ग्रहण करीदिन: श्रद्धा, संयम और आत्म-चिंतन का समय-1-🌑🙏🧘‍♀️✨📜🐍🎁🚫🌿🤰🏡

Started by Atul Kaviraje, September 09, 2025, 02:38:22 PM

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Atul Kaviraje

ग्रहण करीदिन-

ग्रहण करीदिन: श्रद्धा, संयम और आत्म-चिंतन का समय-

दिनांक: सोमवार, 08 सितंबर, 2025

ज्योतिष और धर्मशास्त्र में 'ग्रहण' को एक विशेष खगोलीय घटना माना गया है, जिसे न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। "ग्रहण करीदिन" का तात्पर्य ऐसे ही किसी दिन से है, जब सूर्य या चंद्र ग्रहण हो। यह वह समय होता है जब प्रकृति अपनी सामान्य लय से थोड़ा हटकर व्यवहार करती है। इस दिन को भक्ति, संयम और आत्म-चिंतन का अवसर माना जाता है। यह हमें सिखाता है कि जीवन में आने वाली हर चुनौती और अंधकार क्षणिक होता है, और उसके बाद प्रकाश का उदय अवश्यंभावी है। यह दिन हमें बाहरी दिखावे से हटकर, अपने भीतर झाँकने का संदेश देता है। 🙏

1. ग्रहण का आध्यात्मिक महत्व 🕉�
ग्रहण को भारतीय संस्कृति में एक शक्तिशाली आध्यात्मिक घटना माना जाता है। यह अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है, जहाँ राहु और केतु जैसे छाया ग्रह सूर्य और चंद्रमा को अस्थायी रूप से ढक लेते हैं।

आत्म-शुद्धि का अवसर: ग्रहण का समय आत्म-शुद्धि, जप, तप और ध्यान के लिए सबसे उत्तम माना गया है। 🧘

दोष निवारण: इस दौरान किए गए अनुष्ठान और दान-पुण्य से कई प्रकार के ग्रह दोषों का निवारण होता है। ✨

2. ग्रहण से जुड़ी पौराणिक कथाएँ 📜
पौराणिक कथाओं में, ग्रहण का संबंध समुद्र मंथन की घटना से जोड़ा गया है।

राहु-केतु की उत्पत्ति: जब देवताओं और असुरों के बीच अमृत का वितरण हो रहा था, तब राहु नामक एक असुर ने छल से अमृत पान कर लिया। सूर्य और चंद्रमा ने इस छल को देख लिया और भगवान विष्णु को सूचित किया, जिन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया। राहु का सिर 'राहु' और धड़ 'केतु' कहलाया। उसी दिन से राहु और केतु, सूर्य और चंद्रमा को ग्रसने का प्रयास करते हैं, जिससे ग्रहण होता है। 🐍

धार्मिक चेतावनी: यह कथा हमें बताती है कि छल और कपट का परिणाम अंततः विनाश ही होता है, और प्रकृति में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। ⚖️

3. ग्रहण के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठान 🔔
ग्रहण के समय कई विशेष धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, जो व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा से बचाने में मदद करते हैं।

स्नान और शुद्धि: ग्रहण से पहले और बाद में स्नान करके स्वयं को शुद्ध किया जाता है। जल में गंगाजल मिलाना शुभ माना जाता है। 💦

जप, तप और ध्यान: ग्रहण काल में मंत्रों का जाप करना, विशेष रूप से महामृत्युंजय मंत्र और गायत्री मंत्र का, अत्यंत फलदायी माना जाता है। 📖

दान-पुण्य: इस समय किए गए दान का फल कई गुना अधिक मिलता है। अन्न, वस्त्र, और धन का दान करना शुभ माना जाता है। 🎁

4. ग्रहण के समय क्या करें और क्या न करें? 🚫
ग्रहण के दौरान कुछ नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण माना गया है।

क्या करें:

मंदिरों के कपाट बंद कर दें।

तुलसी के पत्ते भोजन में डालें।

मंत्रों का जाप करें।

क्या न करें:

भोजन बनाना और खाना वर्जित है।

गर्भवती महिलाओं को बाहर निकलने से बचना चाहिए।

कोई भी शुभ या नया कार्य आरंभ न करें। ❌

5. भोजन और तुलसी का महत्व 🌿
ग्रहण के दौरान भोजन को दूषित माना जाता है, इसलिए कई उपाय किए जाते हैं।

तुलसी का उपयोग: तुलसी के पत्तों को भोजन और जल में डालने से उसकी शुद्धता बनी रहती है, क्योंकि तुलसी को पवित्र और औषधीय गुणों से भरपूर माना गया है। 🌱

सात्विक भोजन: ग्रहण के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए, जिसमें कोई भी मांसाहारी या तामसिक पदार्थ न हो। 🥗

इमोजी सारांश: 🌑🙏🧘�♀️✨📜🐍🎁🚫🌿🤰🏡

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-08.09.2025-सोमवार.
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