अIयंबिल ओळी प्रIरंभ-जैन-1-🕉️ 🪷 🧘 🍚 🙏 🔥 🧠 🤝 ✨

Started by Atul Kaviraje, September 30, 2025, 10:31:13 AM

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Atul Kaviraje

अIयंबिल ओळी  प्रIरंभ-जैन-

'आयंबिल ओळी' (या 'आयंबिल ओली') जैन धर्म का एक महान नौ दिवसीय तपस्या पर्व है जो चैत्र और आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी से पूर्णिमा तक मनाया जाता है। चूँकि आपने यह लेख २९ सितंबर, २०२५ (सोमवार) के लिए माँगा है, जो कि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में पड़ता है, हम इसे 'आश्विन मास की आयंबिल ओली' के संदर्भ में प्रस्तुत कर रहे हैं।

हिंदी लेख: जैन धर्म का महान पर्व 'आयंबिल ओळी' का प्रारंभ-

दिनांक: २९ सितंबर, २०२५ (सोमवार)
विषय: भक्ति भावपूर्ण आयंबिल ओळी का प्रारंभ (The Commencement of the Devotional Ayambil Oli)

आयंबिल ओळी जैन समाज में नौ दिनों तक चलने वाला एक महान तपस्या पर्व है, जो केवल शरीर शुद्धि ही नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और कर्मों के क्षय का पर्व है। यह पर्व 'नवपद' (नौ पद) की आराधना को समर्पित है, जिसका मुख्य उद्देश्य राग-द्वेष से रहित होकर तप और संयम का पालन करना है। यह लेख इस पवित्र पर्व के महत्व, विधि और भक्ति भाव पर विस्तृत प्रकाश डालता है। 🙏

प्रतीक   विवरण
🕉�   जैन प्रतीक (नवकार मंत्र)
🪷   नवपद (पवित्र नौ पद)
🧘   तपस्या (संयम और साधना)
🍚   आयंबिल आहार (विकृति रहित भोजन)

१० प्रमुख बिंदु (10 Major Points)

१. आयंबिल ओळी का मूल अर्थ और उद्देश्य (The Core Meaning and Purpose of Ayambil Oli)
अ. अर्थ: 'आयंबिल' दो शब्दों से मिलकर बना है: 'आया' (गरम पानी) और 'बिल' (सादा भोजन)। यह विशेष तपस्या का एक रूप है।

ब. उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य रसना इंद्रिय (स्वाद) पर नियंत्रण पाना और कर्मों का क्षय करना है, ताकि आत्मा की शुद्धि हो सके।

उदाहरण: जिस प्रकार सोने को आग में तपाने से उसकी अशुद्धियाँ दूर होती हैं, उसी प्रकार आयंबिल से आत्मा के कर्ममल जलते हैं। 🔥

२. पर्व का समय और नवपद की आराधना (The Period of the Festival and Worship of Navpad)
अ. पर्व का समय: यह पर्व वर्ष में दो बार चैत्र और आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में नौ दिनों तक चलता है।

ब. नवपद: यह पर्व मुख्य रूप से नवपद (अरहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु, दर्शन, ज्ञान, चारित्र, तप) की आराधना को समर्पित है। 🪷

विवेचन: प्रत्येक दिन एक विशेष पद की आराधना, जाप और ध्यान किया जाता है।

३. आयंबिल तपस्या की विधि (The Method of Ayambil Penance)
अ. रस त्याग: तपस्वी इन नौ दिनों में छह विकृतियों (घी, तेल, गुड़, दूध, दही और शाक/हरी सब्जी) का पूर्ण त्याग करते हैं।

ब. भोजन का स्वरूप: तपस्वी दिन में केवल एक बार उबला हुआ, बिना नमक, बिना मसाले का धान्य (गेहूँ, चावल, चना आदि) गरम पानी के साथ ग्रहण करते हैं। 🍚

महत्व: स्वाद के प्रति आसक्ति (राग) को छोड़ने से मन में वैराग्य और शांति का उदय होता है।

४. भक्ति भाव और नवपद पूजा (Devotional Spirit and Navpad Puja)
अ. पूजा: नौ दिनों तक नवपद के सिद्धचक्र यंत्र की विधिवत पूजा और आराधना की जाती है।

ब. आंतरिक भाव: बाहरी पूजा के साथ-साथ आंतरिक भक्ति और समर्पण का भाव अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह आत्मा को परमात्मा की ओर ले जाने का प्रयास है।

उदाहरण: तपस्या के दौरान सांसारिक भोगों की चिंता से मुक्त होकर प्रभु के गुणों का चिंतन करना।

५. आयंबिल का वैज्ञानिक और शारीरिक लाभ (Scientific and Physical Benefits of Ayambil)
अ. शरीर शुद्धि: विकृति रहित सादा भोजन करने से शरीर का पाचन तंत्र मजबूत होता है और आंतरिक शुद्धि होती है।

ब. मानसिक लाभ: सात्विक आहार और संयम से मन की चंचलता कम होती है, जिससे ध्यान और एकाग्रता बढ़ती है। 🧠

EMOJI सारंंश (Emoji Summary)
🕉� 🪷 🧘 🍚 🙏 🔥 🧠 🤝 ✨

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-29.09.2025-सोमवार. 
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