अविधवा नवमी: एक पवित्र श्राद्ध और सम्मान का पर्व-

Started by Atul Kaviraje, September 16, 2025, 04:00:30 PM

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Atul Kaviraje

अविधवा नवमी-

अविधवा नवमी: एक पवित्र श्राद्ध और सम्मान का पर्व-

अविधवा नवमी पर कविता-

(1)
नवमी तिथि आज आई है,
पितृ पक्ष की गाथा लाई है।
माताओं को सम्मान देने,
यह परंपरा हमें सिखाई है।
अर्थ: आज नवमी की तिथि आई है, जो पितृ पक्ष की कहानियों को साथ लाई है। यह परंपरा हमें उन माताओं को सम्मान देना सिखाती है, जिनका निधन हो गया है।

(2)
उन सुहागनों की याद में,
जिनका पति से पहले साथ छूटा।
श्रद्धा और भक्ति के धागे से,
उनका ये बंधन कभी न टूटा।
अर्थ: उन सौभाग्यवती महिलाओं की याद में जिनका साथ उनके पति से पहले छूट गया, हम श्रद्धा और भक्ति के धागे से उनका स्मरण करते हैं।

(3)
पिंड दान और तर्पण करके,
हम उनकी आत्मा को मनाते हैं।
उनके दिए संस्कारों को,
अपने जीवन में अपनाते हैं।
अर्थ: पिंडदान और तर्पण करके, हम उनकी आत्मा को शांति देने का प्रयास करते हैं और उनके दिए गए संस्कारों को अपने जीवन में अपनाते हैं।

(4)
खीर-पूरी का भोग लगाकर,
ब्राह्मणों को भोजन खिलाते हैं।
यह श्रद्धा का ही रूप है,
जो पितरों तक हम पहुँचाते हैं।
अर्थ: खीर-पूरी का भोग लगाकर, हम ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं, जो हमारी श्रद्धा का रूप है और जो सीधे हमारे पितरों तक पहुँचता है।

(5)
पितृ दोष का निवारण हो,
घर में खुशियों का वास हो।
पूर्वजों का आशीर्वाद सदा,
हमारे सिर पर हो।
अर्थ: यह श्राद्ध करने से पितृ दोष दूर होता है, घर में खुशियाँ आती हैं और हमारे पूर्वजों का आशीर्वाद हमेशा हमारे ऊपर बना रहता है।

(6)
कौवे और गाय को भोजन देकर,
हम श्रद्धा का कर्म निभाते हैं।
इस पवित्र अनुष्ठान से,
हम अपनी संस्कृति को बचाते हैं।
अर्थ: कौवों और गाय को भोजन देकर हम अपनी श्रद्धा का कर्म पूरा करते हैं और इस पवित्र अनुष्ठान से अपनी संस्कृति को जीवित रखते हैं।

(7)
यह सिर्फ एक दिन नहीं,
यह है सम्मान का पर्व।
अविधवा नवमी का महत्व,
यह है हमारे भक्ति का गर्व।
अर्थ: यह सिर्फ एक दिन नहीं है, बल्कि यह सम्मान और गर्व का पर्व है, जो हमें हमारी भक्ति और परंपरा का महत्व बताता है।

--अतुल परब
--दिनांक-15.09.2025-सोमवार.
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