सोनाजी महाराज पुण्यतिथि: भक्ति और त्याग की गाथा-

Started by Atul Kaviraje, September 16, 2025, 04:01:42 PM

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Atul Kaviraje

सोनाजी महाराज पुण्यतिथी-माहूर कवठा-बाळापूर-

सोनाजी महाराज पुण्यतिथि: भक्ति और त्याग की गाथा-

सोनाजी महाराज पर कविता-

(1)
माहूर कवठा की भूमि पर,
एक संत महान हुए।
नाम था सोनाजी महाराज,
भक्ति में जो लीन हुए।
अर्थ: माहूर कवठा की पवित्र भूमि पर एक महान संत सोनाजी महाराज हुए, जो भक्ति में पूरी तरह लीन रहते थे।

(2)
त्याग और तपस्या की मूरत,
ईश्वर के सच्चे दूत।
हर दिल में बसते थे वे,
जिनके उपदेश थे अद्भुत।
अर्थ: वे त्याग और तपस्या की मूर्ति थे और ईश्वर के सच्चे दूत थे। उनके अद्भुत उपदेशों के कारण वे हर दिल में बसते थे।

(3)
जात-पात का भेद मिटाया,
सबको मानवता सिखाई।
प्रेम और सद्भाव का दीप,
घर-घर में उन्होंने जलाई।
अर्थ: उन्होंने जाति-पात का भेद मिटाया और सभी को मानवता का पाठ पढ़ाया। उन्होंने हर घर में प्रेम और सद्भाव की ज्योति जलाई।

(4)
भक्तों का तांता लगता,
पुण्यतिथि पर आज यहाँ।
श्रद्धा सुमन अर्पित कर,
करते हैं उन्हें प्रणाम।
अर्थ: उनकी पुण्यतिथि पर आज यहाँ भक्तों का तांता लगा है, जो उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करके प्रणाम करते हैं।

(5)
उनकी समाधि पर आकर,
मिलती है मन को शांति।
दूर हो जाती है सारी,
जीवन की हर भ्रांति।
अर्थ: उनकी समाधि पर आने से मन को शांति मिलती है और जीवन की सारी भ्रांतियाँ दूर हो जाती हैं।

(6)
महाप्रसाद का वितरण,
भक्तों में प्रेम जगाता।
महाराज का आशीर्वाद,
सबके जीवन में आता।
अर्थ: महाप्रसाद का वितरण भक्तों में प्रेम जगाता है और महाराज का आशीर्वाद सबके जीवन में आता है।

(7)
उनकी शिक्षाओं को अपनाकर,
हम भी नेक बन जाएँ।
सोनाजी महाराज की जय हो,
यह जग को हम बताएँ।
अर्थ: उनकी शिक्षाओं को अपनाकर हम भी नेक इंसान बनें और सोनाजी महाराज की जय का उद्घोष पूरे जग में करें।

--अतुल परब
--दिनांक-15.09.2025-सोमवार.
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