दधिदान: भक्ति, समर्पण और प्रेम का उत्सव- दधिदान का उत्सव-

Started by Atul Kaviraje, September 05, 2025, 03:28:49 PM

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Atul Kaviraje

दधिदान-

दधिदान: भक्ति, समर्पण और प्रेम का उत्सव-

दधिदान का उत्सव-

चरण 1:
दधिदान का पर्व है आया,
गोपाल की लीलाओं को है लाया।
हर घर में आज खुशी है छाई,
भक्ति की गंगा है बह आई।

अर्थ: दधिदान का यह पर्व आया है, जो भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं की याद दिलाता है। आज हर घर में खुशी है और भक्ति की एक पवित्र धारा बह रही है। 🎉

चरण 2:
मटकी सजी है, ऊँची लटकी,
फोड़ने को तैयार है हर कोई।
युवाओं की टोली, पिरामिड बनाती,
एकता की यह तस्वीर दिखाती।

अर्थ: दही की मटकी को ऊँचाई पर सजाकर लटकाया गया है, जिसे तोड़ने के लिए हर कोई उत्साहित है। युवाओं का समूह मिलकर एक मानव पिरामिड बनाता है, जो उनकी एकता और टीमवर्क को दर्शाता है। 🤝

चरण 3:
कृष्ण की याद में, नाचते-गाते,
भक्ति के रंग में सब डूब जाते।
ढोल-नगाड़ों की गूँज है प्यारी,
हर चेहरा है खुशियों से भरा।

अर्थ: भगवान कृष्ण की याद में सभी भक्त नाचते-गाते हैं और भक्ति के रंग में पूरी तरह से डूब जाते हैं। ढोल-नगाड़ों की मधुर ध्वनि से माहौल और भी आनंदमय हो जाता है और हर चेहरे पर खुशी दिखाई देती है। 🎶

चरण 4:
दही का प्रसाद, सब में बँटा,
भेदभाव की दीवार है टूटी।
सब एक हैं, सब एक समान,
यही है इस पर्व का असली मान।

अर्थ: मटकी तोड़ने के बाद दही का प्रसाद सभी लोगों में बांटा जाता है, जिससे सभी तरह के भेदभाव खत्म हो जाते हैं। यह पर्व हमें सिखाता है कि हम सब एक हैं और एक समान हैं। 🍚

चरण 5:
गोपियों का वेश, महिलाएँ पहनें,
कृष्ण के प्रेम गीत वे गाएं।
राधा-कृष्ण की कहानी सुनाएं,
भक्ति का अद्भुत भाव जगाएं।

अर्थ: महिलाएँ गोपियों का वेश धारण कर कृष्ण और राधा के प्रेम गीत गाती हैं। वे उनकी कहानियाँ सुनाती हैं और सभी के मन में एक अद्भुत भक्ति का भाव जगाती हैं। 💃

चरण 6:
साधु-संत भी यहाँ हैं आते,
भक्ति की गंगा में गोते लगाते।
अपने प्रवचनों से ज्ञान बाँटें,
सच्चे जीवन का राह दिखाते।

अर्थ: साधु-संत भी इस उत्सव में आते हैं और अपनी भक्ति में डूब जाते हैं। वे अपने प्रवचनों से भक्तों को ज्ञान देते हैं और उन्हें सही जीवन जीने का रास्ता दिखाते हैं। 🧠

चरण 7:
दधिदान का पर्व है समाप्त,
आरती से होता है इसका अंत।
सुख-शांति का आशीष माँगें,
भगवान की कृपा सदा रहे।

अर्थ: दधिदान का पर्व भगवान की आरती के साथ समाप्त होता है। इस अवसर पर सभी भक्त भगवान से सुख और शांति का आशीर्वाद मांगते हैं और प्रार्थना करते हैं कि उनकी कृपा हमेशा बनी रहे। 🙏

🙏 सारंश: भक्ति, प्रेम, समर्पण, आनंद, एकता, भाईचारा, उत्सव, परंपरा, joy! 🙏
 
--अतुल परब
--दिनांक-04.09.2025-गुरुवार.
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