स्वामी की करुणा -दीनदयाळ करुणा-सिंधु-🙏💖🌊✨🛡️🏡

Started by Atul Kaviraje, October 03, 2025, 04:06:30 PM

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Atul Kaviraje

श्री स्वामी समर्थ का करुणामय दृष्टिकोण (The Compassionate Outlook of Shri Swami Samarth)-

हिंदी कविता: स्वामी की करुणा (Hindi Poem: Swami Ki Karuna)-

शीर्षक: दीनदयाळ करुणा-सिंधु-

१. चरण (Stanza 1):
आकुल मन जब तेरा पुकारे, स्वामी आते दौड़े।
दीनदयाळ नाम तुम्हारा, संकट क्षण में मोड़े।
कोई न तुझसे वापस जाता, खाली तेरा द्वार।
तुम हो करुणा के सागर स्वामी, करते सबका उद्धार।
अर्थ: जब दुःखी मन आपको पुकारता है, तो स्वामी तुरंत आ जाते हैं। 'दीनदयाळ' आपका नाम है, जो क्षण भर में संकटों को दूर करता है। आपके द्वार से कोई खाली हाथ नहीं जाता, आप करुणा के सागर हैं और सबका उद्धार करते हैं।

२. चरण (Stanza 2):
"भिऊ नकोस, मी तुझ्या पाठीशी आहे", यह है तेरा बोल।
अंधेरे में आशा की किरण, अनमोल।
जिसने तुम पर श्रद्धा रखी, उसका किया कल्याण।
तुमने दिया है अभय-दान स्वामी, बढ़े भक्तों का मान।
अर्थ: "डरो मत, मैं तुम्हारे साथ हूँ," यह आपका कथन है। यह अँधेरे में आशा की एक अनमोल किरण है। जिसने आप पर विश्वास रखा, उसका कल्याण किया। आपने भक्तों को अभय-दान दिया है, जिससे उनका गौरव बढ़ा है।

३. चरण (Stanza 3):
माँ की ममता, पिता का साया, तुझमें सब समाया।
डाँट भी तेरी प्रेम से भरी, गुरु ने ज्ञान सिखाया।
कर्मों की गठरी हलकी की, पापों को अपनाया।
अहंकार की अग्नि बुझा दी, आत्म-बोध जगाया।
अर्थ: आप में माँ का प्रेम और पिता की छाया समाई हुई है। आपकी डाँट भी प्रेम से भरी होती है, जिससे गुरु ने ज्ञान सिखाया। आपने भक्तों के कर्मों की गठरी हल्की की और उनके पापों को स्वीकार किया। आपने अहंकार की आग बुझाकर आत्म-ज्ञान जागृत किया।

४. चरण (Stanza 4):
पशु-पक्षी भी पाते आश्रय, तेरी छत्र-छाँव में।
हर प्राणी में वास तुम्हारा, हर छोटे से गाँव में।
जीव-दया की शिक्षा तेरी, प्रेम की बहती धार।
तुमने सिखाया जग को स्वामी, सर्वभूत-उपकार।
अर्थ: पशु-पक्षी भी आपकी छत्रछाया में आश्रय पाते हैं। हर प्राणी में आपका वास है, हर छोटे से गाँव में आप उपस्थित हैं। जीव-दया की शिक्षा आपकी प्रेम की बहती धारा है। आपने दुनिया को सभी प्राणियों पर उपकार करना सिखाया।

५. चरण (Stanza 5):
कष्ट निवारण, ऋण-मुक्तिदाता, नाम तुम्हारा गाऊँ।
धन-दौलत से दूर रहकर भी, दरिद्रों के घर जाऊँ।
सरल भक्ति का मार्ग दिखाया, नामस्मरण ही सार।
तुमको भजते जो भी स्वामी, होता भव से पार।
अर्थ: आप कष्टों को दूर करने वाले और ऋण से मुक्ति देने वाले हैं, मैं आपका ही नाम जपता हूँ। आप धन-दौलत से दूर रहकर भी गरीबों के घर जाते हैं। आपने सरल भक्ति का मार्ग दिखाया, जिसमें नामस्मरण ही सार है। जो भी आपको भजते हैं, वे संसार रूपी सागर से पार हो जाते हैं।

६. चरण (Stanza 6):
जात-पात का भेद न देखा, समता का आधार।
सबको समान दृष्टि से देखा, किया लोक-उपकार।
भक्तों को दी नैतिकता, सच्चा जीवन-ज्ञान।
तुम्हारी कृपा से ही मिलता, मन को सही निदान।
अर्थ: आपने जाति-पाँति का कोई भेद नहीं देखा, समता ही आपका आधार था। आपने सबको समान दृष्टि से देखा और समाज का कल्याण किया। आपने भक्तों को नैतिकता और सच्चा जीवन-ज्ञान दिया। आपकी कृपा से ही मन को सही समाधान मिलता है।

७. चरण (Stanza 7):
मेरा जीवन-रथ अब तुमको, स्वामी, मैंने सौंपा।
सुख-दुःख, आशा और निराशा, सब चरणों में रोपा।
आत्म-निवेदन ही है अंतिम, तेरी भक्ति-सार।
तुम हो परमेश्वर मेरे स्वामी, करो भव से निस्तार।
अर्थ: मैंने अपने जीवन की बागडोर आपको सौंप दी है। सुख-दुःख, आशा और निराशा, सब आपके चरणों में रख दिए हैं। पूर्ण समर्पण ही आपकी भक्ति का अंतिम सार है। आप मेरे परमेश्वर हैं, मेरा संसार रूपी बंधन से उद्धार करें।

[Emoji सारंश (Emoji Summary)]

कविता सार (Poem Summary)   Emoji सार (Emoji Summary)
स्वामी समर्थ की करुणा, अभय-दान, और जीव-दया ही भक्तों के लिए अंतिम आश्रय और मोक्ष का मार्ग है।   🙏💖🌊✨🛡�🏡

--अतुल परब
--दिनांक-02.10.2025-गुरुवार.
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