँ गुलाब महाराज की यादें गूंज रही हैं। यहाँ भक्ति का सागर उमड़ रहा है और हर भक्त के मन में श्रद्धा का प्रकाश जगमगा रहा है। ✨

चरण 2:
साधना का मार्ग, उन्होंने दिखाया,
सरलता से प्रभु को पाना सिखाया।
कर्मकांड नहीं, प्रेम ही है राह,
हर दिल में यही संदेश समाया।

अर्थ: संत गुलाब महाराज ने हमें साधना का मार्ग दिखाया और यह सिखाया कि प्रेम और सरलता से भगवान को पाया जा सकता है। उन्होंने यह संदेश दिया कि जटिल कर्मकांडों की बजाय, सच्चा प्रेम ही ईश्वर तक पहुँचने का एकमात्र रास्ता है। ❤️

चरण 3:
अखंड हरिनाम, कीर्तन की धुन,
वातावरण में है भक्ति की गूँज।
मन की शुद्धि, आत्मा की शांति,
आनंद का यह अनुभव अद्भुत।

अर्थ: अखंड हरिनाम और कीर्तन की धुन से वातावरण पूरी तरह से भक्तिमय हो गया है। इन भजनों से मन की शुद्धि होती है, आत्मा को शांति मिलती है और एक अद्भुत आनंद का अनुभव होता है। 🎶

चरण 4:
महाप्रसाद की है महिमा निराली,
जाति-धर्म की दीवार हटाई।
एक साथ बैठे हैं सब, प्रेम से,
समानता की यह अलख जगाई।

अर्थ: महाप्रसाद की महिमा विशेष है, जहाँ सभी लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ बैठकर भोजन करते हैं। यह आयोजन समानता और भाईचारे का संदेश देता है और समाज में एकता को बढ़ाता है। 🍚

चरण 5:
युवा पीढ़ी भी संग में है चलती,
अपनी जड़ों से यह जुड़ी रहती।
संस्कृति का यह दीपक जलता,
ज्ञान की यह रोशनी है फैलती।

अर्थ: आज की युवा पीढ़ी भी इस उत्सव में बढ़-चढ़कर भाग लेती है, जो यह सुनिश्चित करता है कि हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराएँ जीवित रहेंगी। यह उत्सव हमारी संस्कृति का दीपक जलाता है और ज्ञान की रोशनी फैलाता है। 🌟

चरण 6:
नंगे पाँव चलकर आते हैं भक्त,
मन में बस एक ही है भक्ति का रक्त।
दुःख और पीड़ा सब भूल जाते,
जब संत के चरणों में माथा झुकाते।

अर्थ: कई भक्त अपनी अटूट श्रद्धा प्रकट करने के लिए नंगे पाँव चलकर आते हैं। वे अपने सभी दुःख-दर्द भूल जाते हैं जब संत गुलाब महाराज के चरणों में अपना सिर झुकाते हैं। 👣

चरण 7:
पुण्यतिथी का यह है भव्य समापन,
आरती, प्रार्थना, और आत्म-समर्पण।
सुख-शांति का आशीष माँगे,
गुलाब महाराज की कृपा सदा रहे।

अर्थ: पुण्यतिथी का समापन एक भव्य आरती, प्रार्थना और आत्म-समर्पण के साथ होता है। सभी भक्त सुख और शांति के लिए संत से आशीर्वाद मांगते हैं और प्रार्थना करते हैं कि उनकी कृपा हमेशा बनी रहे। 🙏

🙏 सारंश: श्रद्धा, भक्ति, त्याग, एकता, शांति, प्रेरणा, उत्सव, ज्ञान, प्रेम, joy! 🙏

--अतुल परब
--दिनांक-04.09.2025-गुरुवार.
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