अंबाबाई नवरात्र संगीत महोत्सव-मिरज-1-

Started by Atul Kaviraje, September 24, 2025, 02:58:50 PM

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Atul Kaviraje

अंबाबाई नवरात्र संगीत महोत्सव-मिरज-

दिनांक: २२ सितंबर, २०२५
दिन: सोमवार

जय माता दी! 🙏

मिरज, महाराष्ट्र का एक ऐसा शहर है जिसे न केवल अपनी ऐतिहासिक विरासत के लिए जाना जाता है, बल्कि यह हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का एक प्रमुख केंद्र भी है। जब भक्ति और संगीत का संगम होता है, तो एक अद्भुत उत्सव का जन्म होता है - अंबाबाई नवरात्र संगीत महोत्सव। यह महोत्सव, जो शारदीय नवरात्र के दौरान अंबाबाई मंदिर में आयोजित होता है, केवल एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि कला, संस्कृति और भक्ति का एक अनुपम उदाहरण है।

१. प्रस्तावना और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
मिरज का अंबाबाई मंदिर, जिसे 'जागृत देवस्थान' माना जाता है, नवरात्र के नौ दिनों में भक्ति और संगीत के स्वरों से गूंज उठता है। यह संगीत महोत्सव सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा है, जो संगीत के माध्यम से देवी की आराधना पर जोर देता है।

मिरज का संगीत केंद्र: मिरज अपनी सितार, तानपुरा और अन्य वाद्य यंत्रों के निर्माण के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इसी कारण, यहां का अंबाबाई नवरात्र संगीत महोत्सव एक स्वाभाविक और महत्वपूर्ण आयोजन बन गया है। 🎶

कला और भक्ति का संगम: यह महोत्सव इस बात का प्रमाण है कि कला और भक्ति एक-दूसरे से अलग नहीं हैं, बल्कि वे एक ही आध्यात्मिक यात्रा के दो अलग-अलग पहलू हैं। 🎻

२. महोत्सव का शुभारंभ: घटस्थापना और सुरों का आवाहन
नवरात्र का पहला दिन, यानी घटस्थापना, इस संगीत महोत्सव का आधिकारिक आरंभ होता है। यह दिन पवित्र अनुष्ठानों और संगीतमय वातावरण के साथ शुरू होता है।

घटस्थापना का महत्व: मंदिर में मंत्रोच्चार के बीच कलश स्थापित किया जाता है। यह कलश नवजीवन और प्रकृति की ऊर्जा का प्रतीक है। 🌱

प्रारंभिक संगीत सभा: घटस्थापना के तुरंत बाद, मंदिर परिसर में पहली संगीत सभा का आयोजन किया जाता है, जिसमें स्थानीय और आमंत्रित कलाकार देवी के सम्मान में भक्ति संगीत प्रस्तुत करते हैं। 🎼

३. संगीत की विविध शैलियाँ
नौ दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की विभिन्न शैलियों का प्रदर्शन किया जाता है, जिससे यह कला प्रेमियों और भक्तों के लिए एक यादगार अनुभव बन जाता है।

ख्याल और ध्रुपद: सुबह और शाम की सभाओं में कलाकार शास्त्रीय रागों में ख्याल और ध्रुपद प्रस्तुत करते हैं, जो देवी की महिमा का वर्णन करते हैं।

भजन और ठुमरी: भक्ति से भरे भजन और भावपूर्ण ठुमरी भी इस महोत्सव का हिस्सा होते हैं, जो सीधे दर्शकों के दिल को छू जाते हैं। ❤️

४. पारंपरिक वाद्य यंत्रों की गूंज
इस महोत्सव में, भारतीय पारंपरिक वाद्य यंत्रों की मधुर गूंज पूरे वातावरण को संगीतमय बना देती है।

सितार और तानपुरा: मिरज के कारीगरों द्वारा बनाए गए सितार और तानपुरा की मधुर ध्वनि भक्तों को एक दिव्य अनुभव प्रदान करती है। 🎸

तबला और पखावज: तबला और पखावज की थाप संगीत में लय और ऊर्जा भरती है, जिससे श्रोतागण पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। 🥁

५. प्रसाद वितरण और अन्नदान
संगीत के साथ-साथ, भक्ति और सेवा की भावना भी इस महोत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

सामुदायिक भोजन: हर दिन, मंदिर में भक्तों के लिए स्वादिष्ट प्रसाद और भोजन की व्यवस्था की जाती है। यह आयोजन भक्तों के बीच एकता और भाईचारे को बढ़ावा देता है। 🍲

सेवा का महत्व: कई स्वयंसेवक इस अन्नदान सेवा में निस्वार्थ भाव से भाग लेते हैं, जिससे यह महोत्सव और भी अधिक सार्थक बन जाता है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-22.09.2025-सोमवार.
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