मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम दिवस: शौर्य, संघर्ष और स्वाधीनता का प्रतीक-🇮🇳✊📜⚔️🦁

Started by Atul Kaviraje, September 18, 2025, 05:22:05 PM

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Atul Kaviraje

मराठवाडा मुक्तिदिन-

मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम दिवस: शौर्य, संघर्ष और स्वाधीनता का प्रतीक-

17 सितंबर 2025, बुधवार

🇮🇳 1. मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम दिवस: परिचय और तिथि ✊
17 सितंबर 2025, बुधवार को मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम दिवस की 77वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। यह दिन मराठवाड़ा क्षेत्र के लोगों के लिए स्वतंत्रता और स्वाभिमान का प्रतीक है। 17 सितंबर 1948 को ही मराठवाड़ा का हैदराबाद रियासत से भारतीय संघ में विलय हुआ था। यह दिन उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को याद करने का है, जिन्होंने इस संघर्ष में अपना जीवन न्योछावर कर दिया।

2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: हैदराबाद रियासत का भाग 📜
आजादी के समय, मराठवाड़ा क्षेत्र, जिसमें वर्तमान के औरंगाबाद, नांदेड, परभणी, हिंगोली, जालना, लातूर, उस्मानाबाद और बीड जिले शामिल थे, हैदराबाद रियासत का हिस्सा था। जबकि 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हो गया था, हैदराबाद का निजाम भारत में विलय के लिए तैयार नहीं था।

3. मराठवाड़ा के लोगों का संघर्ष 🗣�
मराठवाड़ा के लोग अपनी भाषा और संस्कृति के आधार पर महाराष्ट्र राज्य का हिस्सा बनना चाहते थे। उन्होंने हैदराबाद के भारत में विलय के लिए एक बड़ा जन आंदोलन शुरू किया। इस आंदोलन में स्वामी रामानंद तीर्थ, गोविंदभाई श्रॉफ, बाबासाहेब परांजपे और दिगंबरराव बिंदु जैसे नेताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

4. निजाम और रजाकारों का क्रूर शासन ⚔️
निजाम ने इस आंदोलन को कुचलने के लिए हर संभव प्रयास किया। उसने अपनी सेना के साथ-साथ रजाकारों नामक एक निजी सेना का इस्तेमाल किया। कासिम रिजवी के नेतृत्व में इन रजाकारों ने मराठवाड़ा के लोगों पर अमानवीय अत्याचार किए, जिसमें हत्या, लूटपाट और महिलाओं का अपमान शामिल था। यह उस समय का सबसे क्रूर उदाहरण था।

5. सरदार वल्लभभाई पटेल की निर्णायक भूमिका 🦁
जब निजाम ने भारत में विलय से इंकार कर दिया और रजाकारों का अत्याचार बढ़ने लगा, तब भारत के तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने एक निर्णायक कदम उठाया। उन्होंने कहा था, "हैदराबाद भारत के पेट में एक कैंसर है, जिसे जल्द से जल्द निकालना होगा।" उनकी मजबूत इच्छाशक्ति और दूरदर्शिता ने इस समस्या का समाधान किया।

6. ऑपरेशन पोलो: सैन्य कार्रवाई 🛡�
13 सितंबर 1948 को, भारतीय सेना ने हैदराबाद को भारत में मिलाने के लिए ऑपरेशन पोलो शुरू किया। यह एक सैन्य अभियान था, जिसका उद्देश्य निजाम के शासन को समाप्त करना था। इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना ने केवल चार दिनों में हैदराबाद को अपने नियंत्रण में ले लिया।

7. 17 सितंबर 1948: मुक्ति का दिन 🕊�
17 सितंबर 1948 को, निजाम ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। यह दिन मराठवाड़ा के लोगों के लिए स्वतंत्रता और सम्मान का दिन था। सदियों की गुलामी और निजाम के अत्याचार से उन्हें मुक्ति मिली।

8. शहीदों को श्रद्धांजलि 🙏
इस स्वतंत्रता संग्राम में कई गुमनाम शहीदों ने अपने प्राणों की आहुति दी। हम इस दिन उन सभी वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिनके बलिदान के कारण मराठवाड़ा को स्वतंत्रता मिली। उनका बलिदान हमें हमेशा प्रेरित करता रहेगा।

9. वर्तमान में इसका महत्व 🌟
यह दिवस हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता आसानी से नहीं मिलती। यह हमें हमारे पूर्वजों के संघर्ष और बलिदान का सम्मान करने की सीख देता है। यह मराठवाड़ा के लोगों की एकजुटता, साहस और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।

10. निष्कर्ष ✅
मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम दिवस केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा पर्व है जो हमें हमारे गौरवशाली इतिहास की याद दिलाता है। यह दिन हमें सिखाता है कि न्याय और सत्य की हमेशा जीत होती है, भले ही इसके लिए कितना भी लंबा संघर्ष क्यों न करना पड़े।

इमोजी सारांश
🇮🇳✊📜⚔️🦁🛡�🕊�🙏🌟✅

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-17.09.2025-बुधवार.
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