नवरात्र उत्सव समIप्त-सालगाव-अडवलपाल-गोवा-1-🏝️🔱🥥💃✨

Started by Atul Kaviraje, October 02, 2025, 09:56:57 PM

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Atul Kaviraje

नवरात्र उत्सव समIप्त-सालगाव-अडवलपाल-गोवा-

सालगाँव (Saligao) और अडवलपाल (Advalpal) गोवा के दो अलग-अलग स्थान हैं, और दोनों ही स्थानों पर नवरात्रि उत्सव अपने विशेष रूप से मनाया जाता है, इन स्थानों की गोवा की विशिष्ट संस्कृति, स्थानीय देवी मंदिरों और उत्सव की समाप्ति के आध्यात्मिक महत्व पर केंद्रित

1 अक्टूबर 2025 को शारदीय नवरात्रि के नवमी/दशमी तिथि के आसपास पड़ने की संभावना है, इसलिए लेख को उत्सव के समाप्ति/विसर्जन और विजयादशमी के संदर्भ में लिखा गया है।

हिंदी लेख: नवरात्र उत्सव समाप्ति - सालगाँव-अडवलपाल, गोवा की शक्ति भक्ति-

दिनांक: 01 अक्टूबर, 2025 - बुधवार

विषय: गोवा के सालगाँव और अडवलपाल में नवरात्र उत्सव की समाप्ति: संस्कृति, शक्ति और समर्पण
भाव: भक्ति भावपूर्ण, विवेचनपरक

🏝�🔱🥥💃✨

1. भूमिका: गोवा में शक्ति पर्व का समापन
1.1. कोंकणी संस्कृति में नवरात्रि: गोवा, जो अपनी शांत समुद्री तटों के लिए जाना जाता है, वहाँ भी नवरात्रि का पर्व अत्यंत श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाता है। कोंकणी संस्कृति में देवी (शांतादुर्गा, महालसा, सप्तकोटेश्वर) को विशेष स्थान प्राप्त है।

1.2. सालगाँव और अडवलपाल का महत्व: सालगाँव (उत्तरी गोवा) और अडवलपाल (बिचोलिम, उत्तरी गोवा) अपने प्राचीन देवी मंदिरों और अद्वितीय धार्मिक अनुष्ठानों के लिए प्रसिद्ध हैं, जहाँ उत्सव समाप्ति का दृश्य मनमोहक होता है।

1.3. समापन का अर्थ: उत्सव की समाप्ति केवल नौ दिनों की पूजा का अंत नहीं, बल्कि नौ देवियों की शक्ति, ज्ञान और समृद्धि को जीवन में धारण करने का संकल्प है।

2. सालगाँव की देवी: भक्ति और परंपरा
2.1. सातेरी / शांतादुर्गा मंदिर: सालगाँव के पास स्थित सातेरी या शांतादुर्गा देवी का मंदिर स्थानीय लोगों के लिए विशेष पूजनीय है। नवरात्रि में यहाँ दिव्याचार (प्रकाश की पूजा) और नवदुर्गा स्वरूप की स्थापना होती है।

2.2. कौलाचार और गड्यांची जत्रा: यहाँ के कुछ मंदिरों में देवी को कौल (भविष्यवाणी) पूछने की परंपरा है। उत्सव की समाप्ति पर गड्यांची जत्रा (विशिष्ट लोकनृत्य या अनुष्ठान) का आयोजन होता है, जो गोवा की अनूठी धार्मिक पहचान है।

सिंबल: 🏮 (दिव्याचार), 🥥 (प्रसाद), 🥁 (पारंपरिक संगीत)

3. अडवलपाल की देवी: आध्यात्मिकता और प्रकृति का मेल
3.1. श्री देवी लईराई मंदिर: अडवलपाल के पास स्थित श्री देवी लईराई का मंदिर गोवा में अपनी पायकी (पैदल यात्रा) परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। नवरात्रि की समाप्ति पर यहाँ भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

3.2. अग्नि दिव्याची जत्रा: अडवलपाल में उत्सव के दौरान अग्नि दिव्याची जत्रा (आग के दीयों का अनुष्ठान) प्रसिद्ध है, जो कष्टों पर विजय और प्रकाश के आगमन का प्रतीक है।

सिंबल: 🔥 (अग्नि), 🚶 (पायकी), 🌳 (पेड़)

4. विसर्जन (उत्थापन) की भावना
4.1. शक्ति का आवाहन और विदाई: नौ दिनों तक जिस शक्ति को कलश और प्रतिमा में स्थापित किया गया, उत्थापन (विसर्जन) के दिन उसे विनम्रता से विदा किया जाता है।

4.2. दैवीय ऊर्जा का घर में संग्रहण: विसर्जन से पहले, देवी की शक्ति को अक्षत (चावल) और कलावा के माध्यम से घर के सदस्यों में और जवारे के रूप में तिजोरी में संग्रहित किया जाता है।

5. कोंकणी व्यंजनों का प्रसाद
5.1. सात्विक भोजन: उत्सव की समाप्ति पर व्रत पारण के लिए विशेष कोंकणी सात्विक व्यंजन बनाए जाते हैं।

5.2. शिरा और पंचखाद्य: मीठे में शिरा (सूजी का हलवा) और पंचखाद्य (सूखे मेवों का मिश्रण) प्रमुख रूप से प्रसाद के रूप में वितरित किए जाते हैं, जो व्रत की पूर्णता का संकेत है।

सिंबल: 🍚 (शिरा), 🥜 (पंचखाद्य), 🍽� (प्रसाद)

EMOJI सारंश (Emoji Summary)
🔱 (देवी शक्ति) + 🏝� (गोवा) + 9️⃣ (दिन) → उत्थापन ➡️ 👧 (कन्या पूजन) + 🔥 (अग्नि) + 🌊 (विसर्जन) → फल ➡️ 🌟 (आशीर्वाद) + 🤝 (एकता) + 🥥 (संस्कृति)।
निष्कर्ष: जय माँ! 🚩💖

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-01.10.2025-बुधवार. 
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