राष्ट्रसंत जनार्दन स्वामी (मौनगिरी) जयंती महोत्सव-"जनार्दन स्वामी की ज्योति"-

Started by Atul Kaviraje, September 27, 2025, 06:24:51 PM

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Atul Kaviraje

जनार्दन स्वामी जयंती-बेट कोपरगाव, जिल्हा-नगर-

राष्ट्रसंत जनार्दन स्वामी (मौनगिरी) जयंती महोत्सव-

हिंदी कविता: "जनार्दन स्वामी की ज्योति"-

चरण (Stanza)   हिंदी कविता (Hindi Poem)   प्रत्येक चरण का हिंदी अर्थ (Short Meaning)

१   सत्ताइस सितंबर का दिन महान,   २७ सितंबर का यह दिन बहुत महान है,
कोपरगाँव में स्वामी का गुणगान।   जब कोपरगाँव में संत स्वामी की महिमा का गुणगान हो रहा है।
बेट की धरती बनी है पावन,   कोपरगाँव की वह द्वीप जैसी धरती पवित्र हो गई है,
स्वामी का स्मरण है अति भावन।   और स्वामी का स्मरण करना हृदय को बहुत भाता है।

२   मौनगिरी वो, कर्मयोगी संत,   वे मौन साधना करने वाले, कर्मयोगी संत थे,
जीवन था जिनका सेवा अनंत।   जिनका पूरा जीवन केवल अनंत सेवा को समर्पित था।
कहा, 'कर्म कर, फल की न आस',   उन्होंने कहा कि 'कर्म करते रहो, लेकिन फल की इच्छा मत रखो',
यही धर्म है, यही सच्चा विश्वास।   यही सच्चा धर्म है, और यही सच्चा विश्वास भी है।

३   आँखों में ज्ञान, मुख पर था मौन,   उनकी आँखों में ज्ञान का तेज था, और मुख पर शांतिपूर्ण मौन था,
मन को जीतने का सीखाया कौन।   उन्होंने ही हमें मन को वश में करने का तरीका सिखाया।
शांत रहकर प्रभु को जानो,   शांत और स्थिर रहकर ही ईश्वर को पहचाना जा सकता है,
जीवन का सच्चा लक्ष्य मानो।   और यही जीवन का वास्तविक उद्देश्य है, ऐसा समझो।

४   जप अनुष्ठान और भजन की गूँज,   उत्सव में जप अनुष्ठान और भजनों की पवित्र ध्वनि गूँज रही है,
ज्ञान की धारा हर हृदय में पूँछ।   और ज्ञान की धारा हर भक्त के हृदय तक पहुँच रही है।
अन्नदान से भरे हर पेट,   सामुदायिक भोजन (अन्नदान) से सभी भूखे पेट भर रहे हैं,
मिटे गरीबी, दूर हो हर भेंट।   जिससे गरीबी मिटे और हर तरह का भेदभाव दूर हो।

५   गुरुवर ने खोले विद्या के द्वार,   गुरुवर (स्वामीजी) ने शिक्षा के लिए ज्ञान के द्वार खोले,
बच्चों को दिया ज्ञान अपार।   और बच्चों को अमूल्य ज्ञान प्रदान किया।
संस्कार और शिक्षा का मेल,   संस्कार और आधुनिक शिक्षा का यह सुंदर मेल है,
जीवन का बदले सारा खेल।   जो मनुष्य के पूरे जीवन की दिशा बदल देता है।

६   बंजर भूमि को जिसने सींचा,   जिस संत ने बंजर और बेकार भूमि को अपने श्रमदान से सींचा,
प्रेम की खेती को सबसे खींचा।   और प्रेम की भावना को हर किसी में आकर्षित किया।
शिव-शक्ति का किया प्रचार,   उन्होंने भगवान शिव और शक्ति की भक्ति का प्रचार किया,
बाँधा एकता का मजबूत तार।   और समाज को एकता के मजबूत धागे से बाँधा।

७   हे जनार्दन स्वामी, तुम्हारी जय हो,   हे जनार्दन स्वामी, आपकी जय हो,
गुरु कृपा की वर्षा हम पर हो।   आपकी गुरु कृपा की वर्षा हम सब पर होती रहे।
करम पथ पर हम चलें सदा,   हम हमेशा सही कर्म के मार्ग पर चलते रहें,
मिटे मन की हर विपदा।   और हमारे मन से हर तरह की कठिनाई और दुःख मिट जाए।

--अतुल परब
--दिनांक-27.09.2025-शनिवार.
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