राजनीतिक ध्रुवीकरण और समाज पर इसका प्रभाव- ध्रुवीकरण का खेल-

Started by Atul Kaviraje, September 05, 2025, 03:30:55 PM

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Atul Kaviraje

राजनीतिक ध्रुवीकरण और समाज पर इसका प्रभाव-

ध्रुवीकरण का खेल-

चरण 1:
राजनीति का ध्रुवीकरण, गहरा है खेल,
समाज को बाँटे, ना हो कोई मेल।
एक इधर खींचे, एक उधर जाए,
बीच का रास्ता कहीं ना मिल पाए।

अर्थ: राजनीति का ध्रुवीकरण एक गहरा खेल है जो समाज को बाँट देता है। एक समूह एक तरफ खींचता है, तो दूसरा दूसरी तरफ, जिससे बीच का कोई रास्ता नहीं बचता। ↔️

चरण 2:
मीडिया की चाल, झूठ का है शोर,
सही-गलत की समझ जाए कहीं और।
जो हमारी सुने, वही है सच्चा,
बाकी सब है झूठा, बच्चा-बच्चा।

अर्थ: मीडिया की चालें और झूठ का शोर इतना है कि सही-गलत की समझ ही नहीं रहती। लोग केवल उन्हीं बातों को सच मानते हैं जो उनके विचारों से मेल खाती हैं। 🤥

चरण 3:
परिवार में भी दीवारें खड़ी,
मित्रता भी अब है कहाँ की खरी।
जब विचार ना मिलें, तो बात क्या करें,
संबंधों में भी अब दरारें पड़ें।

अर्थ: ध्रुवीकरण से परिवारों में भी दीवारें खड़ी हो गई हैं और सच्ची दोस्ती भी खत्म हो रही है। जब विचार नहीं मिलते तो लोग एक-दूसरे से बात करना बंद कर देते हैं, जिससे रिश्तों में दरारें आ जाती हैं। 💔

चरण 4:
लोकतंत्र का यह बड़ा है संकट,
समाधान की राह में है अड़चन।
जब सब अपने-अपने धुन में रहें,
तो देश के लिए कौन निर्णय लें।

अर्थ: यह ध्रुवीकरण लोकतंत्र के लिए एक बड़ा संकट है। जब सभी लोग केवल अपने विचारों को ही महत्व देते हैं, तो देश के लिए सही निर्णय लेना मुश्किल हो जाता है। 🏛�

चरण 5:
आर्थिक विषमता, क्रोध को बढ़ाए,
राजनीतिक दल इसका फायदा उठाए।
गरीबी और अमीरी का फासला गहराए,
और लोग अपने ही लोगों से झगड़े।

अर्थ: जब समाज में आर्थिक असमानता बढ़ती है, तो लोग क्रोधित होते हैं, और राजनीतिक दल इस स्थिति का फायदा उठाकर लोगों को आपस में लड़वाते हैं। 💰

चरण 6:
शिक्षा भी अब पक्षपात से भरी,
ज्ञान की प्यास है अधूरी।
जो सच बताए, उसे झूठा कहते,
जो झूठ दिखाए, उसे सच मानते।

अर्थ: ध्रुवीकरण के कारण शिक्षा भी पक्षपात से भर गई है। लोग केवल वही ज्ञान लेते हैं जो उनके विचारों का समर्थन करता है, जिससे वे सही ज्ञान से वंचित रह जाते हैं। 🧠

चरण 7:
चलो मिलकर एक नई राह बनाएँ,
संवाद से दिलों को फिर से जोड़ें।
मतभेद हो, पर मनभेद ना हो,
यही है हमारे देश की सच्ची चाह।

अर्थ: आइए हम सब मिलकर एक नई राह बनाएं और संवाद से दिलों को फिर से जोड़ें। भले ही हमारे विचारों में मतभेद हों, लेकिन हमारे मन में एक-दूसरे के प्रति नफरत नहीं होनी चाहिए। यही हमारे देश की सच्ची इच्छा है। 🤝

🙏 सारंश: विभाजन, असहिष्णुता, संवादहीनता, गुस्सा, नफरत, एकता, समाधान। 🙏

--अतुल परब
--दिनांक-04.09.2025-गुरुवार.
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