शिव और पार्वती का प्रकटीकरण- कविता: "शिव-पार्वती का शाश्वत प्रेम"-🙏🔱💖

Started by Atul Kaviraje, September 16, 2025, 03:58:02 PM

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Atul Kaviraje

शिव और पार्वती का प्रकटीकरण-

कविता: "शिव-पार्वती का शाश्वत प्रेम"-

चरण 1
कैलाश पे विराजे, भोलेनाथ महान,
संग में शक्ति जिनकी, देवी पार्वती गुणवान।
एक दूजे के पूरक, एक दूजे की जान,
इनके प्रेम में ही, सृष्टि का प्राण।
अर्थ: कैलाश पर्वत पर महान शिव विराजमान हैं, उनके साथ उनकी शक्ति, देवी पार्वती भी हैं। वे एक-दूसरे के पूरक हैं और उनके प्रेम में ही इस पूरी सृष्टि का जीवन निहित है।

चरण 2
आधा तन शिव का, आधा तन शक्ति का,
अर्धनारीश्वर रूप, ये है भक्ति का।
पुरुष और प्रकृति का, अद्भुत ये संगम,
बिना प्रेम इनके, अधूरा है हर क्षण।
अर्थ: उनका अर्धनारीश्वर रूप दर्शाता है कि पुरुष (शिव) और प्रकृति (शक्ति) अविभाज्य हैं। इनके बिना सृष्टि का कोई भी क्षण अधूरा है।

चरण 3
सती बनीं पार्वती, तपा अग्नि में तन,
शिव को पाने का, लिया कठोर प्रण।
त्याग और निष्ठा का, दिया गहरा दर्शन,
प्रेम में ही शक्ति है, ये है इसका अर्थन।
अर्थ: देवी सती ने पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया और शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की। यह त्याग और निष्ठा का गहरा संदेश देता है कि प्रेम में ही सच्ची शक्ति है।

चरण 4
तांडव करते शिव, लास्य करती शक्ति,
दोनों के नृत्य में, सृष्टि की मुक्ति।
एक है संहारक, दूजी है सृजनकार,
दोनों से ही चलता, जीवन का ये व्यापार।
अर्थ: शिव का उग्र तांडव नृत्य और पार्वती का कोमल लास्य नृत्य, दोनों मिलकर सृष्टि के चक्र को दर्शाते हैं। एक विनाश करता है और दूसरा सृजन करता है, और इसी तरह जीवन चलता रहता है।

चरण 5
गौरी शंकर नाम, जग में हुआ है प्यारा,
इनके प्रेम का ही, हर कण है सहारा।
घर-घर में इनकी, पूजा है होती,
जीवन में सुख-शांति की, ज्योति है होती।
अर्थ: शिव और पार्वती का नाम गौरी शंकर, पूरी दुनिया में बहुत प्रिय है। उनके प्रेम से ही हर प्राणी को सहारा मिलता है। हर घर में इनकी पूजा होती है, जो जीवन में सुख-शांति लाती है।

चरण 6
गणेश और कार्तिकेय, पुत्र हैं इनके,
सृष्टि के पालनहार, कहलाते हैं सबके।
परिवार का महत्व, इन्होंने है सिखाया,
प्रेम और धर्म का, पाठ है पढ़ाया।
अर्थ: उनके पुत्र गणेश और कार्तिकेय पूरी सृष्टि का पालन करते हैं। उनका परिवार हमें प्रेम, धर्म और परिवार के महत्व का पाठ पढ़ाता है।

चरण 7
जब जब धर्म घटा, शिव-शक्ति आए,
विपदाओं को हरके, भक्तों को बचाए।
ये है उनका वादा, ये है उनका प्यार,
इनकी भक्ति से ही, हो जीवन पार।
अर्थ: जब-जब धर्म का पतन हुआ, शिव और शक्ति ने मिलकर भक्तों को बचाया। यह उनका वादा और प्रेम है कि उनकी भक्ति से ही जीवन की नैया पार हो सकती है। 🙏🔱💖

--अतुल परब
--दिनांक-15.09.2025-सोमवार.
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