सयाजी महाराज नवरात्रोत्सव, रोहणा (बुलढाणा): श्रद्धा और भक्ति का संगम-💖🙏✨🎶💃🎠

Started by Atul Kaviraje, September 24, 2025, 02:45:42 PM

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Atul Kaviraje

सयाजी महाराज नवरात्रोत्सव-रोहणा-बुलढाणा-

सयाजी महाराज नवरात्रोत्सव, रोहणा (बुलढाणा): श्रद्धा और भक्ति का संगम-

सयाजी महाराज नवरात्रोत्सव, जो महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के रोहणा गांव में मनाया जाता है, सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि लाखों भक्तों की आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। यह उत्सव विशेष रूप से शारदीय नवरात्रि के दौरान आयोजित होता है, जब भक्त देवी सयाजी महाराज की नौ दिनों तक पूजा-अर्चना करते हैं। यह उत्सव पारंपरिक उत्साह, भक्ति और सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत संगम है। 💖🙏

१. सयाजी महाराज मंदिर का इतिहास और महत्व
रोहणा में स्थित सयाजी महाराज मंदिर एक प्राचीन और पवित्र स्थल है। इस मंदिर का इतिहास कई सदियों पुराना माना जाता है और यह क्षेत्र के सबसे प्रमुख धार्मिक केंद्रों में से एक है।

(अ) ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में हुआ था और यह कई पीढ़ियों से भक्तों की श्रद्धा का केंद्र रहा है।

(ब) महत्व: यहां की सयाजी देवी को 'जागृत देवी' माना जाता है, जो भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं।

२. उत्सव का आरंभ और वातावरण
सयाजी महाराज नवरात्रोत्सव का आरंभ घटस्थापना के साथ होता है, जो नवरात्रि के पहले दिन यानी 22 सितंबर, 2025 को है।

(अ) उत्सव का माहौल: उत्सव शुरू होते ही पूरे रोहणा में एक भक्तिमय और उत्साहपूर्ण वातावरण छा जाता है। मंदिर को फूलों, दीपों और रंगीन लाइट्स से सजाया जाता है। ✨

(ब) भक्तों का आगमन: महाराष्ट्र के कोने-कोने से ही नहीं, बल्कि पड़ोसी राज्यों से भी भक्त देवी के दर्शन के लिए आते हैं।

३. नवरात्रि के नौ दिन और पूजा विधान
उत्सव के दौरान नौ दिनों तक देवी सयाजी महाराज के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है।

(अ) दैनिक पूजा: हर दिन सुबह और शाम विशेष आरती और पूजा होती है। भक्तगण देवी को चुनरी, फूल और मिठाई अर्पित करते हैं।

(ब) जागरण और भजन: रात में जागरण, भजन और कीर्तन का आयोजन होता है, जिसमें भक्त पूरी रात देवी का गुणगान करते हैं। 🎶

४. पारंपरिक गरबा और डांडिया
सयाजी महाराज उत्सव में गरबा और डांडिया का विशेष महत्व है।

(अ) नृत्य का आयोजन: मंदिर परिसर और आसपास के मैदानों में गरबा और डांडिया रास का आयोजन होता है।

(ब) उत्साह: युवा और बुजुर्ग दोनों पारंपरिक वेशभूषा में इस नृत्य में भाग लेते हैं। 💃

५. महाप्रसाद और भंडारा
उत्सव के दौरान महाप्रसाद का वितरण एक महत्वपूर्ण परंपरा है।

(अ) भंडारे का आयोजन: मंदिर प्रशासन और भक्त मिलकर रोजाना भक्तों के लिए भंडारे का आयोजन करते हैं।

(ब) सेवा भाव: यह आयोजन निस्वार्थ सेवा और भाईचारे का प्रतीक है।

६. सांस्कृतिक कार्यक्रम और मेले
सयाजी महाराज उत्सव के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम और मेले भी लगते हैं।

(अ) मनोरंजन: मेले में झूले, खिलौने और खाने-पीने की स्टॉल लगी होती हैं, जो बच्चों और बड़ों को समान रूप से आकर्षित करती हैं। 🎠

(ब) स्थानीय कलाकार: स्थानीय कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं, जिसमें लोकगीत और नृत्य शामिल हैं।

७. नवमी और विजयादशमी
नवरात्रि का समापन नवमी और दसवें दिन विजयादशमी के साथ होता है।

(अ) कन्या पूजन: नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है, जिसमें छोटी कन्याओं को देवी का रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है।

(ब) दशहरा: विजयादशमी के दिन रावण दहन का आयोजन होता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। 🏹

८. सुरक्षा और व्यवस्था
इतने बड़े उत्सव को सफल बनाने के लिए पुलिस और मंदिर प्रशासन द्वारा कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जाती है।

(अ) भीड़ नियंत्रण: भीड़ को नियंत्रित करने के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं।

(ब) स्वच्छ भारत अभियान: उत्सव के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

९. सयाजी महाराज उत्सव का सामाजिक महत्व
यह उत्सव केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का भी प्रतीक है।

(अ) भाईचारा: यह उत्सव सभी धर्मों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है।

(ब) आपसी प्रेम: लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं और आपसी प्रेम और सद्भाव को बढ़ावा देते हैं। 🤝

१०. सयाजी महाराज उत्सव का संदेश
यह उत्सव हमें कई महत्वपूर्ण संदेश देता है।

भक्ति और विश्वास: यह हमें सच्ची भक्ति और विश्वास का महत्व सिखाता है।

शक्ति का सम्मान: यह नारी शक्ति के सम्मान का संदेश देता है।

बुराई पर अच्छाई की जीत: यह हमें बताता है कि अंत में हमेशा सच्चाई की जीत होती है।

Emoji सारांश: 💖🙏✨🎶💃🎠🏹🤝

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-22.09.2025-सोमवार.
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