संकष्टी चतुर्थी: संकटों को हरने वाली चतुर्थी 💖🙏🐘-

Started by Atul Kaviraje, September 11, 2025, 03:11:24 PM

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Atul Kaviraje

संकष्ट चतुर्थी-

संकष्टी चतुर्थी: संकटों को हरने वाली चतुर्थी 💖🙏🐘-

संकष्टी चतुर्थी, जिसे संकट हरण चतुर्थी भी कहते हैं, भगवान गणेश को समर्पित एक अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण दिन है। यह हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। यह दिन भक्तों को भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने, जीवन से बाधाओं को दूर करने और सुख-समृद्धि लाने का अवसर प्रदान करता है।

1. संकष्टी चतुर्थी का अर्थ एवं महत्व 🕉�
'संकष्टी' शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है: 'संकट' (बाधाएँ) और 'हर' (दूर करना)। इस प्रकार, इसका शाब्दिक अर्थ है "संकटों को दूर करने वाली तिथि"। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से भक्तों के जीवन के सभी दुख और बाधाएँ दूर होती हैं। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है, बल्कि मानसिक शांति और शक्ति भी प्रदान करता है।

2. व्रत की विधि एवं विधान ✨
व्रत का पालन पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है। इसकी विधि इस प्रकार है:

सुबह की तैयारी: व्रत रखने वाला व्यक्ति सुबह जल्दी उठकर स्नान करता है और स्वच्छ वस्त्र पहनता है। व्रत का संकल्प लिया जाता है।

गणेश जी की पूजा: दिन में भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र को स्थापित कर उनकी पूजा की जाती है। दूर्वा घास, मोदक, लड्डू और लाल फूल चढ़ाए जाते हैं। 🙏🌺

चंद्र दर्शन का महत्व: इस व्रत का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा चंद्रमा का दर्शन और पूजा करना है। शाम को चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है और फिर व्रत खोला जाता है। 🌙💧

3. कथा एवं पौराणिक मान्यताएँ 📖
संकष्टी चतुर्थी से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं। इनमें से एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने भी अपने एक कठिन समय में इस व्रत का पालन किया था। एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती ने भी इस दिन गणेश जी की पूजा की थी। यह कथाएँ इस व्रत के महत्व को और भी बढ़ाती हैं।

4. गणेश जी का स्वरूप और प्रतीक 🐘
भगवान गणेश का स्वरूप कई गहरे प्रतीकों से भरा है:

बड़ा सिर: ज्ञान, बुद्धि और विशाल सोच का प्रतीक।

बड़ी आँखें: दूरदर्शिता और सूक्ष्म दृष्टि का प्रतीक।

लम्बी सूंड: शक्ति और कार्यकुशलता का प्रतीक।

टूटा हुआ दाँत: त्याग और आत्म-नियंत्रण का प्रतीक।

5. मोदक का महत्व 🥥
मोदक, जो गणेश जी का सबसे प्रिय प्रसाद है, इस व्रत का एक अभिन्न अंग है। इसका अर्थ है "खुशी देने वाला"। मोदक भक्तों की इच्छाओं और सुख-समृद्धि का प्रतीक है। इसे विशेष रूप से गणेश चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी पर चढ़ाया जाता है।

6. व्रत के लाभ और फल 🎁
संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से अनेक लाभ होते हैं:

बाधाओं का निवारण: जीवन के सभी कष्ट और बाधाएँ दूर होती हैं।

ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति: भगवान गणेश भक्तों को ज्ञान और बुद्धि प्रदान करते हैं।

सुख-समृद्धि: घर में सुख और समृद्धि का वास होता है।

मन की शांति: व्रत से मन शांत और स्थिर होता है।

7. प्रत्येक माह की संकष्टी चतुर्थी का नाम 🗓�
हर महीने की संकष्टी चतुर्थी का एक विशेष नाम होता है, जो उस माह के अनुसार होता है। उदाहरण के लिए, माघ मास की संकष्टी को 'तिलकुटा चतुर्थी' कहते हैं, क्योंकि इस दिन तिल का विशेष महत्व होता है। यह अलग-अलग नाम और परंपराएँ इस व्रत की विविधता को दर्शाती हैं।

8. बच्चों और बड़ों के लिए प्रेरणा 🧑�🤝�🧑
यह व्रत केवल धार्मिक क्रिया नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा भी देता है। जिस प्रकार गणेश जी ने अपनी सूझबूझ से सभी समस्याओं का समाधान किया, उसी प्रकार हमें भी बुद्धि और धैर्य से काम लेना चाहिए।

9. आधुनिक जीवन में प्रासंगिकता 📱
आज के व्यस्त और तनावपूर्ण जीवन में, संकष्टी चतुर्थी जैसे व्रत हमें एक ब्रेक लेने और अपनी आध्यात्मिक जड़ों से जुड़ने का अवसर देते हैं। यह हमें याद दिलाता है कि जीवन में भौतिक सुखों के अलावा भी कुछ महत्वपूर्ण है। यह दिन हमें परिवार और ईश्वर के साथ समय बिताने का मौका देता है।

10. निष्कर्ष और सारांश 💖✨
संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश के प्रति हमारी अगाध श्रद्धा का प्रतीक है। यह एक ऐसा दिन है जब हम अपनी सभी परेशानियों को विघ्नहर्ता के चरणों में अर्पित कर देते हैं और एक नए, सकारात्मक जीवन की शुरुआत करते हैं। यह व्रत हमें विश्वास, धैर्य और समर्पण का पाठ सिखाता है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-10.09.2025-बुधवार.
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