मातामह श्राद्ध: श्रद्धा और पितृ ऋण का पर्व-🙏🕊️⏳🍛🎁✨👨‍👩‍👧‍👦

Started by Atul Kaviraje, September 24, 2025, 02:41:58 PM

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Atul Kaviraje

मातामह श्रIद्ध-

मातामह श्राद्ध: श्रद्धा और पितृ ऋण का पर्व-

मातामह श्राद्ध, जिसे दोहिते का श्राद्ध या नाना-नानी का श्राद्ध भी कहते हैं, पितृ पक्ष में किया जाने वाला एक अत्यंत महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। यह श्राद्ध पितरों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करने का एक पवित्र अवसर है। यह विशेष रूप से उन लोगों द्वारा किया जाता है जिनके नाना या नानी का निधन हो चुका है और उनका कोई पुत्र नहीं है। इस वर्ष मातामह श्राद्ध 22 सितंबर, 2025 को किया जाएगा। 🙏🕊�

१. मातामह श्राद्ध का महत्व
मातामह श्राद्ध का अर्थ है 'माता के पिता' (नाना) और 'माता की माता' (नानी) के लिए किया जाने वाला श्राद्ध। यह श्राद्ध पितृ ऋण से मुक्ति पाने का एक तरीका है, क्योंकि वैदिक परंपरा के अनुसार, पुत्र ही पितरों को तर्पण और श्राद्ध दे सकता है।

(अ) पितृ ऋण: इस श्राद्ध से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है।

(ब) पुत्र का कर्तव्य: यदि नाना का कोई पुत्र नहीं है, तो उनका श्राद्ध उनके दोहिते (बेटी के पुत्र) द्वारा किया जाता है, जिसे अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।

२. मातामह श्राद्ध की तिथि
यह श्राद्ध पितृ पक्ष की नवमी तिथि को किया जाता है। नवमी तिथि को श्राद्ध करने से मातामह (नाना), मातामही (नानी) और अन्य मातृ पक्ष के पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। ⏳

३. श्राद्ध के लिए आवश्यक सामग्री
मातामह श्राद्ध के लिए कुछ विशेष सामग्रियों की आवश्यकता होती है:

तर्पण सामग्री: काले तिल, जल, फूल, कुश (एक प्रकार की घास)।

भोजन सामग्री: चावल, दाल, सब्जियां, और अन्य पकवान।

पिंडदान सामग्री: चावल का आटा, जौ का आटा, और तिल।

अन्य सामग्री: धूप, दीपक, कपूर, और रोली।

४. श्राद्ध की विधि
मातामह श्राद्ध एक विस्तृत अनुष्ठान है, जिसे विधिपूर्वक करना चाहिए:

चरण १: श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करने चाहिए।

चरण २: श्राद्ध के लिए एक पवित्र स्थान चुनें और वहां दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें।

चरण ३: सबसे पहले पिंडदान करें। चावल, जौ और तिल मिलाकर पिंड बनाएं और उन्हें पितरों को समर्पित करें।

चरण ४: तर्पण करें। जल में काले तिल और कुश डालकर पितरों को तर्पण दें।

चरण ५: ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दान-दक्षिणा दें। 🍛🎁

५. मातामह श्राद्ध में भोजन का महत्व
श्राद्ध में भोजन का विशेष महत्व है।

पवित्र भोजन: भोजन सात्विक और शुद्ध होना चाहिए। लहसुन और प्याज का उपयोग नहीं करना चाहिए।

भोजन का दान: श्राद्ध के बाद भोजन का कुछ हिस्सा गाय, कुत्ते और कौवे को खिलाया जाता है, क्योंकि इन्हें पितरों का दूत माना जाता है। 🐄🐕

६. श्राद्ध और धार्मिक मान्यताएं
श्राद्ध से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं हैं।

पितरों का आशीर्वाद: यह माना जाता है कि श्राद्ध करने से पितर प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को सुख, समृद्धि और लंबी आयु का आशीर्वाद देते हैं। ✨

मोक्ष की प्राप्ति: यह अनुष्ठान पितरों को मोक्ष की प्राप्ति में मदद करता है।

७. दोहिते (बेटी के पुत्र) का महत्व
वैदिक शास्त्रों में दोहिते को एक विशेष स्थान दिया गया है।

वंश का विस्तार: दोहिता नाना के वंश को आगे बढ़ाता है।

पुण्यकारी कार्य: दोहिते द्वारा किया गया श्राद्ध, नाना-नानी को पितृ ऋण से मुक्ति दिलाता है।

८. श्राद्ध के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
सात्विक जीवन: श्राद्ध के दिनों में सात्विक जीवन शैली अपनानी चाहिए।

ब्रह्मचर्य का पालन: इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

क्रोध से बचें: क्रोध, लोभ और अहंकार से दूर रहना चाहिए।

९. मातामह श्राद्ध का फल
इस श्राद्ध को करने से कई लाभ होते हैं।

पीढ़ी दर पीढ़ी आशीर्वाद: श्राद्ध करने वाले को न केवल पितरों का आशीर्वाद मिलता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी उसका लाभ होता है।

बाधाओं का निवारण: यह श्राद्ध जीवन की बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है।

१०. मातामह श्राद्ध का सामाजिक महत्व
यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामाजिक मूल्यों का भी प्रतीक है।

पारिवारिक एकता: यह परिवार के सदस्यों को एक साथ लाता है और रिश्तों को मजबूत बनाता है।

सम्मान: यह हमें अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करना सिखाता है। 👨�👩�👧�👦

Emoji सारांश: 🙏🕊�⏳🍛🎁✨👨�👩�👧�👦

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-22.09.2025-सोमवार.
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