हIदगा (भोंडला): प्रकृति और नारी शक्ति का पावन उत्सव 🙏🐘-🐘🌾🎶💖-1-

Started by Atul Kaviraje, September 28, 2025, 08:46:01 PM

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Atul Kaviraje

हIदगा (भोंडला)-

हIदगा (भोंडला): प्रकृति और नारी शक्ति का पावन उत्सव 🙏🐘-

दिनांक: 28 सितंबर, रविवार

हादगा, जिसे महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों में भोंडला या भुलाबाई के नाम से जाना जाता है, यह विशेष रूप से कुँवारी कन्याओं द्वारा मनाया जाने वाला एक पारंपरिक, भक्तिपूर्ण और कृषि-संस्कृति से जुड़ा उत्सव है। यह उत्सव नारी शक्ति, प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है।

लेख: हIदगा (भोंडला) – भक्ति भाव और परंपरा
1. उत्सव का परिचय और कालक्रम (Introduction and Timeline) 📅
1.1. नाम और क्षेत्र: इस उत्सव को पश्चिम महाराष्ट्र और कोंकण में भोंडला या हादगा कहते हैं, जबकि विदर्भ और खानदेश में इसे भुलाबाई के नाम से जाना जाता है। 🌍

1.2. समय: यह प्रायः आश्विन मास में नवरात्रि के दौरान, हस्त नक्षत्र के प्रारंभ होने पर शुरू होता है। यह 9 दिन (नवरात्रि) या 10 दिन (दशहरा तक) या फिर पूरे 16 दिन (हस्त नक्षत्र के दिवस) तक चलता है। भुलाबाई उत्सव एक महीने तक भी चलता है।

1.3. उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य अच्छी फसल, समृद्धि, और जीवन में खुशहाली की कामना करना है। इसे पृथ्वी के सुफलीकरण (Fertility) का उत्सव भी माना जाता है। 🌾

2. प्रतीकात्मकता: हस्ती (हाथी) का महत्व (Symbolism: Importance of the Elephant) 🐘
2.1. हस्त नक्षत्र: यह उत्सव हस्त नक्षत्र के सम्मान में मनाया जाता है। ज्योतिष के अनुसार, हस्त नक्षत्र का प्रतीक हाथी है।

2.2. समृद्धि और वर्षा: हाथी को समृद्धि, ऐश्वर्य, और वर्षन शक्ति (वर्षा) का प्रतीक माना जाता है। अच्छी वर्षा ही भरपूर फसल सुनिश्चित करती है। 🌧�

2.3. पूजन विधि: उत्सव में एक पाट (लकड़ी का चौकोर आसन) पर हल्दी-चावल (डाळ-तांदूळ), खड़िया या रांगोली से हाथी का चित्र बनाया जाता है और उसकी पूजा की जाती है। कहीं-कहीं मिट्टी की भुलाबाई-भुलोजी (पार्वती-शिव) की मूर्तियाँ भी स्थापित की जाती हैं।

3. धार्मिक एवं पौराणिक आधार (Religious and Mythological Basis) 🕉�
3.1. शिव-पार्वती स्वरूप: विदर्भ में, भुलाबाई को माता पार्वती और भूलोजी को भगवान शंकर का रूप माना जाता है। यह मान्यता है कि पार्वती एक महीने के लिए मायके आई हैं। 💖

3.2. कृषि-देवता: कुछ विद्वानों के अनुसार, यह उत्सव मूलतः कृषि कर्म और ऋतू से जुड़ा हुआ है, जिसमें वर्षा के लिए मेघों के देवता इंद्र की भी पूजा का भाव निहित है।

4. पूजन विधि और अनुष्ठान (Rituals and Observance) 🌸
4.1. घटस्थापना: नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के साथ ही भोंडले की शुरुआत होती है।

4.2. समूह नृत्य और गीत: शाम को कुँवारी कन्याएँ एकत्र होकर, हस्ती (हाथी) की प्रतिमा के चारों ओर फेर (घेरा) बनाकर सामूहिक रूप से भोंडला/हादगा के गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं। 💃

4.3. गीतों की संख्या: इन गीतों की संख्या प्रतिदिन एक-एक कर बढ़ाई जाती है। पहले दिन एक, दूसरे दिन दो, और अंतिम दिन सोलह या उससे अधिक गीत गाए जाते हैं।

5. भोंडला के गीतों का विषय (Themes of Bhondla Songs) 🎶
5.1. सामाजिक चित्रण: गीतों में प्रायः सास-बहू के रिश्ते, ननद-भाभी के संवाद, और स्त्री जीवन की खुशियाँ एवं कठिनाइयाँ होती हैं।

5.2. मायके की याद: कई गीतों में विवाहित बेटी के मायके के प्रति स्नेह, और वहाँ जाने की इच्छा का मार्मिक चित्रण होता है। 🥺

5.3. कृषि और प्रकृति: कुछ गीत मौसम परिवर्तन, कृषि कार्य, और ग्रामीण जीवन की सादगी को दर्शाते हैं।

EMOJI सारांश (EMOJI Summary) 🐘🌾🎶💖
हादगा/भोंडला: 🐘 (हस्ती) + 🌾 (फसल/कृषि) + 💃 (नृत्य/फेर) + 🎶 (गीत) + 👩�👧�👧 (कन्या समूह) + 🥣 (खिरापत) + 🙏 (भक्ति) = आनंदमय परंपरा

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-28.09.2025-रविवार.
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