सच्चिदानंद महाराज पुण्यतिथि: भक्ति और ज्ञान का महापर्व-

Started by Atul Kaviraje, September 16, 2025, 04:02:14 PM

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Atul Kaviraje

सच्चिदानंद महाराज पुण्यतिथी-रावेर-जळगाव-

सच्चिदानंद महाराज पुण्यतिथि: भक्ति और ज्ञान का महापर्व-

सच्चिदानंद महाराज पर कविता-

(1)
रावेर की पावन भूमि पर,
एक संत महान हुए।
नाम था सच्चिदानंद महाराज,
ज्ञान के जो भंडार हुए।
अर्थ: रावेर की पवित्र भूमि पर एक महान संत सच्चिदानंद महाराज हुए, जो ज्ञान के भंडार थे।

(2)
तप और त्याग की मूरत,
ईश्वर के सच्चे दूत।
हर दिल में बसते थे वे,
जिनके उपदेश थे अद्भुत।
अर्थ: वे तप और त्याग की मूर्ति थे और ईश्वर के सच्चे दूत थे। उनके अद्भुत उपदेशों के कारण वे हर दिल में बसते थे।

(3)
जात-पात का भेद मिटाया,
सबको मानवता सिखाई।
ज्ञान और भक्ति की ज्योति,
घर-घर में उन्होंने जलाई।
अर्थ: उन्होंने जाति-पात का भेद मिटाया और सभी को मानवता का पाठ पढ़ाया। उन्होंने हर घर में ज्ञान और भक्ति की ज्योति जलाई।

(4)
भक्तों का तांता लगता,
पुण्यतिथि पर आज यहाँ।
श्रद्धा सुमन अर्पित कर,
करते हैं उन्हें प्रणाम।
अर्थ: उनकी पुण्यतिथि पर आज यहाँ भक्तों का तांता लगा है, जो उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करके प्रणाम करते हैं।

(5)
उनकी समाधि पर आकर,
मिलती है मन को शांति।
दूर हो जाती है सारी,
जीवन की हर भ्रांति।
अर्थ: उनकी समाधि पर आने से मन को शांति मिलती है और जीवन की सारी भ्रांतियाँ दूर हो जाती हैं।

(6)
महाप्रसाद का वितरण,
भक्तों में प्रेम जगाता।
महाराज का आशीर्वाद,
सबके जीवन में आता।
अर्थ: महाप्रसाद का वितरण भक्तों में प्रेम जगाता है और महाराज का आशीर्वाद सबके जीवन में आता है।

(7)
उनकी शिक्षाओं को अपनाकर,
हम भी नेक बन जाएँ।
सच्चिदानंद महाराज की जय हो,
यह जग को हम बताएँ।
अर्थ: उनकी शिक्षाओं को अपनाकर हम भी नेक इंसान बनें और सच्चिदानंद महाराज की जय का उद्घोष पूरे जग में करें।

--अतुल परब
--दिनांक-15.09.2025-सोमवार.
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