🙏 श्री राष्ट्रसंत सद्गुरू जनार्दन स्वामी जयंती (शुक्रवार, 26 सितंबर) 🕉️-1-🧘‍♂

Started by Atul Kaviraje, September 27, 2025, 10:53:14 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

श्री राष्ट्रसंत सद्गुरू जनार्दन स्वामी जयंती-

कुछ स्रोतों के अनुसार, श्री राष्ट्रसंत सद्गुरू जनार्दन स्वामी (मौनीगिरी) महाराज की जयंती आश्विन शुद्ध ललिता पंचमी को मनाई जाती है। चूँकि आपने तिथि 26 सितंबर और दिन शुक्रवार दिया है, जो ललिता पंचमी के साथ मेल खाता है (जैसा कि वर्ष 2025 में है), इसलिए लेख उसी आध्यात्मिक और लोक-कल्याणकारी संत के जीवन और कार्यों पर केंद्रित है, जिन्हें योग मूर्ति और निष्काम कर्मयोगी के रूप में जाना जाता है।

🙏 श्री राष्ट्रसंत सद्गुरू जनार्दन स्वामी जयंती (शुक्रवार, 26 सितंबर) 🕉�-

श्री राष्ट्रसंत सद्गुरू जनार्दन स्वामी (मौनीगिरी) महाराज का जीवन भक्ति, योग, समाज सुधार और निष्काम कर्म का एक प्रेरणास्रोत है। उनका जन्म 24 सितंबर 1914 को ललिता पंचमी के पावन दिन पर हुआ था, और इसलिए यह तिथि उनके भक्त परिवार के लिए एक महान उत्सव का दिन होती है। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन मानव कल्याण और आध्यात्मिक उत्थान के लिए समर्पित कर दिया।

✨ इमोजी सारांश (Emoji Summary):
संत - 🧘�♂️🕉�🙏
दिवस - 📅 26 सितंबर, शुक्रवार
जीवन दर्शन - 💖 योग, 🌿 गोसेवा, 📚 गुरुकुल
संदेश - 🕊� शांति, 🤝 मानव कल्याण

10 प्रमुख बिंदु: स्वामीजी के जीवन और कार्यों का विस्तृत विवेचन
1. 👶 जन्म और प्रारंभिक जीवन (Birth and Early Life)
1.1. जन्म तिथि और स्थान: स्वामीजी का जन्म 24 सितंबर 1914 को महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के कन्नड़ तालुक के टापरगाँव (Tapergaon) में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था।

1.2. पावन तिथि का संयोग: उनका जन्म आश्विन शुक्ल ललिता पंचमी (Lalit Panchami) के शुभ दिन हुआ, जिससे इस जयंती का आध्यात्मिक महत्व और बढ़ जाता है।

1.3. बचपन से शिव-भक्ति: वे बचपन से ही भगवान शिव और हनुमान के अनन्य भक्त थे और नियमित रूप से कठिन उपवास और धार्मिक अनुष्ठान करते थे।

सिंबल: 👶 (जन्म) 🪷 (ललिता पंचमी) 🔱 (शिव)

2. 🧘�♂️ योग और साधना (Yoga and Penance)
2.1. तीव्र तपश्चर्या: उन्होंने वेद, शास्त्र और योग का गहन अध्ययन किया और अत्यंत कठिन तपस्या की। कई दिनों तक वे केवल एक लौंग और एक वाटी दूध पर 18-18 घंटे साधना करते थे।

2.2. गुरु दीक्षा: तपस्या के दौरान ही उन्हें साक्षात्कार हुआ और नागा बाबा (योगी) से दीक्षा लेकर उन्होंने जीवन के दूसरे अध्याय की शुरुआत की।

2.3. योग मूर्ति: उन्हें 'योग मूर्ति' (Yog Murti) के नाम से जाना जाता है क्योंकि उन्होंने योग को केवल साधुओं तक सीमित न रखते हुए, इसे सरल बनाकर आम जनता के लिए सुलभ बनाया।

सिंबल: 🧘�♂️ (योग) 🔥 (तप) ** गुरु**

3. 📚 गुरुकुल परंपरा का पुनरुद्धार (Revival of Gurukul Tradition)
3.1. संस्कार और शिक्षा: स्वामीजी का मानना था कि बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ उत्तम संस्कारों की शिक्षा मिलना अत्यंत आवश्यक है।

3.2. गुरुकुल की स्थापना: उन्होंने एलोरा, धामाणे, औरंगाबाद और कोपरगांव में वैदिक परंपरा पर आधारित गुरुकुल (Gurukul) और पाठशालाएँ स्थापित कीं।

3.3. निःशुल्क शिक्षा: उन्होंने गरीब और जरूरतमंद छात्रों के लिए त्र्यंबकेश्वर, नासिक और अन्य स्थानों पर निःशुल्क निवास और भोजन (Hostels with free stay and food) की सुविधा वाले छात्रावास भी शुरू किए।

सिंबल: 🏫 (गुरुकुल) 📖 (शिक्षा) 🧑�🎓 (छात्र)

4. 🐄 गोसेवा और पर्यावरण प्रेम (Cow Service and Environmental Love)
4.1. गौशालाएँ: स्वामीजी ने अपने प्रत्येक आश्रम में गौशालाएँ (Goshala) स्थापित कीं, जहाँ बड़ी संख्या में गायों और बछड़ों की देखभाल की जाती थी।

4.2. कृषि को प्रोत्साहन: उन्होंने कृषि और गौ-पालन को ईश्वर सेवा के समान माना और भक्तों को इन लोक कल्याणकारी कार्यों के लिए प्रेरित किया।

4.3. पर्यावरण संरक्षण: उनका जीवन प्रकृति और प्राणियों के प्रति गहरे प्रेम का उदाहरण था।

सिंबल: 🐄 (गाय) 🌳 (प्रकृति) 💚 (प्रेम)

5. 🔱 शिव मंदिरों का जीर्णोद्धार (Renovation of Shiva Temples)
5.1. मंदिर निर्माण और जीर्णोद्धार: स्वामीजी ने महाराष्ट्र में कई शिवालयों का जीर्णोद्धार (Renovation) किया जो उपेक्षित हो गए थे।

5.2. नए मंदिरों का निर्माण: उन्होंने नौ स्थानों पर नए शिव मंदिरों का निर्माण भी करवाया, जिससे शिव-भक्ति का प्रसार हुआ।

5.3. नागेश्वर दर्शन: उन्हें नागेश्वर महादेव के साक्षात् दर्शन हुए थे, जिसने उनकी शिव-भक्ति को और गहरा किया।

सिंबल: 🛕 (मंदिर) 🔨 (जीर्णोद्धार)

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-26.09.2025-शुक्रवार.
===========================================