"शुभ दोपहर, शुक्रवार मुबारक हो" दोपहर के प्रकाश में रंगीन बाज़ार के स्टॉल-🧣🌶️

Started by Atul Kaviraje, October 03, 2025, 03:01:48 PM

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Atul Kaviraje

"शुभ दोपहर, शुक्रवार मुबारक हो"

दोपहर के प्रकाश में रंगीन बाज़ार के स्टॉल

पद्य 1
दोपहर का सूरज, एक सुनहरी धुंध,
बाजार के रास्तों को रोशन करता है।
जीवंत पंक्तियों में, स्टॉल चमकदार हैं,
रंग, छाया और प्रकाश का एक सिम्फनी।

अर्थ: यह पद दोपहर की गर्म चमक के नीचे एक हलचल भरे बाज़ार का दृश्य निर्धारित करता है, जिसमें ज्वलंत रंगों पर प्रकाश डाला गया है। ✨

पद्य 2
गहरे लाल स्कार्फ से केसरिया मसाले तक,
आंखों और कीमत दोनों के लिए एक दावत।
विक्रेता की पुकार, एक कोमल ध्वनि,
जैसे खुश ग्राहक चारों ओर इकट्ठा होते हैं।

अर्थ: यह उपलब्ध वस्तुओं की विविधता और बाज़ार की आवाज़ का वर्णन करता है, जो संवेदी अनुभव पर ध्यान केंद्रित करता है। 🧣🌶�

पद्य 3
मीठे आमों का एक पिरामिड,
देसी गेहूं के ढेर के बगल में।
रसदार फल, एक जीवंत चमक,
एक साधारण, फिर भी एक परिपूर्ण, सपना।

अर्थ: यह पद ताजे उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करता है, विशिष्ट वस्तुओं और उनकी सुंदरता का एक चित्र बनाता है। 🥭🌾

पद्य 4
रंगीन बर्तन, आसमान के नीले रंग के,
पुराने पैटर्न और नई कहानियों के साथ।
हाथ से बने चमत्कार, इतने ऊंचे ढेर में लगे,
हमेशा देखने वाले आसमान के नीचे।

अर्थ: यह कारीगरों के शिल्प का वर्णन करता है, प्रत्येक टुकड़े में इतिहास और कलात्मकता पर जोर देता है। 🏺🎨

पद्य 5
एक अचानक हवा, एक फुसफुसाता गीत,
पूरे दिन की खुशबू ले जाती है।
भुने हुए मेवों और चमेली की चाय की,
एक खुशबू जो आत्माओं को मुक्त करती है।

अर्थ: यह पद गंध की भावना को लाता है, हवा में भरी हुई स्वादिष्ट सुगंधों का वर्णन करता है। 🌬�☕

पद्य 6
प्रत्येक खरीदार एक जीता हुआ खजाना रखता है,
सूरज के नीचे एक सुखद स्मृति।
आसान गति, दोस्ताना चेहरा,
समय और स्थान से बाहर का एक क्षण।

अर्थ: यह बाज़ार के भावनात्मक पहलू को उजागर करता है - एक अनूठी वस्तु खोजने की खुशी और दोस्ताना सामुदायिक माहौल। 😊💖

पद्य 7
प्रकाश लंबा हो जाता है, रंग गहरे हो जाते हैं,
जैसे प्राचीन बाजार के रहस्य सोते हैं।
एक अंतिम खरीद, फिर अलविदा,
एक शांतिपूर्ण, ठहरने वाला, जादुई मंत्र।

अर्थ: अंतिम पद बाज़ार में दिन के अंत का वर्णन करता है, जैसे ही प्रकाश फीका पड़ता है और शांति की भावना बस जाती है। 🌅🙏

--अतुल परब
--दिनांक-03.10.2025-शुक्रवार.
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