15 सितंबर, 2025-अविधवा नवमी: एक पवित्र श्राद्ध और सम्मान का पर्व-🙏🕊️🐄✨💖🥣

Started by Atul Kaviraje, September 16, 2025, 04:15:05 PM

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Atul Kaviraje

अविधवा नवमी-

अविधवा नवमी: एक पवित्र श्राद्ध और सम्मान का पर्व-

आज, सोमवार, 15 सितंबर, 2025, पितृ पक्ष की नवमी तिथि है, जिसे 'अविधवा नवमी' के नाम से जाना जाता है। यह दिन उन महिलाओं को समर्पित है, जिनका निधन उनके पति के जीवनकाल में ही हो गया था। यह पर्व उन सभी सुहागन महिलाओं को याद करने, उनका सम्मान करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म करने का एक विशेष अवसर है। इस दिन श्राद्ध करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।

अविधवा नवमी का अर्थ है 'जिसका पति जीवित हो', और यह नाम उन सौभाग्यवती महिलाओं के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए रखा गया है, जिन्होंने अपने जीवनकाल में पतिव्रता धर्म का पालन किया।

अविधवा नवमी के 10 प्रमुख बिंदु-

1. अविधवा नवमी का महत्व:

यह दिन विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए है, जिनका निधन उनके पति से पहले हुआ था।

इस दिन श्राद्ध और तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।

यह परंपरा हमें हमारे परिवार की उन माताओं और पत्नियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का मौका देती है, जिन्होंने अपना जीवन परिवार के लिए समर्पित कर दिया।

2. श्राद्ध का उद्देश्य:

श्राद्ध का मुख्य उद्देश्य पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करना है। 🙏

ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध के माध्यम से पितृ प्रसन्न होकर अपने वंशजों को सुख, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद देते हैं।

3. श्राद्ध विधि और अनुष्ठान:

इस दिन श्राद्ध कर्म के लिए कुतुप मुहूर्त या रोहिण मुहूर्त सबसे शुभ माना जाता है।

दोपहर के समय, घर के दक्षिणी हिस्से में एक विशेष स्थान पर श्राद्ध किया जाता है।

इस दिन पिंड दान और तर्पण का विशेष महत्व है।

4. विशेष भोजन और प्रसाद:

श्राद्ध के लिए विशेष भोजन तैयार किया जाता है, जिसमें खीर, पूरी, और अन्य सात्विक पकवान शामिल होते हैं। 🥣

भोजन में लहसुन और प्याज का उपयोग नहीं किया जाता।

यह भोजन सबसे पहले दिवंगत आत्मा को अर्पित किया जाता है।

5. ब्राह्मण भोजन का महत्व:

श्राद्ध के बाद, ब्राह्मणों को आदरपूर्वक घर पर आमंत्रित किया जाता है और उन्हें भोजन कराया जाता है।

ऐसी मान्यता है कि ब्राह्मणों को कराया गया भोजन सीधे पितरों तक पहुँचता है। 🧑�🤝�🧑

6. काकबली और गो ग्रास:

श्राद्ध के भोजन का कुछ हिस्सा कौओं (काकबली) और गाय (गो ग्रास) को दिया जाता है।

कौओं को यमदूतों का प्रतीक माना जाता है और गाय को पवित्र माना जाता है, जिनके माध्यम से भोजन पितरों तक पहुँचता है। 🕊�🐄

7. कथा और पौराणिक संदर्भ:

महाभारत में भीष्म पितामह ने श्राद्ध के महत्व का वर्णन किया था।

ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने भी अपने पिता दशरथ के लिए श्राद्ध किया था, जिससे यह परंपरा और भी मजबूत हुई।

8. पितृ दोष का निवारण:

अविधवा नवमी का श्राद्ध करने से पितृ दोष दूर होता है।

इससे घर में सुख-शांति आती है और परिवार के सदस्यों को उनके कार्यों में सफलता मिलती है। ✨

9. आधुनिक समय में अविधवा नवमी:

आज भी, कई लोग श्राद्ध विधि का पालन करते हैं।

जो लोग ब्राह्मणों को आमंत्रित नहीं कर पाते, वे भोजन दान करके या मंदिरों में जाकर यह अनुष्ठान पूरा करते हैं।

यह दिन परिवार को एक साथ लाने और अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है।

10. श्राद्ध का संकल्प और आशीर्वाद:

इस दिन श्राद्ध का संकल्प करते हुए, हम अपने पूर्वजों को धन्यवाद देते हैं।

यह दिन हमें बताता है कि हमारे पूर्वजों का सम्मान करना और उनकी यादों को संजोना कितना महत्वपूर्ण है।

श्रद्धापूर्वक किया गया यह कर्म, आने वाली पीढ़ियों के लिए सुख और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है। 💖

इमोजी सारांश: 🙏🕊�🐄✨💖🥣

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-15.09.2025-सोमवार.
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