सप्तश्रृंगीदेवी नवरात्रोत्सव, सप्तश्रृंग गढ़: भक्ति और श्रद्धा का महापर्व-

Started by Atul Kaviraje, September 23, 2025, 09:03:15 PM

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Atul Kaviraje

सप्तश्रृंगीदेवी नवरात्रोत्सव, सप्तश्रृंग गढ़: भक्ति और श्रद्धा का महापर्व-

सप्तश्रृंगीदेवी नवरात्रोत्सव पर हिंदी कविता-

1.

सप्तश्रृंग गढ़ पर,
नवरात्र उत्सव आया।
देवी का जयघोष,
सब जगह गूंजा।

(अर्थ): यह चरण बताता है कि सप्तश्रृंग गढ़ पर नवरात्रि का उत्सव आया है। देवी का जयघोष हर जगह गूंज रहा है।

2.

सात शिखरों की देवी,
भक्तों की मनोकामना पूरी करती है।
घटस्थापना हुई,
भक्ति का रंग फैल गया।

(अर्थ): इस चरण में सात शिखरों की देवी का वर्णन है, जो भक्तों की मनोकामना पूरी करती है। घटस्थापना हो गई है और भक्ति का रंग फैल गया है।

3.

नौ दिन पूजा,
आरती और भजन।
आई का आशीर्वाद,
मिलता है रोज़ नया।

(अर्थ): यहाँ नौ दिन चलने वाली पूजा, आरती और भजन का उल्लेख है, जिससे रोज़ आई का नया आशीर्वाद मिलता है।

4.

गरबा और डांडिया का खेल,
बहुत आनंद हुआ।
नृत्य में रम गए सारे,
भक्ति का प्रवाह बढ़ गया।

(अर्थ): इस चरण में गरबा और डांडिया के खेल का वर्णन है, जिससे बहुत आनंद मिलता है। सभी लोग नृत्य में लीन हो जाते हैं और भक्ति का प्रवाह बढ़ जाता है।

5.

महाप्रसाद का भंडारा,
सबको मिला।
अन्नदान,
महान पुण्य कर्म।

(अर्थ): यहाँ महाप्रसाद के भंडारे के बारे में बताया गया है, जो सबको मिलता है। अन्नदान एक महान पुण्य कर्म है।

6.

कन्या पूजन का दिन आया,
छोटी बच्चियां खुश हो गईं।
नारी शक्ति का सम्मान,
आई को नमस्कार।

(अर्थ): यह चरण बताता है कि कन्या पूजन का दिन आया, जिससे छोटी बच्चियां खुश हो गईं। नारी शक्ति का सम्मान करते हुए आई को नमस्कार किया जाता है।

7.

उत्सव समाप्त हुआ,
पर भक्ति कायम रही।
सप्तश्रृंगी आई,
आपके आशीर्वाद हमेशा।

(अर्थ): अंतिम चरण में उत्सव की समाप्ति का वर्णन है, लेकिन भक्ति हमेशा रहती है। सप्तश्रृंगी आई का आशीर्वाद हमेशा रहेगा।

--अतुल परब
--दिनांक-22.09.2025-सोमवार.
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