💖 ललिता पंचमी (शुक्रवार, 26 सितंबर) - भक्ति, शक्ति और सौभाग्य का पर्व ✨-🌸👸🔱

Started by Atul Kaviraje, September 27, 2025, 10:51:44 AM

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Atul Kaviraje

ललिता पंचमी-

💖 ललिता पंचमी (शुक्रवार, 26 सितंबर) - भक्ति, शक्ति और सौभाग्य का पर्व ✨-

ललिता पंचमी, जिसे उपांग ललिता व्रत भी कहते हैं, शारदीय नवरात्रि के पाँचवें दिन, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन आदि शक्ति माँ ललिता देवी को समर्पित है, जो दस महाविद्याओं में से एक हैं और त्रिपुर सुंदरी तथा षोडशी के नाम से भी जानी जाती हैं। यह पर्व देवी की दिव्य शक्ति, सौंदर्य और सौभाग्य का प्रतीक है।

✨ इमोजी सारांश (Emoji Summary):
माँ ललिता - 🌸👸🔱
दिन - 📅 शुक्रवार, 26 सितंबर
पर्व - 🕉� नवरात्रि पंचमी, उपांग ललिता व्रत
भाव - 🙏 भक्ति, 💖 सौभाग्य, 💫 शक्ति
प्रतीक - 🛡� असत्य पर सत्य की विजय

10 प्रमुख बिंदु: ललिता पंचमी का विस्तृत विवेचन
1. 📅 तिथि और महत्व (Date and Significance)
1.1. शारदीय नवरात्रि का पाँचवाँ दिन: यह व्रत प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्रि के पाँचवें दिन आता है, जिस दिन माँ दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की भी पूजा की जाती है।

1.2. उपांग ललिता व्रत: इस व्रत को 'उपांग ललिता व्रत' के नाम से जाना जाता है, जो भक्तों को सुख-समृद्धि, शक्ति और सौभाग्य प्रदान करता है।

1.3. देवी का स्वरूप: माँ ललिता सौंदर्य, ऐश्वर्य और ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी हैं। उनकी पूजा से भक्तों के सभी रोग, दोष और कष्ट दूर होते हैं।

सिंबल: 💖 (प्रेम) ✨ (सौंदर्य) 👑 (ऐश्वर्य)

2. 🔱 आदि शक्ति का रूप (Incarnation of Adi Shakti)
2.1. दस महाविद्याओं में स्थान: माँ ललिता देवी दस महाविद्याओं में से तीसरी हैं, जो ब्रह्मांड की सर्वोच्च शक्ति को दर्शाती हैं।

2.2. सती और पार्वती का स्वरूप: पौराणिक कथाओं के अनुसार, माँ ललिता देवी सती/पार्वती का ही एक रूप हैं।

2.3. त्रिपुर सुंदरी और षोडशी: उन्हें त्रिपुर सुंदरी (तीनों लोकों में सुंदर) और षोडशी (सोलह कलाओं से युक्त) नामों से भी पूजा जाता है।

सिंबल: त्रिशूल 🔱, कमल 🌸

3. 📜 पौराणिक कथा: भांडासुर वध (The Legend of Bhandasura)
3.1. भांडासुर की उत्पत्ति: कामदेव के भस्म होने के बाद उनकी राख से भांडासुर नामक दैत्य उत्पन्न हुआ, जिसने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया।

3.2. माँ का प्राकट्य: देवताओं के आह्वान पर, भांडासुर के अत्याचारों को समाप्त करने के लिए माँ ललिता देवी का प्राकट्य हुआ।

3.3. असत्य पर सत्य की विजय: इस दिन माँ ललिता ने भांडासुर का वध किया, जो बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है।

सिंबल: 🏹 (धनुष-बाण) 🔥 (असुर दहन)

4. 🕉� पूजा विधि और विधान (Worship Rituals)
4.1. संकल्प और शुद्धि: व्रत के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर, स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लिया जाता है।

4.2. प्रतिमा स्थापना: पूजा स्थल पर एक चौकी पर लाल या पीले वस्त्र बिछाकर देवी ललिता की प्रतिमा या चित्र स्थापित किया जाता है।

4.3. पंचोपचार पूजा: गणेश, शिव, पार्वती और सूर्यदेव के साथ माँ ललिता की पंचोपचार (या षोडशोपचार) पूजा की जाती है।

सिंबल: 🕯� (दीपक) 💐 (फूल) 🥥 (नारियल)

5. 💖 विशेष भोग और अर्पण (Special Offerings)
5.1. श्रृंगार सामग्री: माँ ललिता को श्रृंगार की वस्तुएँ, विशेष रूप से लाल चुनरी, कुमकुम, हल्दी और मेंहदी अर्पित करना शुभ माना जाता है।

5.2. नैवेद्य (भोग): उन्हें खीर, लाडू, या फल का भोग लगाया जाता है।

5.3. मंत्र जाप: इस दिन 'ललिता सहस्त्रनाम', 'ललिता त्रिशती' और 'ॐ श्री ललिता त्रिपुरसुन्दरियै देव्यै नमः' मंत्रों का जाप अत्यंत शुभ होता है।

सिंबल: 💄 (श्रृंगार) 🍚 (खीर) 📿 (माला)

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-26.09.2025-शुक्रवार.
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