बुद्ध का परिनिर्वाण: एक ऐतिहासिक और भक्तिपूर्ण परिप्रेक्ष्य -मुक्ति का महाप्रयाण

Started by Atul Kaviraje, October 02, 2025, 11:00:41 AM

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Atul Kaviraje

🙏 बुद्ध का परिनिर्वाण: एक ऐतिहासिक और भक्तिपूर्ण परिप्रेक्ष्य ☸️-

हिंदी कविता: मुक्ति का महाप्रयाण-

चरण 1: शांति और वैराग्य
संसार की पीड़ा का जान लिया था सार,
राजमहल छोड़ा, किया कठिन तप-आहार।
ज्ञान मिला, बाँटा जगत को मुक्ति का पथ,
अब आया विराम, पूर्ण करने अपना व्रत।
अर्थ: बुद्ध ने संसार के दुःख का मूल समझकर राजपाट त्यागा और ज्ञान प्राप्त किया। अब उनकी यात्रा का अंतिम पड़ाव आ गया था। 🧘

चरण 2: कुशीनगर की भूमि
कुशीनगर में शाल वृक्षों का था साया,
आनंद थे व्यथित, देख देह की छाया।
नदी हिरण्यवती बही, शांत और गंभीर,
बुद्ध लेटे दाहिनी करवट, छोड़ सबीर।
अर्थ: कुशीनगर में शाल वृक्षों के नीचे, हिरण्यवती नदी के पास, बुद्ध ने अंतिम विश्राम लिया। उनके शिष्य आनंद उनकी बिगड़ती सेहत देखकर दुखी थे। 🌳🌳

चरण 3: अंतिम शिष्य का ज्ञान
एक भिक्षु सुभद्द को दिया अंतिम उपदेश,
मिटा संशय, मिला उसे मुक्ति का संदेश।
जीवन की हर साँस को किया लोक-कल्याण,
यही था समर्पण, यही था उनका ध्यान।
अर्थ: अपने अंतिम क्षणों में भी उन्होंने सुभद्द को ज्ञान दिया, जो उनका अंतिम शिष्य बना। उन्होंने अपना पूरा जीवन दूसरों के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। 🙏

चरण 4: उपदेश का सार
कहा, "सब है नश्वर, स्वयं का दीपक बनो,"
"अप्रमाद से कर्म करो, हर क्लेश को हनो।"
धर्म ही गुरु है, विनय है तुम्हारी राह,
न किसी व्यक्ति की पूजा, न किसी की चाह।
अर्थ: उन्होंने अंतिम बार कहा कि सब कुछ अनित्य है, इसलिए जागरूक रहो और अपने लिए स्वयं प्रकाश बनो। उनकी शिक्षाएँ और नियम ही उनके सच्चे गुरु हैं। 💡

चरण 5: परम अवस्था
रोग, वेदना और तृष्णा का हो गया क्षय,
कर्मों का बंधन टूटा, मिटा जन्म का भय।
ध्यान की गहराई में किया देह का त्याग,
जागे लोचन, हो गया राग-द्वेष का त्याग।
अर्थ: उनकी सभी इच्छाएँ और क्लेश नष्ट हो गए। उन्होंने गहन ध्यान में प्रवेश करके अपने शरीर का त्याग किया, जिससे पुनर्जन्म का भय समाप्त हो गया। ✨

चरण 6: मुक्ति की वर्षा
धरती काँपी, आकाश से बरसे फूल,
शांत हुआ संसार, मिटा दुःख का मूल।
परिनिर्वाण हुआ, परम शांति का विस्तार,
बुद्ध हुए मुक्त, अनंत हुआ उनका सार।
अर्थ: जब उन्होंने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया, तो प्रकृति ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। दुःख का मूल कारण मिट गया, और बुद्ध ने परम शांति प्राप्त की। 🌸

चरण 7: अस्थि का पूजन
अस्थि बँटी, स्तूप बने, श्रद्धा का आधार,
आठ राज्यों में फैली उनकी कीर्ति-धार।
निर्वाण दिवस है, चिंतन और भक्ति का पर्व,
बुद्ध के मार्ग पर चलना, यही है जीवन गर्व।
अर्थ: उनके अवशेषों को आठ भागों में बाँटकर स्तूप बनाए गए। महापरिनिर्वाण दिवस (निर्वाण दिवस) उनकी शिक्षाओं पर चिंतन करने का पर्व है। ⚱️

--अतुल परब
--दिनांक-01.10.2025-बुधवार.
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