विश्वकर्मा दिवस: सृजन और शिल्प कला का महापर्व-📜🙏🪷🎨💡💖🔧✅

Started by Atul Kaviraje, September 18, 2025, 05:07:04 PM

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Atul Kaviraje

विश्वकर्मा दिन-

विश्वकर्मा दिवस: सृजन और शिल्प कला का महापर्व-

विश्वकर्मा दिवस: सृजन की कविता-

(१)
विश्वकर्मा प्रभु का दिन आया,
हर कारीगर का मन है हर्षया।
औजारों को आज सजाया,
श्रद्धा से हर मन है भर आया।

अर्थ: यह चरण बताता है कि विश्वकर्मा दिवस आया है, जिससे हर कारीगर का मन खुशी से भर गया है। इस दिन सभी औजारों को सजाकर उनकी पूजा की जाती है।

(२)
सृष्टि के तुम हो शिल्पकार,
ब्रह्मांड के तुम हो वास्तुकार।
द्वारका, लंका को गढ़ा,
दिखाया अपना अद्भुत हुनर।

अर्थ: इस चरण में भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का वास्तुकार और शिल्पकार बताया गया है, जिन्होंने अपने हुनर से द्वारका और लंका जैसे नगरों का निर्माण किया।

(३)
मशीनें आज करती विश्राम,
हाथों को मिलता है आराम।
ये दिन है पूजा का,
जहाँ होता है हर श्रम का सम्मान।

अर्थ: यह चरण बताता है कि इस दिन मशीनें काम से विश्राम लेती हैं और हर काम और श्रम का सम्मान होता है।

(४)
जो कोई भी करे सच्चा श्रम,
उस पर कृपा करें प्रभु हर दम।
यह पर्व है प्रेरणा का,
काम को बना लो अपना धर्म।

अर्थ: इस चरण का अर्थ है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से काम करता है, उस पर भगवान की कृपा हमेशा बनी रहती है। यह पर्व हमें काम को धर्म मानने की प्रेरणा देता है।

(५)
जीवन एक कला है सुंदर,
सृजन का सागर है अपने अंदर।
ईश्वर ने दिया है ये हाथ,
कुछ नया रचने का अवसर।

अर्थ: यह चरण बताता है कि जीवन एक सुंदर कला है और हर व्यक्ति के अंदर कुछ नया रचने की क्षमता है, जो ईश्वर का दिया हुआ उपहार है।

(६)
हर एक पेचकस, हथौड़ा,
हर एक सुई, धागा।
ये सिर्फ औजार नहीं,
ये हैं हमारे जीवन का सहारा।

अर्थ: इस चरण में औजारों के महत्व पर जोर दिया गया है, जो केवल उपकरण नहीं, बल्कि हमारे जीवन का सहारा हैं।

(७)
प्रभु से यही है विनती,
हमारी कला कभी न हो कमजोर।
सृजन की शक्ति बनी रहे,
जीवन में हमारे हो सबका कल्याण।

अर्थ: यह आखिरी चरण भगवान विश्वकर्मा से प्रार्थना करता है कि हमारी रचनात्मक शक्ति कभी कमजोर न हो और जीवन में सभी का कल्याण हो।

इमोजी सारांश
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--अतुल परब
--दिनांक-17.09.2025-बुधवार.
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