🙏🌺 श्री गुरुदेव दत्त और भक्त की अंतर्निहित आध्यात्मिक शुद्धि 🌺🙏-💖💫✨

Started by Atul Kaviraje, September 26, 2025, 04:40:39 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

🙏🌺 श्री गुरुदेव दत्त और भक्त की अंतर्निहित आध्यात्मिक शुद्धि 🌺🙏-

🙏🌺 श्री गुरुदेव दत्त की महिमा (कविता)🌺🙏
-
चरण १:
दत्त दिगंबर, आप हैं महान अवतार,
ब्रह्मा, विष्णु, महेश, तीनों का ज्ञान।
भक्तों के हृदय में, आप ही हैं देव,
आपकी कृपा से, होता मोक्ष का भाव।

अर्थ: हे दिगंबर दत्त, आप महान अवतार हैं, जिनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों का ज्ञान समाहित है। आप ही भक्तों के हृदय में निवास करते हैं, और आपकी कृपा से ही मोक्ष प्राप्त होता है।

चरण २:
तीन मुख, छह हाथ, आपका स्वरूप,
ज्ञान-भक्ति-वैराग्य का अनुपम रूप।
चार श्वान हैं वेद, कामधेनु गाय,
आपकी कृपा से, जीवन का मार्ग जगमगाता जाए।

अर्थ: आपका स्वरूप तीन मुख और छह हाथों का है, जो ज्ञान, भक्ति और वैराग्य का प्रतीक है। चार कुत्ते चार वेदों के प्रतीक हैं और कामधेनु गाय आपकी कृपा से जीवन का मार्ग रोशन करती है।

चरण ३:
कर्म और भक्ति, दोनों का संगम,
आपने सिखाया, कैसे जिएं संगम।
निःस्वार्थ सेवा, आपका उपदेश,
हृदय से मिटते, सारे क्लेश।

अर्थ: आपने कर्म और भक्ति इन दोनों का संगम सिखाया। आपने निःस्वार्थ सेवा का उपदेश दिया, जिससे हृदय के सभी दुःख मिट जाते हैं।

चरण ४:
गुरु मंत्र, आपका नाम, जपता हूँ मैं सदा,
मन शुद्ध होता है, मिलता है मोद।
अहंकार के परदे, आप हटाते हैं,
आत्म-ज्ञान का प्रकाश, आप ही दिखाते हैं।

अर्थ: मैं हमेशा आपका गुरु मंत्र और नाम जपता हूँ, जिससे मेरा मन शुद्ध होता है और आनंद मिलता है। आप अहंकार के परदे दूर करते हैं और आत्म-ज्ञान का प्रकाश दिखाते हैं।

चरण ५:
आपकी शिक्षा, आप ही गुरु,
आप ही मार्ग, आप ही गुरुवरू।
श्रद्धा और समर्पण, आप ही सिखाते हैं,
आपके चरणों में, मैं माथा टेकता हूँ।

अर्थ: आपकी शिक्षा ही मेरा गुरु है। आप ही मार्ग और आप ही महान गुरु हैं। आप ही श्रद्धा और समर्पण सिखाते हैं, इसलिए मैं आपके चरणों में नतमस्तक हूँ।

चरण ६:
सांसारिक मोह, आपने दूर किया,
जीवन को सही अर्थ, आपने ही दिया।
जीवन-मृत्यु के चक्र से, आपने मुक्त किया,
आपकी कृपा से, सारे पाप धुल गए।

अर्थ: आपने सांसारिक मोह दूर किया और जीवन को सही अर्थ दिया। आपने जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त किया और आपकी कृपा से सारे पाप धुल गए।

चरण ७:
हे दत्तात्रेय, आप दयालु महान,
आपकी कृपा से, मिलता आत्म-ज्ञान।
मेरे हृदय में, आपका वास हो,
मेरे जीवन में, आपका ही प्रकाश हो।

अर्थ: हे दत्तात्रेय, आप महान और दयालु हैं। आपकी कृपा से ही आत्म-ज्ञान मिलता है। मेरे हृदय में आपका वास हो और मेरे जीवन में आपका ही प्रकाश हो।

भावार्थ: यह कविता श्री गुरुदेव दत्त के स्वरूप और उनकी शिक्षा का वर्णन करती है। इसमें उनके त्रिमूर्ति रूप का महत्व, भक्तों की आंतरिक शुद्धि की प्रक्रिया, और गुरु मंत्र, सेवा तथा समर्पण का महत्व बताया गया है। कविता से यह स्पष्ट होता है कि गुरु दत्त की कृपा से ही आत्मज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है।💖💫✨

--अतुल परब
--दिनांक-25.09.2025-गुरुवार.
===========================================