श्री स्वामी समर्थ और उनके 'वर्तमान ज्ञान' प्रवचन-वर्तमान ज्ञान: स्वामी की वाणी-

Started by Atul Kaviraje, September 19, 2025, 05:30:28 PM

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Atul Kaviraje

श्री स्वामी समर्थ और उनके 'वर्तमान ज्ञान' प्रवचन-

वर्तमान ज्ञान: स्वामी की वाणी-

(१)
स्वामी समर्थ की वाणी है निराली,
हर शब्द में भरी है दिवाली।
कहा उन्होंने जीवन का सार,
जो हर दिल की है थाली।

अर्थ: यह चरण बताता है कि स्वामी समर्थ की वाणी अनोखी है, जो जीवन के सार से भरी है और हर हृदय में आनंद भरती है।

(२)
मन हमारा भूत में भटके,
या भविष्य की राहें तकके।
ना चैन यहाँ, ना सुख वहाँ,
जीवन व्यर्थ ही ऐसे कटके।

अर्थ: इस चरण में बताया गया है कि हमारा मन हमेशा अतीत या भविष्य में भटकता रहता है, जिससे हमें शांति नहीं मिलती और जीवन व्यर्थ चला जाता है।

(३)
कहा स्वामी ने, 'अब जाग जा',
वर्तमान को ही तू पहचान।
इसी पल में है जीवन का रस,
यही तो है सच्चा ज्ञान।

अर्थ: यह चरण स्वामी के उपदेश को दर्शाता है, जहाँ वे हमें जागने और इसी पल को पहचानने का आग्रह करते हैं, क्योंकि सच्चा ज्ञान इसी में है।

(४)
'भिऊ नकोस, मी तुझ्या पाठीशी आहे',
ये शब्द हर भय को हटाए।
ये सिर्फ एक वादा नहीं,
ये वर्तमान की शक्ति बताए।

अर्थ: इस चरण में स्वामी के प्रसिद्ध वचन का उल्लेख है, जो हमें यह बताता है कि गुरु की शक्ति वर्तमान में ही हमारे साथ है और यह हमारे भय को दूर करती है।

(५)
हर एक कर्म को जब तू करे,
पूरी जागरूकता से भर के।
तब हर क्षण एक पूजा बन जाए,
ईश्वर को मन में धर के।

अर्थ: यह चरण बताता है कि जब हम अपने हर कार्य को पूरी जागरूकता के साथ करते हैं, तो वह एक पूजा बन जाता है, जिससे हम हर पल ईश्वर से जुड़े रहते हैं।

(६)
शांति का सागर मन में आए,
जब वर्तमान में रहना सीखे।
अंतिम सत्य तब ही मिले,
जब मोह के बंधन से मन छीके।

अर्थ: इस चरण में वर्तमान में रहने से मिलने वाली शांति का वर्णन है, जो हमें सच्चे ज्ञान और मोक्ष की ओर ले जाती है।

(७)
गुरु का ये ज्ञान है अनमोल,
जीवन को दे देता है मोल।
जो समझे इस पल की कीमत,
वही पाए परम सत्य का बोल।

अर्थ: यह अंतिम चरण बताता है कि स्वामी समर्थ का यह ज्ञान अनमोल है, जो जीवन को एक नया अर्थ देता है। जो इस क्षण के महत्व को समझता है, वही परम सत्य को जान पाता है।

इमोजी सारांश
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--अतुल परब
--दिनांक-18.09.2025-गुरुवार.
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