प्रौष्ठपदी पूर्णिमा- भाद्रपद पूर्णिमा: भक्ति भाव, दान और उपवास का महापर्व-

Started by Atul Kaviraje, September 08, 2025, 02:53:56 PM

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Atul Kaviraje

प्रौष्ठपदी पूर्णिमा-

भाद्रपद पूर्णिमा: भक्ति भाव, दान और उपवास का महापर्व-

भाद्रपद मास की पूर्णिमा, जिसे प्रौष्ठपदी पूर्णिमा भी कहते हैं, हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र तिथि है। यह तिथि कई कारणों से विशेष है, जिनमें पितृ पक्ष का प्रारंभ, व्रत-उपवास का महत्व और भगवान सत्यनारायण की पूजा शामिल है। इस दिन भक्ति और श्रद्धा से किए गए कार्य विशेष फलदायी माने जाते हैं।

1. भाद्रपद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
प्रौष्ठपदी पूर्णिमा को पूर्णिमा श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसी दिन से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म, तर्पण और पिंडदान किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन किया गया दान और पुण्यकर्म पितरों को मोक्ष प्रदान करता है।

2. सत्यनारायण व्रत का महत्व
इस दिन भगवान विष्णु के सत्यनारायण स्वरूप की पूजा और कथा करने का विशेष महत्व है। सत्यनारायण कथा में जीवन के सत्य और धर्म का सार छिपा है। व्रत रखने वाले भक्त कथा सुनते हैं, प्रसाद ग्रहण करते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। यह व्रत जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है। 🏡💰

3. देवी लक्ष्मी की पूजा
पूर्णिमा की रात को देवी लक्ष्मी की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। भक्त माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए विशेष अनुष्ठान करते हैं। माना जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और भक्तों को धन-धान्य का आशीर्वाद देती हैं। 💰✨

4. पूर्णिमा और चंद्र दर्शन
इस रात चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ उदय होता है। चंद्र दर्शन और चंद्र देव की पूजा करने से मन को शांति और शीतलता मिलती है। इस दिन चंद्रमा की रोशनी में खीर बनाकर उसे भोग लगाने और खाने की परंपरा है, जिससे स्वास्थ्य लाभ मिलता है। 🌕🙏

5. भाद्रपद पूर्णिमा के अनुष्ठान
इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। यदि नदी में स्नान संभव न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है। 🚿🌊

पितृ तर्पण: स्नान के बाद पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान किया जाता है।

सत्यनारायण कथा: शाम को भगवान सत्यनारायण की कथा और पूजा का आयोजन होता है।

दान-पुण्य: इस दिन गरीबों और ब्राह्मणों को दान देना अत्यंत पुण्य का कार्य माना जाता है। 🍚 दान में अन्न, वस्त्र और धन दिया जाता है।

6. भाद्रपद पूर्णिमा पर दान का महत्व
दान को हिंदू धर्म में एक महान कार्य माना गया है। इस दिन किया गया दान कई गुना फल देता है। 🎁

अन्न दान: भूखे को भोजन कराना।

वस्त्र दान: जरूरतमंदों को कपड़े देना।

गो दान: गाय दान करना सबसे बड़ा दान माना जाता है। 🐄

तिल और जल दान: पितरों की आत्मा की शांति के लिए तिल और जल का दान किया जाता है।

7. पूर्णिमा व्रत और भोजन
भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत करने वाले भक्त अन्न का त्याग करते हैं और केवल फलाहार ग्रहण करते हैं। 🍎 इस व्रत से शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है। व्रत के बाद शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है।

8. पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण का प्रभाव
कभी-कभी पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी होता है, जिससे इसका महत्व और बढ़ जाता है। चंद्र ग्रहण के दौरान शुभ कार्य वर्जित होते हैं, लेकिन ग्रहण के बाद दान और स्नान का विशेष महत्व होता है। 🌑

9. भक्ति भाव और उदाहरण
इस दिन भक्त अपने मन में भक्ति और श्रद्धा का भाव धारण करते हैं। उदाहरण के लिए, एक भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करता है, पूजा-पाठ करता है, और फिर गरीबों को भोजन कराता है। यह कार्य उसके मन को शांति और संतोष देता है। 🙏

10. भाद्रपद पूर्णिमा का सामाजिक महत्व
यह तिथि हमें अपने पूर्वजों को याद करने और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने का अवसर देती है। यह हमें दान, दया और करुणा जैसे मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा देती है। 🤝

सारांश (Summary)
भाद्रपद पूर्णिमा: धार्मिक महत्व 🕉�, पितृ तर्पण 💧, सत्यनारायण पूजा 🙏, दान-पुण्य 🎁, चंद्र दर्शन 🌕, भक्ति भाव 😊। यह दिन पूर्वजों का सम्मान करने और समाज की सेवा करने का दिन है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-07.09.2025-रविवार.
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