नवरात्र उत्थापन-1-🔱🚩🌊🙏💖

Started by Atul Kaviraje, October 02, 2025, 07:13:00 PM

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Atul Kaviraje

नवरात्र उत्थापन-

1 अक्टूबर 2025 की तारीख़ जो कि शारदीय नवरात्रि के दौरान पड़ेगी, मैं लेख को नवरात्रि पर्व की समाप्ति (नवमी या दशमी) पर किए जाने वाले कलश/घट विसर्जन और व्रत समाप्ति के अनुष्ठान ।

हिंदी लेख: नवरात्र उत्थापन (विसर्जन) - शक्ति की विदाई और आशीर्वाद का संग्रहण-

दिनांक: 01 अक्टूबर, 2025 - बुधवार

विषय: नवरात्र उत्थापन: व्रत की पूर्णता और दैवीय ऊर्जा का संग्रहण
भाव: भक्ति भावपूर्ण, विवेचनपरक

🔱🚩🌊🙏💖

1. भूमिका: उत्थापन का अर्थ और महत्व
1.1. उत्थापन की परिभाषा: उत्थापन या विसर्जन का अर्थ है स्थापित कलश, चौकी, या मूर्ति को विदाई देना। यह एक प्रतीकात्मक क्रिया है, जिसके द्वारा देवी को उनके मूल स्थान (स्वर्ग/ब्रह्मांड) में लौटने का आग्रह किया जाता है।

1.2. भक्ति की पूर्णता: नौ दिनों तक चला यह महापर्व उत्थापन के साथ ही पूर्णता को प्राप्त करता है। यह अनुष्ठान दर्शाता है कि भक्त ने अपने संकल्प को सफलतापूर्वक पूरा किया।

1.3. दैवीय ऊर्जा का संग्रहण: विसर्जन से पहले, कलश में स्थापित दैवीय ऊर्जा को घर के सदस्यों और वस्तुओं में संग्रहीत किया जाता है।

2. उत्थापन का धार्मिक आधार (दशमी तिथि)
2.1. विजयादशमी: नवरात्रि का उत्थापन अक्सर नवमी के पूजन या दशमी (दशहरा) के दिन किया जाता है। दशहरा वह दिन है जब माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था, जो असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है।

2.2. शुभ मुहूर्त: उत्थापन हमेशा शुभ मुहूर्त में किया जाता है, ताकि व्रत का पूरा फल प्राप्त हो सके और भविष्य में सभी कार्य निर्विघ्न संपन्न हों।

3. कलश/घट विसर्जन की प्रक्रिया
3.1. कलश को हटाना: सबसे पहले, स्थापित कलश (घट) को हाथ जोड़कर प्रणाम किया जाता है और धीरे से चौकी से हटाया जाता है।

3.2. जल और सामग्री का उपयोग: कलश के जल को पूरे घर में छिड़का जाता है, जिससे नकारात्मकता दूर होती है। बचा हुआ जल तुलसी या किसी पौधे में डाल दिया जाता है।

सिंबल: 💧 (जल), 🏡 (घर), 🌿 (पौधा)

4. जवारे (जौ) का महत्व
4.1. समृद्धि का प्रतीक: नवरात्रि में बोए गए जवारे (जौ के अंकुर) को उत्थापन के दिन प्रसाद स्वरूप उखाड़ा जाता है। यह समृद्धि और धन धान्य का प्रतीक है।

4.2. विसर्जन या धारण: कुछ जवारों को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी या धन स्थान पर रखा जाता है। बाकी जवारों को नदी या पवित्र जल में विसर्जित किया जाता है।

सिंबल: 🌱 (जवारे), 💰 (धन), 🌊 (विसर्जन)

5. कंजक पूजन और व्रत पारण
5.1. कन्या पूजन: उत्थापन से पूर्व कन्या पूजन (कुमारी पूजन) अनिवार्य है। नौ कन्याओं को देवी का रूप मानकर उन्हें भोजन कराया जाता है और भेंट (दक्षिणा) दी जाती है।

5.2. पारण (व्रत खोलना): कन्या पूजन के बाद ही भक्त विधिवत उपवास खोलते हैं (पारण करते हैं)। यह व्रत की अंतिम और महत्वपूर्ण कड़ी है।

सिंबल: 👧 (कन्या), 🍽� (पारण)

EMOJI सारंश (Emoji Summary)
🔱 (देवी) + 9️⃣ (दिन) + 🚩 (स्थापना) → उत्थापन ➡️ 👧 (कन्या पूजन) + 🌱 (जवारे) + 🌊 (विसर्जन) → फल ➡️ 🛡� (सुरक्षा) + 💰 (समृद्धि) + ✨ (कल्याण)।
निष्कर्ष: 🔔🙏💖 (जय माता दी)

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-01.10.2025-बुधवार. 
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