संत इस्तारी महाराज पुण्यतिथी: वारकरी परंपरा का एक पावन पर्व-1-🙏🕉️💖🚶🎶🪈🏡🌟

Started by Atul Kaviraje, September 09, 2025, 02:40:10 PM

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Atul Kaviraje

इस्तारी महाराज पुण्यतिथी-पंIढरकवडा, यवतमाळ-

संत इस्तारी महाराज पुण्यतिथी: वारकरी परंपरा का एक पावन पर्व-

दिनांक: सोमवार, 08 सितंबर, 2025

महाराष्ट्र की संत परंपरा में, संत इस्तारी महाराज एक ऐसा नाम है जो भक्ति, सादगी और निस्वार्थ सेवा का प्रतीक है। विशेषकर विदर्भ क्षेत्र, और यवतमाळ जिले के पंधरकावडा में, उनकी पुण्यतिथि को एक महापर्व के रूप में मनाया जाता है। यह दिन केवल एक संत को श्रद्धांजलि देने का अवसर नहीं है, बल्कि यह वारकरी संप्रदाय की अखंड भक्ति और आस्था को दर्शाने वाला एक पावन क्षण है। संत इस्तारी महाराज, जिन्हें उनके अनुयायी प्रेम से 'महाराज' कहते हैं, ने अपना पूरा जीवन भगवान विठ्ठल की सेवा और उनके नाम के प्रसार में समर्पित कर दिया। उनकी पुण्यतिथि पर, उनके हजारों अनुयायी उनके प्रति अपनी असीम श्रद्धा व्यक्त करते हैं। 🙏

1. संत इस्तारी महाराज का जीवन और भक्ति 🕉�
संत इस्तारी महाराज का जीवन एक खुली किताब की तरह था, जिसमें केवल भगवान विठ्ठल के प्रति प्रेम और समर्पण के अध्याय थे। उनका जन्म और पालन-पोषण यवतमाळ जिले में हुआ, और बचपन से ही उनका मन अध्यात्म की ओर आकर्षित था।

विठ्ठल भक्ति: उन्होंने अपना जीवन पंढरपुर के भगवान विठ्ठल की भक्ति को समर्पित कर दिया। उन्होंने विदर्भ में वारकरी संप्रदाय की नींव को मजबूत किया। 💖

सरल जीवन: महाराज ने हमेशा एक अत्यंत सरल और सादा जीवन व्यतीत किया, जो उनके अनुयायियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया। 🚶

2. वारकरी परंपरा से उनका संबंध 🎶
वारकरी परंपरा, जो भगवान विठ्ठल की भक्ति पर आधारित है, महाराष्ट्र की एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक धारा है। संत इस्तारी महाराज ने इस परंपरा को विदर्भ के कोने-कोने तक पहुँचाया।

अभंग और कीर्तन: वे नियमित रूप से अभंगों का गायन और कीर्तन का आयोजन करते थे। उनका कीर्तन भक्ति और आनंद से परिपूर्ण होता था। 🪈

दिंडी यात्रा: उन्होंने अपने अनुयायियों को पंढरपुर की वार्षिक दिंडी यात्रा में भाग लेने के लिए प्रेरित किया, जिससे वे सीधे पंढरपुर के संत परंपरा से जुड़ सके। 🚩

3. पंधरकावडा का महत्व 🏡
पंधरकावडा, यवतमाळ जिले में स्थित एक छोटा सा कस्बा, संत इस्तारी महाराज के कारण एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र बन गया है।

समाधि स्थल: यहाँ उनकी समाधि स्थित है, जो भक्तों के लिए एक तीर्थ स्थल बन गई है। 🌟

आध्यात्मिक केंद्र: उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर यह स्थान एक विशाल धार्मिक और सामाजिक उत्सव का केंद्र बन जाता है। 🎉

4. पुण्यतिथि का आयोजन 🗓�
संत इस्तारी महाराज की पुण्यतिथि हर वर्ष भाद्रपद मास में मनाई जाती है। यह एक बहु-दिवसीय कार्यक्रम होता है जिसमें हजारों लोग भाग लेते हैं।

पालखी यात्रा: इस दिन एक भव्य पालखी यात्रा निकाली जाती है, जिसमें भक्त विठ्ठल-विठ्ठल का जयघोष करते हुए चलते हैं। 🥁

महाप्रसाद: पुण्यतिथि के अवसर पर एक विशाल महाप्रसाद (भोजन) का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों भक्तों को भोजन कराया जाता है। 🍚

5. भक्तों की श्रद्धा और उत्साह ❤️
पुण्यतिथि के दौरान भक्तों की श्रद्धा और उत्साह देखने लायक होता है। वे दूर-दूर से इस उत्सव में शामिल होने आते हैं।

सेवा भाव: भक्तगण निस्वार्थ भाव से इस आयोजन की व्यवस्था में सेवा करते हैं। 🤲

भावपूर्ण वातावरण: पूरा वातावरण भक्ति के गीतों, जयघोषों और भक्तों की भावनाओं से भर जाता है। 😭

इमोजी सारांश: 🙏🕉�💖🚶🎶🪈🏡🌟🎉🥁🍚❤️💯

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-08.09.2025-सोमवार.
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