श्रीविठोबा एवं महाराष्ट्र भक्त संप्रदाय:-1-

Started by Atul Kaviraje, October 02, 2025, 04:04:50 PM

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Atul Kaviraje

श्रीविठोबा एवं महाराष्ट्र भक्तसंप्रदाय भूमिका-
(भगवान विट्ठल और महाराष्ट्र में भक्ति आंदोलन में भूमिका)
भगवान विट्ठल और महाराष्ट्र में भक्ति आंदोलन में उनकी भूमिका-
(Lord Vitthal and the Role in the Devotional Movement in Maharashtra)
Sri Vithoba and his role in the Bhakta sect of Maharashtra-

श्रीविठोबा एवं महाराष्ट्र भक्त संप्रदाय: एक भक्तिपूर्ण विवेचन-

श्रीविठोबा, जिन्हें पंढरीनाथ या पांडुरंग भी कहा जाता है, महाराष्ट्र की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आत्मा हैं। वे केवल एक देवता नहीं हैं, बल्कि वारकरी संप्रदाय के केंद्रबिंदु हैं, जिसने महाराष्ट्र में मध्यकाल में एक युगांतकारी भक्ति आंदोलन की शुरुआत की। यह आंदोलन सामाजिक समानता, सादगी और प्रेम पर आधारित था, और इसके मूल में विट्ठल की करुणामयी छवि थी।

भगवान विट्ठल भगवान विष्णु या उनके अवतार श्रीकृष्ण का ही एक रूप माने जाते हैं, जो भक्त पुंडलिक की सेवा-भावना से प्रसन्न होकर, ईंट (विट) पर कमर पर हाथ रखकर 28 युगों से खड़े हैं। यह उनकी भक्तवत्सलता (भक्तों से प्रेम) का सर्वोच्च प्रतीक है।

10 प्रमुख बिन्दुओं में श्रीविठोबा की भूमिका और वारकरी संप्रदाय
1. वारकरी संप्रदाय का केंद्रीय देवता (The Central Deity) 🚩
1.1. वारकरी नाम का अर्थ: वारकरी संप्रदाय का नाम 'वारी' से आया है, जिसका अर्थ है निश्चित अवधि पर पंढरपुर की तीर्थयात्रा। जो यह वारी करता है, वह वारकरी कहलाता है। विट्ठल ही वारकरी संप्रदाय के आराध्य दैवत हैं।

1.2. भक्ति का सरल मार्ग: वारकरी संप्रदाय ने जटिल अनुष्ठानों और कर्मकांडों को अस्वीकार कर प्रेम, नाम-जप (कीर्तन) और वारी के सरल मार्ग से मोक्ष का रास्ता दिखाया।

सिंबल/इमोजी: 📿👣

2. सामाजिक समानता और समन्वय (Social Equality and Harmony) 🫂
2.1. जातिभेद का उन्मूलन: विट्ठल भक्ति आंदोलन की सबसे बड़ी देन सामाजिक समरसता थी। संतों ने घोषणा की कि भगवान की दृष्टि में कोई ऊँच-नीच नहीं है।

उदाहरण: संत चोखामेला (महार), संत जनाबाई (दासी), संत नामदेव (शिंपी/दर्जी), संत सावता माली (माली) जैसे सभी जातियों के संतों को वारकरी संप्रदाय में समान स्थान मिला।

2.2. समन्वय का प्रतीक: विट्ठल स्वयं शिव और विष्णु के समन्वय का भी प्रतीक हैं, जिन्हें अक्सर 'हरि-हर' की एकरूपता के रूप में देखा जाता है, जो विभिन्न मतों को एक सूत्र में पिरोता है।

3. भक्त पुंडलिक की कथा और मूर्ति का रहस्य (Legend of Pundalik) 🧱
3.1. ईंट पर खड़े होने का कारण: पौराणिक कथा के अनुसार, भक्त पुंडलिक अपने माता-पिता की सेवा में लीन थे। जब भगवान विट्ठल उन्हें दर्शन देने आए, तो पुंडलिक ने भगवान को खड़े होने के लिए एक ईंट सरका दी और अपनी सेवा जारी रखी।

3.2. सेवाधर्म की महिमा: यह मूर्ति सेवाधर्म और कर्तव्यपरायणता की महिमा दर्शाती है। विट्ठल की मुद्रा (हाथ कमर पर) यह दर्शाती है कि वह अपने भक्तों की प्रतीक्षा में खड़े हैं और उनके काम पूरे होने तक वहीं रहेंगे।

4. मराठी भाषा का उत्थान और 'अभंग' (Rise of Marathi Language) 📖
4.1. मराठी में भक्ति का प्रसार: इस आंदोलन ने संस्कृत के प्रभुत्व को तोड़कर, मराठी भाषा को आम लोगों तक पहुँचाया।

4.2. अभंगों का महत्व: संत ज्ञानेश्वर, नामदेव, तुकाराम और एकनाथ ने हजारों अभंग (विट्ठल को समर्पित भक्ति गीत) रचे, जो आज भी महाराष्ट्र के घर-घर में गाए जाते हैं। ये अभंग ही इस संप्रदाय का मुख्य साहित्य हैं।

5. पंढरपुर: भक्ति आंदोलन का केंद्र (Heartland of the Movement) 🏞�
5.1. भीमा नदी का तट: विट्ठल का मुख्य मंदिर पंढरपुर में है, जो भीमा नदी (जिसे स्थानीय रूप से चंद्रभागा कहते हैं) के तट पर स्थित है। यह स्थान पूरे महाराष्ट्र और कर्नाटक के भक्तों के लिए कैलाश के समान पूज्य है।

5.2. चंद्रभागा का महत्व: चंद्रभागा (आकृति में अर्धचंद्र के समान) नदी को भक्तों द्वारा पवित्र माना जाता है, जहाँ वारी समाप्त होने पर स्नान किया जाता है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-01.10.2025-बुधवार.
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