बृहत्गौरी (डोरली) व्रत: एक भक्तिपूर्ण पर्व 🙏-🌺🙏✨💖🏡👩‍👩‍👧‍👧

Started by Atul Kaviraje, September 10, 2025, 02:41:47 PM

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Atul Kaviraje

बृहत्गौरी (डोरली) व्रत -

बृहत्गौरी (डोरली) व्रत: एक भक्तिपूर्ण पर्व 🙏-

आज, मंगलवार, 9 सितंबर 2025, बृहत्गौरी (डोरली) व्रत का विशेष दिन है। यह व्रत माता गौरी को समर्पित है, जिन्हें सुख, समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करने वाली देवी माना जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी आयु और परिवार के कल्याण के लिए यह व्रत करती हैं।

बृहत्गौरी (डोरली) व्रत का महत्व और विवरण
1. व्रत का अर्थ और उद्देश्य:
बृहत्गौरी व्रत, जिसे डोरली व्रत भी कहते हैं, माता गौरी की पूजा का एक अनुष्ठान है। 'डोरली' का अर्थ है एक विशेष धागा जो देवी को अर्पित करने के बाद हाथ में बाँधा जाता है। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य परिवार की सुख-समृद्धि और पति की लंबी आयु के लिए देवी से प्रार्थना करना है। ✨

2. व्रत की विधि:
सुबह जल्दी उठकर स्नान करना: व्रत शुरू करने से पहले पवित्र होकर, स्वच्छ वस्त्र पहनें।

पूजा मंडप तैयार करना: घर के एक कोने में देवी गौरी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

मिट्टी की मूर्ति बनाना: कुछ जगहों पर मिट्टी की गौरी की मूर्ति बनाई जाती है।

श्रृंगार: देवी को लाल वस्त्र, चूड़ियाँ, सिंदूर और अन्य श्रृंगार की वस्तुएँ अर्पित की जाती हैं। 💄

डोरली: 16 गाँठों वाला एक रेशमी या सूती धागा तैयार किया जाता है। हर गाँठ पर हल्दी-सिंदूर लगाया जाता है। यह धागा देवी को अर्पित करने के बाद अपनी कलाई पर बाँधा जाता है।

3. कथा और उदाहरण:
इस व्रत से जुड़ी एक पौराणिक कथा है। माता पार्वती ने यह व्रत भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए किया था। इसके बाद ही उन्हें भगवान शिव पति के रूप में प्राप्त हुए। तभी से, अविवाहित महिलाएँ एक अच्छा पति पाने के लिए, और विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत करती हैं। 🕊�

4. व्रत का वैज्ञानिक महत्व:
धार्मिक व्रतों के पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण भी होते हैं। इस व्रत में उपयोग होने वाली हल्दी-सिंदूर में औषधीय गुण होते हैं। इस दिन परिवार की सभी महिलाएँ एक साथ आती हैं, जिससे उनमें एकता की भावना बढ़ती है। 👨�👩�👧�👦

5. व्रत में बनने वाले व्यंजन:
इस व्रत में मीठे पकवान, फल और विभिन्न प्रकार की सब्ज़ियाँ देवी को अर्पित की जाती हैं। पूरनपोली और 16 प्रकार की सब्ज़ियों की भाजी इस दिन विशेष रूप से बनाई जाती है। 🍎🥭

6. उपवास के नियम:
कुछ महिलाएँ दिनभर उपवास रखती हैं, जबकि कुछ फलाहार करती हैं। यह उपवास सूर्योदय से शुरू होकर चंद्रोदय के बाद तोड़ा जाता है।

7. पूजा सामग्री:
इस व्रत के लिए हल्दी, सिंदूर, फूल, फल, धूप, दीपक, अगरबत्ती और नारियल आवश्यक होते हैं। 🥥🌸

8. गीत और भजन:
इस दिन महिलाएँ माता गौरी के गीत और भजन गाती हैं। इससे वातावरण भक्तिपूर्ण हो जाता है। 🎶

9. व्रत का फल:
ऐसी मान्यता है कि यह व्रत करने से परिवार में सुख-शांति आती है, पति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती। 💖

10. हमारी भूमिका:
यह व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपरा का एक हिस्सा है। इस व्रत के माध्यम से हम प्रकृति और देवी के प्रति अपना प्रेम और आदर व्यक्त करते हैं। 🙏✨

इमोजी सारांश: 🌺🙏✨💖🏡👩�👩�👧�👧

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-09.09.2025-मंगलवार
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