🙏 श्री लाहिरी महाशय पुण्यदिन (शुक्रवार, 26 सितंबर) 🕉️-1-🧘‍♂️🕉️🙏

Started by Atul Kaviraje, September 27, 2025, 10:54:24 AM

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Atul Kaviraje

श्री लाहिरी महाशय पुण्यदिन-

श्री श्यामाचरण लाहिड़ी (Lahiri Mahasaya) को 'योगावतार' (Yoga Incarnation) और गृहस्थ योगी के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने क्रिया योग की प्राचीन विद्या को आधुनिक युग में पुनर्जीवित किया।

🙏 श्री लाहिरी महाशय पुण्यदिन (शुक्रवार, 26 सितंबर) 🕉�-

श्री श्री श्यामाचरण लाहिड़ी महाशय (30 सितंबर 1828 – 26 सितंबर 1895) को भारतीय आध्यात्मिक इतिहास के सबसे महान संतों में से एक माना जाता है। 26 सितंबर का दिन उनकी महासमाधि (सचेतन रूप से नश्वर देह का त्याग) का दिन है, जिसे उनके भक्त पुण्यदिन के रूप में मनाते हैं। वे योग विज्ञान को गुप्त गुफाओं से निकालकर, आम जनमानस तक पहुँचाने वाले, गृहस्थ जीवन (Householder) में रहते हुए आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करने के आदर्श थे।

✨ इमोजी सारांश (Emoji Summary):
योगी - 🧘�♂️🕉�🙏
दिवस - 📅 26 सितंबर (महासमाधि)
योग - 🔑 क्रिया योग (Kriya Yoga)
जीवन दर्शन - 🏡 गृहस्थ जीवन, 🤝 सर्वधर्म समभाव
संदेश - 🌌 ईश्वर से मिलन (God-Communion)

10 प्रमुख बिंदु: लाहिड़ी महाशय का जीवन और क्रिया योग का पुनरुद्धार
1. 🏡 जन्म और गृहस्थ जीवन (Birth and Householder Life)
1.1. जन्म और काशी आगमन: उनका जन्म 30 सितंबर 1828 को बंगाल के घुरनी ग्राम में हुआ। बचपन में ही उनका परिवार वाराणसी (काशी) आ गया, जो उनके कर्मभूमि बनी।

1.2. आदर्श गृहस्थ: वे एक संभ्रांत ब्राह्मण थे। उन्होंने विवाह किया, काशीमोनी देवी उनकी पत्नी बनीं (जो बाद में उनकी शिष्या भी बनीं)। उन्होंने बच्चों का पालन-पोषण किया और ब्रिटिश भारत सरकार के सैन्य इंजीनियरिंग विभाग में एक लेखापाल (Accountant) के रूप में कार्य किया।

1.3. दुर्लभ उदाहरण: उन्होंने यह साबित किया कि सर्वोच्च आध्यात्मिक पूर्णता प्राप्त करने के लिए संसार का त्याग (संन्यास) आवश्यक नहीं है, बल्कि अनासक्ति (Detachment) ही कुंजी है।

सिंबल: 👶 (जन्म) 🏠 (गृहस्थ) 💼 (कर्मयोगी)

2. ⛰️ महावतार बाबाजी से मिलन (Meeting with Mahavatar Babaji)
2.1. निर्णायक क्षण: 1861 में, नौकरी के सिलसिले में उनका तबादला रानीखेत के पास हिमालय की तलहटी में हुआ। वहीं, एक पहाड़ी पर, उन्होंने एक अदृश्य आवाज़ सुनी जिसने उन्हें बुलाया।

2.2. गुरु-शिष्य पुनर्मिलन: उस स्थान पर उनकी मुलाकात महावतार बाबाजी (Mahavatar Babaji) से हुई, जो उनके पूर्व जन्मों के गुरु थे। बाबाजी ने उन्हें तुरंत पहचान लिया।

2.3. दिव्य दीक्षा: बाबाजी ने एक भव्य स्वर्ण महल (Golden Palace) प्रकट कर लाहिड़ी महाशय को क्रिया योग की प्राचीन और पवित्र तकनीक में दीक्षा दी। यह क्षण क्रिया योग के पुनरुद्धार की शुरुआत थी।

सिंबल: ⛰️ (हिमालय) ** गुरु** (बाबाजी) ✨ (दिव्य दीक्षा)

3. 🔑 क्रिया योग का पुनरुद्धार (Revival of Kriya Yoga)
3.1. क्रिया योग का रहस्य: क्रिया योग एक प्राचीन, वैज्ञानिक ध्यान पद्धति है जो श्वास-नियंत्रण (प्राणायाम) और ऊर्जा-नियंत्रण (Energy Control) के माध्यम से त्वरित आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाती है।

3.2. बाबाजी का निर्देश: बाबाजी ने लाहिड़ी महाशय को निर्देश दिया कि वे इस गुप्त विद्या को केवल संन्यासियों के लिए नहीं, बल्कि संसार में रहने वाले सभी सच्चे साधकों के लिए सुलभ कराएँ।

3.3. योग का अवतार: परमहंस योगानंद ने उन्हें योगावतार (Incarnation of Yoga) कहा, क्योंकि उन्होंने योग की जटिलताओं को एक प्रभावी सादगी में बदल दिया, जिससे यह आम लोगों की समझ में आ सके।

सिंबल: 🔑 (क्रिया योग) 🧘�♂️ (पुनरुद्धार) 🌐 (वैश्विक प्रसार)

4. 🤝 सर्वधर्म समभाव (Non-Sectarianism)
4.1. सार्वभौमिकता: लाहिड़ी महाशय ने बिना किसी जाति, पंथ या धर्म के भेदभाव के सभी sincere साधकों को क्रिया योग की दीक्षा दी।

4.2. स्वयं के धर्म का सम्मान: उन्होंने अपने शिष्यों को अपने-अपने धर्म के सिद्धांतों और मान्यताओं का आदर करते हुए, उसमें क्रिया योग को जोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया।

4.3. एकता का संदेश: उनका मानना था कि सभी धर्म एक ही सत्य की ओर ले जाते हैं। उनके भक्तों में हिंदू, मुस्लिम, ईसाई और अन्य धर्मों के अनुयायी शामिल थे।

सिंबल: 🤝 (समभाव) 🕌 ⛪ 🛕 (धार्मिक एकता)

5. 📜 गीता की आध्यात्मिक व्याख्या (Spiritual Interpretation of the Gita)
5.1. शास्त्रों पर भाष्य: उन्होंने केवल क्रिया योग ही नहीं सिखाया, बल्कि श्रीमद्भगवद्गीता, वेद, सांख्य, योगदर्शन और अन्य संहिताओं की गहन आध्यात्मिक व्याख्याएँ (Commentaries) भी लिखीं और प्रकाशित करवाईं।

5.2. क्रिया योग का आधार: उनकी व्याख्याओं ने सिद्ध किया कि प्राचीन ग्रंथ, विशेषकर गीता, क्रिया योग की तकनीक और उसकी आवश्यकता को ही दर्शाते हैं।

5.3. 'योग' का सार: उन्होंने बताया कि गीता में कर्म, ज्ञान और भक्ति सभी का सार क्रिया योग में समाहित है।

सिंबल: 📜 (गीता) 📖 (व्याख्या) 🎯 (सार)

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-26.09.2025-शुक्रवार.
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