श्री तुळजा भवानी नवरात्र उत्सव-उमरा, तालुका-कळंब-🙏✨❤️-1-

Started by Atul Kaviraje, September 24, 2025, 02:55:34 PM

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Atul Kaviraje

श्री तुळजा भवानी नवरात्र उत्सव-उमरा, तालुका-कळंब-

दिनांक: २२ सितंबर, २०२५
दिन: सोमवार

जय माता दी! 🙏

महाराष्ट्र की पावन भूमि पर, मराठवाड़ा के उस्मानाबाद जिले में, मां तुळजा भवानी का वास है। उनका यह प्राचीन मंदिर एक शक्तिपीठ है और लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र है। इसी भक्ति और आस्था का एक अद्भुत उदाहरण है, उमरा, तालुका-कळंब में मनाया जाने वाला श्री तुळजा भवानी नवरात्र उत्सव। यह उत्सव सिर्फ एक पूजा नहीं, बल्कि भक्ति, संस्कृति और परंपरा का संगम है।

१. प्रस्तावना और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
यह उत्सव उमरा गांव की पहचान है, जो अपनी गहरी धार्मिक जड़ों और भक्तिभाव के लिए जाना जाता है। यहां का नवरात्र उत्सव सदियों से चली आ रही परंपराओं का निर्वहन करता है, जिसमें मां जगदंबा की शक्ति और कृपा को महसूस किया जाता है।

उमरा का महत्व: उमरा गांव, जहां देवी का मंदिर है, यहां के लोगों के लिए केवल एक स्थान नहीं, बल्कि एक पवित्र तीर्थ है। यह उत्सव गांव के हर घर में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करता है।

ऐतिहासिक विरासत: यह उत्सव मराठा काल से चली आ रही मान्यताओं और रीति-रिवाजों का प्रतीक है, जहां छत्रपति शिवाजी महाराज स्वयं मां तुळजा भवानी के अनन्य भक्त थे। ⚔️🛡�

२. नवरात्र उत्सव का शुभारंभ
नवरात्र का पहला दिन, जिसे घटस्थापना कहते हैं, इस उत्सव का आधिकारिक आरंभ होता है। यह एक पवित्र अनुष्ठान है जो नौ दिनों की यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है।

घटस्थापना का महत्व: मिट्टी के कलश में जल भरकर, उसमें जौ या धान बोकर, देवी का आवाहन किया जाता है। यह कलश सृष्टि और जीवन का प्रतीक है। 🌱

प्रतीक और चिह्न: घट, नारियल, आम के पत्ते और लाल रंग के वस्त्र इस अनुष्ठान के मुख्य प्रतीक हैं, जो समृद्धि और शुभता का प्रतिनिधित्व करते हैं। 🥥🌿

३. भक्ति और उपासना के विविध रूप
नवरात्र के नौ दिनों में, मां तुळजा भवानी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। हर दिन का अपना एक विशेष महत्व और रंग होता है।

देवी के नौ स्वरूप: शैलपुत्री से लेकर सिद्धिदात्री तक, हर स्वरूप की पूजा भक्त पूरी श्रद्धा और प्रेम से करते हैं। यह भक्तों को शक्ति और प्रेरणा प्रदान करता है।

भजन और कीर्तन: शाम के समय मंदिर में भजन, कीर्तन और देवी के जयकारे गूंजते हैं। यह वातावरण को भक्तिमय और ऊर्जावान बना देता है। 🎶🔔

४. पारंपरिक अनुष्ठान और लोककलाएँ
उमरा में नवरात्र उत्सव सिर्फ पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह लोककलाओं और सांस्कृतिक गतिविधियों का भी केंद्र बन जाता है।

पालखी सोहळा: देवी की पालखी (पालकी) को पूरे गांव में घुमाया जाता है। यह एक भव्य जुलूस होता है जिसमें हजारों भक्त भाग लेते हैं। यह जुलूस देवी के प्रति लोगों के प्रेम और सम्मान को दर्शाता है। ✨🚶�♀️

जागरण और गोंधळ: रात में जागरण और गोंधळ का आयोजन होता है, जिसमें भक्त लोकगीतों के माध्यम से देवी की स्तुति करते हैं। यह महाराष्ट्र की एक अनूठी लोककला है। 🥁

५. प्रसाद और सामुदायिक भोजन
नवरात्र के दौरान, सामुदायिक भोजन का आयोजन किया जाता है, जो एकता और भाईचारे का प्रतीक है।

भंडारा: मंदिर में रोजाना भंडारा आयोजित किया जाता है, जहां सभी भक्त एक साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण करते हैं।

भक्तिभाव और सेवा: इस सेवा में हर कोई अपनी भागीदारी सुनिश्चित करता है, चाहे वह भोजन बनाने में हो या परोसने में। यह निस्वार्थ सेवा का सुंदर उदाहरण है। 🍲🤝

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-22.09.2025-सोमवार.
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