अIयंबिल ओळी प्रIरंभ-जैन-2-🕉️ 🪷 🧘 🍚 🙏 🔥 🧠 🤝 ✨

Started by Atul Kaviraje, September 30, 2025, 10:31:38 AM

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Atul Kaviraje

अIयंबिल ओळी  प्रIरंभ-जैन-

६. छह विकृतियों का त्याग: क्यों? (The Renunciation of Six Vikrutis: Why?)
अ. मोह का त्याग: इन छह विकृतियों को स्वाद और मोह बढ़ाने वाला माना जाता है। इनका त्याग मोह-माया पर विजय पाने का प्रतीक है।

ब. कर्म बंधन: स्वाद के प्रति आसक्ति नए कर्मों का बंधन करती है। विकृतियों का त्याग करने से आस्रव (नए कर्मों का आना) रुकता है।

७. ओळी का अंतिम दिन: पारणा और उद्यापन (The Last Day of Oli: Parana and Udyapan)
अ. पारणा: नौ दिनों की तपस्या पूर्ण होने पर, अंतिम दिन शुभ मुहूर्त में योग्य आहार लेकर तप को पूर्ण किया जाता है।

ब. उद्यापन: कई वर्षों तक आयंबिल ओळी करने पर इसका उद्यापन (भव्य समापन) किया जाता है, जिसमें दान और धार्मिक क्रियाएँ शामिल होती हैं।

८. क्षमा, मैत्री और एकता का संदेश (The Message of Forgiveness, Amity, and Unity)
अ. क्षमा: यह पर्व क्षमा और विनय के गुणों को आत्मसात करने का अवसर देता है।

ब. एकता: जैन समाज के विभिन्न पंथों (जैसे श्वेतांबर और दिगंबर) द्वारा यह पर्व समान रूप से मनाया जाता है, जो धार्मिक एकता को दर्शाता है। 🤝

९. 'आयंबिल' और 'नवकार मंत्र' का संबंध (The Relation between 'Ayambil' and 'Navkar Mantra')
अ. मुख्य आधार: नवपद की आराधना का आधार णमोकार महामंत्र (नवकार मंत्र) है।

ब. जाप: तपस्वी नौ दिनों तक मन को शांत और शुद्ध करने के लिए नवकार मंत्र का निरंतर जाप करते हैं। 🕉�

१०. तपस्या का फल और आत्म-उन्नति (The Fruit of Penance and Self-Elevation)
अ. आत्म-जागृति: आयंबिल तपस्या से आत्मा अपने वास्तविक स्वरूप (ज्ञान, दर्शन, चारित्र) को पहचानती है।

ब. मोक्ष मार्ग: यह तपस्या मोक्ष मार्ग पर आगे बढ़ने का एक सशक्त माध्यम है, जिससे जीवन में सच्ची शांति और संतोष प्राप्त होता है। 🧘

EMOJI सारंंश (Emoji Summary)
🕉� 🪷 🧘 🍚 🙏 🔥 🧠 🤝 ✨

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-29.09.2025-सोमवार. 
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