इंदिरा एकादशी: पितरों के मोक्ष का महापर्व- 17 सितंबर 2025, बुधवार-🙏🌙✨📖🕊️

Started by Atul Kaviraje, September 18, 2025, 05:17:57 PM

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Atul Kaviraje

इंदिरा एकादशी-

इंदिरा एकादशी: पितरों के मोक्ष का महापर्व-

17 सितंबर 2025, बुधवार

🙏 1. इंदिरा एकादशी: परिचय और तिथि 🌙
हिंदू पंचांग के अनुसार, इंदिरा एकादशी का व्रत अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। यह एकादशी पितृपक्ष के दौरान आती है, यही कारण है कि इसे पितरों की शांति और मोक्ष के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है और व्रत रखकर पितरों को तर्पण किया जाता है।

2. महत्व और संकल्प ✨
इस व्रत का मुख्य महत्व पितरों को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाना है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक इस व्रत का पालन करता है, उसके पूर्वजों को भगवान विष्णु की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है और वे स्वर्गलोक में निवास करते हैं। यह व्रत जीवित और मृत दोनों के लिए कल्याणकारी है।

3. पौराणिक कथा (उदाहरण सहित) 📖
इस एकादशी का वर्णन स्कंद पुराण और नारद पुराण में मिलता है। सतयुग में महिष्मति नगरी में इंद्रसेन नामक एक प्रतापी राजा राज्य करते थे। एक बार, ऋषि नारद उनके दरबार में आए और उन्हें बताया कि उनके पिता अपने कर्मों के कारण प्रेत योनि में हैं और उन्हें इस योनि से मुक्ति दिलाने के लिए इंदिरा एकादशी का व्रत करना होगा। राजा इंद्रसेन ने नारद जी के बताए अनुसार पूरे विधि-विधान से व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उनके पिता को मोक्ष प्राप्त हुआ और वे स्वर्गलोक चले गए। यह कथा इस एकादशी की शक्ति का सबसे बड़ा प्रमाण है।

4. पूजा विधि और अनुष्ठान 🪷

दशमी तिथि: एकादशी से एक दिन पहले दशमी को सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए और सात्विक जीवन शैली अपनानी चाहिए।

एकादशी तिथि: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें और भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें।

विशेष पूजा: भगवान शालिग्राम या विष्णु जी की मूर्ति स्थापित करें। तुलसी पत्र, पुष्प, फल और नैवेद्य अर्पित करें। पितरों के लिए जल, तिल और कुश के साथ तर्पण करें।

5. पितृपक्ष के साथ संबंध 🕊�
यह एकादशी पितृपक्ष के बीच में आती है, जब पूर्वज पृथ्वी पर अपने परिवार से मिलने आते हैं। इंदिरा एकादशी का व्रत करने से पितरों को सीधे वैकुंठ धाम का मार्ग मिलता है, जिससे उन्हें प्रेत योनि के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। यह एक पुत्र का अपने पूर्वजों के प्रति सबसे बड़ा कर्तव्य माना जाता है।

6. व्रत का पालन 💧
इस व्रत में निराहार (बिना भोजन के) रहना चाहिए। यदि संभव न हो तो फलाहार किया जा सकता है। दिन भर भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें और दान-पुण्य करें।

7. पारण का महत्व 🌾
एकादशी व्रत का पारण अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को किया जाता है। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा देनी चाहिए। पारण करने के बाद ही स्वयं भोजन ग्रहण करें।

8. पापों से मुक्ति 🧘�♀️
जो व्यक्ति सच्चे मन से इस एकादशी का व्रत करता है, उसके जाने-अनजाने में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। यह व्रत न केवल पितरों का उद्धार करता है, बल्कि व्यक्ति को भी आध्यात्मिक शुद्धि प्रदान करता है।

9. आध्यात्मिक सार 💖
इंदिरा एकादशी का व्रत हमें यह सिखाता है कि हमारी आध्यात्मिक यात्रा हमारे पूर्वजों से जुड़ी है। यह हमें कृतज्ञता, दया और परिवार के प्रति जिम्मेदारी का संदेश देता है। यह व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा माध्यम है जो हमें अपने कर्मों और परिवार के बीच के संबंधों की याद दिलाता है।

10. निष्कर्ष ✅
इंदिरा एकादशी एक ऐसा पावन पर्व है जो पितरों को मोक्ष प्रदान कर व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाता है। यह व्रत सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाना चाहिए।

इमोजी सारांश
🙏🌙✨📖🕊�🪷💧🌾🧘�♀️💖✅

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-17.09.2025-बुधवार.
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