प्राचीन भारतीय विज्ञान और इसकी आधुनिक प्रासंगिकता-"अमृत ज्ञान की धारा"-

Started by Atul Kaviraje, September 27, 2025, 06:28:44 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

प्राचीन भारतीय विज्ञान और इसकी आधुनिक प्रासंगिकता-

हिंदी कविता: "अमृत ज्ञान की धारा"-

चरण (Stanza)   हिंदी कविता (Hindi Poem)   प्रत्येक चरण का हिंदी अर्थ (Short Meaning)

१   प्राचीन भारत की बात महान,   प्राचीन भारत का इतिहास और ज्ञान बहुत महान है,
विज्ञान का था गहरा ज्ञान।   यहाँ विज्ञान की गहरी समझ मौजूद थी।
शून्य दिया जग को सबसे पहले,   भारत ने ही सबसे पहले संसार को 'शून्य' की अवधारणा दी,
गणना के सारे द्वार खुले।   जिससे गणित और गणना के सभी रास्ते खुल गए।

२   आर्यभट्ट ने सत्य पुकारा,   महान वैज्ञानिक आर्यभट्ट ने सत्य का उद्घोष किया,
गोल है धरती, है यह धारा।   कि पृथ्वी गोल है और गतिमान रहती है।
ग्रह, नक्षत्रों का था लेखा,   वे तारों, ग्रहों और नक्षत्रों का सटीक हिसाब रखते थे,
आधुनिक विज्ञान ने भी देखा।   जिसे आज के आधुनिक विज्ञान ने भी स्वीकार किया है।

३   आयुर्वेद में जीवन सार,   आयुर्वेद में स्वस्थ और दीर्घ जीवन का रहस्य छिपा है,
वात, पित्त, कफ का विचार।   यह शरीर के वात, पित्त और कफ जैसे तीन दोषों पर आधारित है।
सुश्रुत ने शल्य क्रिया जानी,   सुश्रुत ने ऑपरेशन (शल्य चिकित्सा) की विधि को समझा,
प्लास्टिक सर्जरी की कहानी।   और प्लास्टिक सर्जरी की शुरुआत यहीं से हुई।

४   पाणिनि के सूत्र हैं कमाल,   पाणिनि द्वारा रचित व्याकरण के सूत्र अद्भुत हैं,
संस्कृत भाषा का है जाल।   जो संस्कृत भाषा की तार्किक संरचना को दर्शाते हैं।
AI भी इसको माने आज,   आजकल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) भी इसका महत्व मानता है,
तर्कशक्ति का है यह ताज।   यह भाषा तर्कशक्ति का मुकुट है।

५   धातु विज्ञान की अद्भुत शान,   धातु विज्ञान में भारत की अद्भुत महिमा थी,
दिल्ली का स्तंभ है प्रमाण।   जिसका प्रमाण दिल्ली का जंग-रहित लौह स्तंभ है।
जंग लगे ना, सदियाँ गुज़रे,   उस लोहे पर सदियों से जंग नहीं लगी,
आज भी कारीगरी गूँजे।   उस उन्नत कारीगरी की गूँज आज भी सुनाई देती है।

६   कणाद ने परमाणु बताया,   महर्षि कणाद ने 'परमाणु' (अणु) की अवधारणा दी,
पदार्थों का रहस्य समझाया।   और पदार्थों की मौलिक संरचना का रहस्य समझाया।
ज्ञान की किरणें तब थीं फैली,   ज्ञान की ये किरणें प्राचीन काल में फैली थीं,
आज भी राह दिखाएँ पहली।   जो आज भी हमें पहली रोशनी की तरह रास्ता दिखाती हैं।

७   विरासत को अब पहचानो तुम,   अपनी इस महान वैज्ञानिक विरासत को अब पहचानो,
आधुनिकता में भी मान दो तुम।   और आधुनिक जीवन में भी इसे सम्मान दो।
ज्ञान की धारा बहती रहे,   यह ज्ञान की पवित्र धारा निरंतर बहती रहे,
भारत विश्व गुरु बनता रहे।   और भारत पुनः विश्व गुरु के रूप में स्थापित होता रहे।

--अतुल परब
--दिनांक-27.09.2025-शनिवार.
===========================================