गजगौरी व्रत - भक्ति भाव पूर्ण लेख- दिनांक: २८ सितंबर, रविवार-🐘 (गज) 🌸 (गौरी)

Started by Atul Kaviraje, September 28, 2025, 08:39:20 PM

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Atul Kaviraje

गजगौरी व्रत-

गजगौरी व्रत - भक्ति भाव पूर्ण लेख-

दिनांक: २८ सितंबर, रविवार (SUNDAY)

विषय: गजगौरी व्रत - सौभाग्य और अखंड सुहाग का पर्व 🐘🌸

१. व्रत का परिचय एवं आध्यात्मिक महत्व
गजगौरी व्रत (जिसे कई क्षेत्रों में गौरी तृतीया या हरतालिका तीज के साथ संबंधित माना जाता है) देवी पार्वती (गौरी) और उनके वाहन हाथी (गज) की पूजा को समर्पित है। यह व्रत भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य अखंड सौभाग्य, सुख-समृद्धि और परिवार की खुशहाली प्राप्त करना है। यह दिन पार्वती के तप और शिव के प्रति उनके अटूट प्रेम का प्रतीक है।

महत्व: यह व्रत सुहागिन स्त्रियों के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। कुंवारी कन्याएं भी उत्तम वर की प्राप्ति के लिए इसे करती हैं।

२. देवी गौरी का स्वरूप और गज (हाथी) का संबंध
गौरी का अर्थ है श्वेत, शुद्ध और तेजस्वी. वे प्रेम, सौंदर्य और शक्ति का साकार रूप हैं। गज (हाथी) बुद्धि, ऐश्वर्य और राजसी शक्ति का प्रतीक है। गजगौरी की पूजा में गज की उपस्थिति देवी के पूजन को समृद्धि और स्थिरता प्रदान करती है। हाथी की शक्ति भक्तों के संकटों को दूर करने का सामर्थ्य देती है।

३. व्रत की पूजन सामग्री और तैयारी
व्रत के लिए पूर्व संध्या से ही तैयारी शुरू हो जाती है।

आवश्यक सामग्री: देवी गौरी और गणेश की मूर्ति या चित्र, मिट्टी या बालू से बनी शिव-पार्वती की प्रतिमा, धूप, दीप, पुष्प, पंचामृत, सोलह श्रृंगार की सामग्री (चूड़ी, सिंदूर, मेहंदी आदि), फल, मिठाई और अक्षत.

विशेष: पूजा में दूब और बेलपत्र का प्रयोग अत्यंत शुभ माना जाता है।

४. पूजन विधि और अनुष्ठान
यह व्रत जलाहार या निर्जल उपवास के रूप में रखा जाता है।

संकल्प: सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प लें।

प्रतिमा स्थापना: शुभ मुहूर्त में चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर शिव-पार्वती और गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।

षोडशोपचार पूजा: देवी को सोलह श्रृंगार अर्पित करें। हाथी को दूर्वा और वस्त्र पहनाएं।

व्रत कथा श्रवण: संध्याकाल में गौरी व्रत की कथा ध्यान से सुनें या पढ़ें.

५. व्रत कथा का सार - देवी पार्वती का तप
कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए अत्यंत कठिन तपस्या की थी। उन्होंने जल और अन्न का त्याग कर दिया था। हरतालिका नाम का अर्थ है "हरित (अपहरण)$\text{+}$$\text{आलिका}$ (सहेली)", जिसका आशय यह है कि पार्वती की सहेली उन्हें जंगल में ले गई थी ताकि उनके पिता उनकी इच्छा के विरुद्ध उनका विवाह न करा सकें। यह कथा स्त्री के दृढ़ संकल्प और सच्चे प्रेम की जीत को दर्शाती है।

६. उदाहरण - भक्ति भाव की पराकाष्ठा
एक भक्त की भावना इस व्रत में इतनी गहरी होती है कि वह अपने सुहाग की रक्षा के लिए देवी से प्राणों की भिक्षा मांगती है। पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होल्कर जैसी धर्मपरायण नारियों ने भी धर्म और परंपरा को संरक्षण दिया, पार्वती के तप को आदर्श माना। यह व्रत केवल उपवास नहीं, पति के प्रति समर्पण और प्रेम की अग्निपरीक्षा है।

७. गजगौरी का धार्मिक और सामाजिक विवेचन
धार्मिक: यह व्रत शिव और शक्ति के मिलन का पर्व है, जो सृष्टि में संतुलन और पूर्णता का संदेश देता है।

सामाजिक: यह पर्व परिवार के सदस्यों को एकजुट करता है, संस्कृति का आदान-प्रदान होता है और स्त्रियों को अपनी इच्छाशक्ति व्यक्त करने का मंच मिलता है। सामुदायिक रूप से पूजा और कथावाचन प्रेम और बंधुत्व को बढ़ावा देता है।

८. व्रत का उद्यापन और पारण
व्रत का संपन्न होना उद्यापन कहलाता है।

उद्यापन: सोलह वर्ष तक व्रत निरंतर करने के बाद उद्यापन किया जाता है, जिसमें सोलह सुहागिनों को भोजन कराकर श्रृंगार सामग्री दान की जाती है।

पारण: अगले दिन पूजा के बाद देवी को चढ़ाए गए भोग को ग्रहण करके पारण किया जाता है, जलाहार व्रत में रात्रि को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पारण किया जाता है।

९. वर्तमान संदर्भ में व्रत की प्रासंगिकता
आज के आधुनिक युग में भी गजगौरी व्रत प्रासंगिक है। यह पति-पत्नी के संबंधों में गहराई, समझदारी और एक-दूसरे के प्रति समर्पण के भाव को पुष्ट करता है। यह व्रत महिला को आंतरिक शक्ति और धैर्य का मूल्य सिखाता है, जिससे वह जीवन की चुनौतियों का सामना कर सके।

१०. कामना और निष्कर्ष
गजगौरी व्रत केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति में नारी के अदम्य प्रेम और भक्ति का एक उत्सव है। प्रत्येक सुहागिन को यह व्रत प्रेम, धैर्य और ईश्वर पर अटूट विश्वास के साथ करना चाहिए. देवी गौरी सबका कल्याण करें और उनके सौभाग्य की रक्षा करें। जय गौरी मां! 🙏🐘

Emoji Saransh (इमोजी सारांश)
🐘 (गज) 🌸 (गौरी) 🔱 (शिव-शक्ति) 💍 (सौभाग्य) 💖 (प्रेम) ✨ (तप) 🙏🏻 (व्रत) 🍎 (भोग) 👑 (समृद्धि) 🗓
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  (भाद्रपद तृतीया)

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-28.09.2025-रविवार.
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