भाद्रपद अमावस्या: भक्ति और आध्यात्म का पर्व 🌑20 सितंबर, शनिवार-

Started by Atul Kaviraje, September 21, 2025, 04:53:03 PM

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Atul Kaviraje

भाद्रपद अमावस्या-

भाद्रपद अमावस्या: भक्ति और आध्यात्म का पर्व 🌑-

आज, 20 सितंबर, शनिवार, भाद्रपद मास की अमावस्या है, जिसे पिठोरी अमावस्या और कुशोत्पाटिनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पितरों का तर्पण, श्राद्ध और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। आइए, इस पावन दिवस के महत्व को विस्तार से समझते हैं।

1. भाद्रपद अमावस्या का धार्मिक महत्व 🙏
पितरों का तर्पण: इस दिन पितरों का तर्पण और श्राद्ध करने से उन्हें मोक्ष मिलता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। यह दिन पितृ दोष से मुक्ति पाने का सबसे उत्तम समय माना जाता है।

कुश संग्रह: इस अमावस्या को कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन धार्मिक कार्यों के लिए कुश (पवित्र घास) इकट्ठा करने का विधान है। माना जाता है कि इस दिन तोड़ा गया कुश साल भर तक पवित्र रहता है।

पवित्र स्नान और दान: इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने और गरीबों को दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

2. पिठोरी अमावस्या का महत्व 🌾
संतान की लंबी आयु: इस दिन विवाहित महिलाएं संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं।

देवी दुर्गा की पूजा: इस दिन देवी दुर्गा की भी पूजा की जाती है। वे आटे से बनी 64 देवियों की मूर्तियों की पूजा करती हैं।

3. पूजा विधि और अनुष्ठान 🛐
सूर्य उदय से पहले स्नान: सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी या घर पर ही गंगाजल मिले जल से स्नान करें।

सूर्य को अर्घ्य: स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। ☀️

पितरों का श्राद्ध: घर के पितरों का तर्पण करें और उनके लिए भोजन तैयार करें।

ब्राह्मणों को भोजन: ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दान-दक्षिणा दें।

पीपल के पेड़ की पूजा: पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं और उसकी परिक्रमा करें, क्योंकि पीपल में पितरों का वास माना जाता है। 🌳

4. भाद्रपद अमावस्या का वैज्ञानिक आधार 🔬
चंद्र और सूर्य का प्रभाव: अमावस्या पर सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में आते हैं। इससे प्रकृति में एक विशेष ऊर्जा का संचार होता है, जो आध्यात्मिक साधना के लिए अनुकूल होती है।

शारीरिक और मानसिक शुद्धि: इस दिन किए गए उपवास और धार्मिक अनुष्ठान शरीर और मन को शुद्ध करने में मदद करते हैं, जिससे मानसिक शांति मिलती है।

5. आध्यात्मिक संदेश ✨
आत्मनिरीक्षण: यह दिन हमें अपने पूर्वजों को याद करने और उनके बलिदानों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर देता है। यह हमें अपने जीवन का आत्मनिरीक्षण करने के लिए प्रेरित करता है।

दान का महत्व: दान-पुण्य करके हम दूसरों के प्रति करुणा और दया का भाव विकसित करते हैं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-20.09.2025-शनिवार.
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