श्री गजानन महाराज का दर्शन एवं उनका उपास्य रूप- 🙏🌺श्री गजानन महाराज की महिमा-

Started by Atul Kaviraje, September 26, 2025, 04:39:48 PM

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Atul Kaviraje

श्री गजानन महाराज का दर्शन एवं उनका उपास्य रूप-

🙏🌺श्री गजानन महाराज की महिमा (कविता)🌺🙏-

**चरण 1: **
शेगाँव के संत, तुम संत महान,
अद्भुत तेरी लीला, तू है गुणवान।
भक्तों का कष्ट, तू लेवे हर पल,
अमृत रस धारा, तेरी आँखों का जल।

अर्थ: हे शेगाँव के संत, आप महान हैं। आपकी लीलाएँ अद्भुत हैं और आप गुणों से भरे हुए हैं। आप हमेशा अपने भक्तों के कष्ट हर लेते हैं। आपकी आँखों से बहने वाला अमृत रूपी जल भक्तों को शांति देता है।

**चरण 2: **
पहने न वस्त्र, तू दिगंबर रूप,
मोह से परे, निर्मल स्वरूप।
माटी में खेले, तू योगीराज,
संसार से निर्लिप्त, दिव्य तेरा ताज।

अर्थ: आप वस्त्र नहीं पहनते, आपका स्वरूप दिगंबर है, जो दर्शाता है कि आप मोह से परे हैं। आप मिट्टी में खेलते हैं और एक महान योगी हैं। आप इस संसार से निर्लिप्त हैं और आपका दिव्य तेज ही आपका मुकुट है।

**चरण 3: **
सूखे कुएँ में जल, तुमने भरा,
जल पर चले, अद्भुत है कला।
तुमने दिखाया, योग का ज्ञान,
तुम्हारे चरणों में, मेरा प्रणाम।

अर्थ: आपने सूखे कुएँ में पानी भर दिया और पानी पर भी चले, जो आपकी अद्भुत शक्तियों को दिखाता है। आपने योग का ज्ञान प्रदर्शित किया है। मैं आपके चरणों में प्रणाम करता हूँ।

**चरण 4: **
अहंकार को तूने, दूर भगाया,
सेवा का मार्ग, सबको बताया।
हर जीव में ईश्वर, तूने है देखा,
प्रेम की परिभाषा, तूने ही लिखा।

अर्थ: आपने अहंकार को दूर भगाया और सबको सेवा का मार्ग सिखाया। आपने हर जीव में ईश्वर को देखा और प्रेम की सच्ची परिभाषा को दर्शाया।

**चरण 5: **
श्रद्धा और सबुरी, तेरा संदेश,
रखना है धीरज, मिटे हर क्लेश।
गण गण गणात बोते, यही जाप है,
तुम्हारे ही नाम में, हर पाप साफ है।

अर्थ: आपका संदेश है कि श्रद्धा और धैर्य रखो, इससे हर दुःख दूर हो जाएगा। "गण गण गणात बोते" का जाप ही सबसे श्रेष्ठ है, और आपके नाम में ही सभी पाप धुल जाते हैं।

**चरण 6: **
भक्तों की पुकार, तूने है सुनी,
आकर तूने, हर विपदा बुनी।
तुम ही हो माता, तुम ही हो पिता,
तुम ही हो गुरु, तुम ही हो विधाता।

अर्थ: आपने हमेशा अपने भक्तों की पुकार सुनी है और उनकी हर विपत्ति को दूर किया है। आप ही हमारे माता-पिता, गुरु और विधाता हैं।

**चरण 7: **
शेगाँव के दाता, हे गजानन,
तेरे दर्शन से, मिला सुख-धन।
करते हैं विनती, तेरी हर बार,
कृपा तेरी रहे, अब और सदा।

अर्थ: हे शेगाँव के दाता, हे गजानन, आपके दर्शन से हमें सुख और धन की प्राप्ति हुई है। हम हर बार आपसे यही प्रार्थना करते हैं कि आपकी कृपा हम पर हमेशा बनी रहे।

भावार्थ: यह कविता श्री गजानन महाराज की महिमा और उनके जीवन के प्रमुख पहलुओं का वर्णन करती है। इसमें उनके दिगंबर स्वरूप, योगिक शक्तियों, सरल जीवन, और भक्तों के प्रति उनके प्रेम को दर्शाया गया है। यह हमें श्रद्धा और सबुरी के महत्व को सिखाती है और बताती है कि महाराज का नाम जपने से ही सभी कष्टों का निवारण हो जाता है। 💖💫✨

--अतुल परब
--दिनांक-25.09.2025-गुरुवार.
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