वामन जयंती: हिंदी लेख- , गुरुवार, ४ सितंबर-

Started by Atul Kaviraje, September 05, 2025, 04:09:42 PM

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Atul Kaviraje

वामन जयंती: हिंदी लेख-

आज, गुरुवार, ४ सितंबर, को वामन जयंती का पावन पर्व मनाया जा रहा है। यह दिन भगवान विष्णु के पांचवें अवतार को समर्पित है। इस दिन, भगवान विष्णु ने वामन रूप में जन्म लिया था और राजा बलि को तीन पग भूमि का दान करने के लिए कहा था। यह पर्व हमें विनम्रता, भक्ति, और दान के महत्व का स्मरण कराता है। 💖🙏

१० प्रमुख बिंदु: वामन जयंती का महत्व और कथा
१. वामन अवतार की कथा:

भगवान विष्णु ने सतयुग में वामन रूप में जन्म लिया था।

वे महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी अदिति के पुत्र थे।

वामन अवतार बौने ब्राह्मण के रूप में प्रकट हुए।

२. राजा बलि और उनका साम्राज्य:

राजा बलि एक शक्तिशाली और दानी राजा थे, परंतु उन्हें अपनी शक्ति का घमंड था।

बलि ने अपनी तपस्या और शक्ति से इंद्र देव को हराकर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया।

देव और ऋषि-मुनि भयभीत होकर भगवान विष्णु से सहायता मांगने गए।

३. वामन का आगमन:

वामन बौने के रूप में राजा बलि के यज्ञ स्थल पर पहुँचे।

वामन ने अत्यंत विनम्रता से राजा बलि से तीन पग भूमि का दान मांगा।

४. शुक्राचार्य का इशारा:

राजा बलि के गुरु शुक्राचार्य ने वामन को पहचान लिया।

शुक्राचार्य ने राजा बलि को दान का वचन न देने की चेतावनी दी।

परंतु, अपने घमंड के कारण राजा बलि ने गुरु की बात नहीं मानी।

५. तीन पगों का दान:

राजा बलि ने वामन को तीन पग भूमि देने का वचन दिया।

वामन ने अपना रूप बढ़ाया और विराट स्वरूप धारण किया।

एक पग से पृथ्वी और दूसरे पग से स्वर्ग को नापा।

६. तीसरा पग:

तीसरे पग के लिए कोई स्थान नहीं बचा।

राजा बलि ने अपना वचन निभाने के लिए अपना मस्तक वामन के चरणों में रख दिया।

वामन ने तीसरा पग राजा के मस्तक पर रखकर उन्हें पाताल लोक भेज दिया।

७. दान और भक्ति का महत्व:

यह कथा दान और भक्ति का महत्व सिखाती है।

राजा बलि का अहंकार दूर हुआ।

राजा बलि की दानवीरता के कारण उन्हें 'चिरंजीव' होने का वरदान मिला।

८. वामन जयंती का उत्सव:

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

भक्त उपवास रखते हैं।

विष्णु सहस्रनाम का पाठ किया जाता है।

९. प्रसाद और दक्षिणा:

इस दिन विशेष प्रसाद बनाया जाता है।

नारियल और गुड़ के लड्डू बनाए जाते हैं।

दक्षिणा और दान दिया जाता है।

१०. वामन जयंती का संदेश:

अहंकार और घमंड का त्याग करें।

विनम्रता और भक्ति के मार्ग पर चलें।

दान और परोपकार करें।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-04.09.2025-गुरुवार.
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