क्षीरव्रत: आध्यात्मिक शुद्धि और समर्पण का पर्व- क्षीरव्रत की महिमा-

Started by Atul Kaviraje, September 05, 2025, 03:29:25 PM

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Atul Kaviraje

क्षीरव्रत-

क्षीरव्रत: आध्यात्मिक शुद्धि और समर्पण का पर्व-

क्षीरव्रत की महिमा-

चरण 1:
क्षीरव्रत का पर्व है आया,
हर मन में भक्ति का भाव समाया।
सांसारिक मोह को छोड़,
आत्मा को शुद्ध करने का यह है योग।

अर्थ: क्षीरव्रत का पर्व आ गया है और हर भक्त के मन में भक्ति का भाव समाया हुआ है। यह व्रत सांसारिक मोह को छोड़कर अपनी आत्मा को शुद्ध करने का एक योग है। 🧘�♂️

चरण 2:
दूध की धार, पवित्र और निर्मल,
मन को शांत करे, आत्मा को शीतल।
विष्णु-लक्ष्मी का है इसमें वास,
हर कण में है उनका प्रकाश।

अर्थ: दूध की धारा पवित्र और निर्मल होती है, जो मन को शांत और आत्मा को शीतल करती है। दूध में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का वास होता है, और इसके हर कण में उनका प्रकाश है। 🥛

चरण 3:
व्रत का यह नियम, सात्विक जीवन,
शांत रहे मन, पवित्र रहे तन।
किसी भी तामसिकता से रहे दूर,
यही है इस व्रत का सच्चा नूर।

अर्थ: इस व्रत का नियम सात्विक जीवन जीना है, जिससे मन शांत और शरीर पवित्र रहता है। किसी भी तरह की तामसिकता से दूर रहना ही इस व्रत का सच्चा प्रकाश है। ✨

चरण 4:
मंत्रों का जाप, सुबह और शाम,
भगवान का करते हैं गुणगान।
हरिनाम की गूँज, मन में समाई,
सभी बुराइयाँ दूर हैं हो गईं।

अर्थ: सुबह और शाम को मंत्रों का जाप करके भक्त भगवान का गुणगान करते हैं। हरिनाम की गूंज मन में समा जाती है और सभी बुराइयाँ दूर हो जाती हैं। 🙏

चरण 5:
फूलों से सजा है पूजा का थाल,
आरती की ज्योत है जगमगाती।
शंख की ध्वनि, मन को है भाती,
आध्यात्मिक ऊर्जा है बरसाती।

अर्थ: पूजा का थाल फूलों से सजा हुआ है और आरती की ज्योत जगमगा रही है। शंख की ध्वनि मन को बहुत सुकून देती है और यह एक आध्यात्मिक ऊर्जा की वर्षा करती है। 🌸🐚

चरण 6:
व्रती की निष्ठा है, अटूट और गहरी,
भगवान की कृपा है उन पर पूरी।
कठिन राह पर भी वो चले हैं,
सत्य और धर्म पर ही अडिग रहें।

अर्थ: व्रत करने वाले की निष्ठा बहुत गहरी और अटूट होती है और उन पर भगवान की पूरी कृपा रहती है। वे भले ही कठिन रास्ते पर चलें, लेकिन सत्य और धर्म पर हमेशा अटल रहते हैं। 💪

चरण 7:
व्रत का समापन, प्रसाद है बांटे,
खुशियों का दीप हर दिल में जलाते।
सुख, शांति और समृद्धि की कामना,
क्षीरव्रत की यह है सच्ची भावना।

अर्थ: व्रत का समापन प्रसाद बांटकर होता है, जिससे हर दिल में खुशियों का दीपक जल उठता है। सुख, शांति और समृद्धि की कामना ही क्षीरव्रत की सच्ची भावना है। 😊

🙏 सारंश: पवित्रता, शांति, भक्ति, समर्पण, ज्ञान, स्वास्थ्य, joy! 🙏

--अतुल परब
--दिनांक-04.09.2025-गुरुवार.
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