🙏 श्री लाहिरी महाशय पुण्यदिन (शुक्रवार, 26 सितंबर) 🕉️-2-🧘‍♂️🕉️🙏

Started by Atul Kaviraje, September 27, 2025, 10:54:50 AM

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Atul Kaviraje

श्री लाहिरी महाशय पुण्यदिन-

श्री श्यामाचरण लाहिड़ी (Lahiri Mahasaya) को 'योगावतार' (Yoga Incarnation) और गृहस्थ योगी के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने क्रिया योग की प्राचीन विद्या को आधुनिक युग में पुनर्जीवित किया।

6. 🧠 आंतरिक गुरु पर बल (Emphasis on Inner Guru)
6.1. गुरु की आवश्यकता: उन्होंने गहरे योग अभ्यास के लिए एक सच्चे गुरु की मदद को आवश्यक बताया।

6.2. आंतरिक मार्गदर्शन: उन्होंने शिष्यों को सलाह दी कि वे अपने गुरु को ध्यान के दौरान आंतरिक रूप से संपर्क करें, क्योंकि भौतिक रूप में देखना हमेशा आवश्यक नहीं है।

6.3. पूर्ण समर्पण: उन्होंने कहा, "सभी भक्तों के लिए अपने गुरु के प्रति पूरी तरह से समर्पित होना नितांत आवश्यक है।"

सिंबल: ** गुरु** (आध्यात्मिक गुरु) 💖 (समर्पण) 🙏 (आंतरिक प्रार्थना)

7. ⏳ महासमाधि और भविष्यवाणी (Mahasamadhi and Prophecy)
7.1. महासमाधि: 26 सितंबर 1895 को, महाष्टमी संदीक्षण के पवित्र दिन, उन्होंने वाराणसी में अपने शिष्यों के सामने घोषणा की, "मैं घर जा रहा हूँ। सांत्वना रखो; मैं फिर से उठूँगा।"

7.2. सचेतन प्रस्थान: उन्होंने तीन बार परिक्रमा की, उत्तर की ओर मुँह करके पद्मासन में बैठे और सचेतन रूप से (Consciously) अपनी नश्वर देह का त्याग कर महासमाधि ली।

7.3. पश्चिम की भविष्यवाणी: उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि उनके निधन के लगभग पचास साल बाद, योग में गहरी रुचि के कारण उनके जीवन का लेखा-जोखा लिखा जाएगा और योग का संदेश पूरी दुनिया में फैलेगा। (जो परमहंस योगानंद की "ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी" से पूरा हुआ)।

सिंबल: ⚰️ (महासमाधि) 🔮 (भविष्यवाणी) 🌎 (विश्व प्रसार)

8. 👪 महान शिष्यों की परंपरा (Lineage of Great Disciples)
8.1. गुरु-परंपरा: लाहिड़ी महाशय ने सीधे तौर पर कोई संगठन स्थापित नहीं किया, लेकिन उनके शिष्यों ने क्रिया योग की मशाल को आगे बढ़ाया।

8.2. प्रमुख शिष्य: उनके शिष्यों में स्वामी श्री युक्तेश्वर गिरि (परमहंस योगानंद के गुरु), भूपेंद्रनाथ सान्याल महाशय और पंचानन भट्टाचार्य (जिन्होंने आर्य मिशन की स्थापना की) शामिल थे।

8.3. योगानंद का आशीर्वाद: उन्होंने शिशु परमहंस योगानंद को आशीर्वाद दिया था, "छोटी माँ, तुम्हारा बेटा एक योगी बनेगा। एक आध्यात्मिक इंजन के रूप में, वह कई आत्माओं को भगवान के राज्य तक ले जाएगा।"

सिंबल: 👨�👩�👦 (शिष्य) 传承 (विरासत) 🌟 (योगानंद)

9. 💡 शिक्षाओं का सार (Essence of Teachings)
9.1. ईश्वर से मित्रता: "याद रखो कि तुम किसी के नहीं हो और न कोई तुम्हारा है। सोचो कि किसी दिन तुम्हें इस दुनिया में सब कुछ अचानक छोड़ना पड़ेगा – इसलिए अभी ईश्वर से परिचय बनाओ।"

9.2. ध्यान से समस्या निवारण: "अपने सभी समस्याओं का समाधान ध्यान (Meditation) के माध्यम से करो। अनुपयोगी अटकलों को वास्तविक ईश्वर-मिलन से बदलो।"

9.3. शरीर मंदिर है: "शरीर पवित्र मंदिर है। अंतर्वासी आत्मा के रूप में ईश्वर ही देवता हैं।"

सिंबल: 💬 (उपदेश) 🧘�♀️ (ध्यान) 🔑 (आत्म-साक्षात्कार)

10. 🖼� प्रेरक व्यक्तित्व (Inspiring Personality)
10.1. अनासक्ति: उन्हें उनके एक बेटी की मृत्यु के शोक के समय भी अनासक्त भाव से गीता पर प्रवचन जारी रखते हुए देखा गया था, जो उनकी स्थितिप्रज्ञता (Equanimity) को दर्शाता है।

10.2. चमत्कार और सेवा: उन्होंने अनेक बार अपने शिष्यों के जीवन को चमत्कारी रूप से बचाया और सच्चे साधकों को एक सुगंधित फूल की तरह अपनी ओर आकर्षित किया।

10.3. महानुभाव: उन्हें उनके शिष्यों द्वारा आदरपूर्वक 'महाशय' (महानुभाव) या 'योगीराज' (Yogiraj) कहा जाता था।

सिंबल: 👑 (योगीराज) 💖 (अनासक्ति) ✨ (दैवी तेज)

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-26.09.2025-शुक्रवार.
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