श्री मध्वाचार्य जयंती- शीर्षक: तत्ववाद का दर्शन -🕉️🙏📚🔱💙👶📜💖🔥

Started by Atul Kaviraje, October 04, 2025, 11:44:37 AM

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Atul Kaviraje

श्री मध्वाचार्य जयंती - द्वैत दर्शन के प्रणेता को भक्तिपूर्ण नमन-

🕉�📚🙏 ज्ञान, भक्ति और द्वैतवाद की त्रिवेणी 🙏📚🕉�

हिंदी कविता - श्री मध्वाचार्य जयंती-

शीर्षक: तत्ववाद का दर्शन (The Philosophy of Tattvavada)-

चरण   कविता (04 पंक्तियाँ)   हिंदी अर्थ (Short Meaning)

01.   दशमी तिथि, आज का दिन, संत महान को नमन करें।   आज दशमी तिथि है, इस दिन हम महान संत (मध्वाचार्य) को नमस्कार करते हैं।
उडुपी धाम के पास जन्मे, ज्ञान का दीप प्रज्वलन करें।   उडुपी के पास जन्मे, हम उनके ज्ञान के दीपक को जलाएँ।
द्वैत दर्शन के वो प्रणेता, जग को सत्य अर्पण करें।   वह द्वैत दर्शन के संस्थापक हैं, जिन्होंने दुनिया को सच्चाई समर्पित की।
श्री मध्वाचार्य की वाणी, मन में भक्ति रोपण करें।   श्री मध्वाचार्य के वचनों को हम अपने मन में भक्ति की तरह स्थापित करें।

02.   वासुदेव नाम था बचपन में, अल्पायु में ही संन्यास लिया।   बचपन में उनका नाम वासुदेव था, उन्होंने कम उम्र में ही संन्यास ले लिया।
जग की माया को न माना भ्रम, सत्य का मार्ग प्रिय किया।   उन्होंने दुनिया को भ्रम नहीं माना, बल्कि सत्य का रास्ता चुना।
ब्रह्म और जीव को अलग माना, भेद का सार स्पष्ट किया।   उन्होंने ईश्वर और आत्मा को अलग माना, और इस भेद के सार को स्पष्ट किया।
पंच-भेद की राह दिखाई, मोक्ष का लक्ष्य निश्चित किया।   उन्होंने पाँच मूलभूत भेदों का मार्ग दिखाया, और मोक्ष के लक्ष्य को निश्चित किया।

03.   विजयादशमी का शुभ अवसर, जब उनका आगमन हुआ।   विजयादशमी का पवित्र अवसर, जब उनका जन्म हुआ।
पवनसुत का अंश माने गए, अद्भुत था उनका व्यक्तित्व।   उन्हें पवनपुत्र हनुमान का अवतार माना जाता है, उनका व्यक्तित्व अद्भुत था।
शक्ति और ज्ञान का संगम, द्वैत सिद्धांत का तत्व।   वह शक्ति और ज्ञान का मेल थे, और द्वैत सिद्धांत का मूल तत्व थे।
वेद व्यास से ज्ञान पाया, जीवन किया समर्पित।   उन्होंने वेद व्यास से ज्ञान प्राप्त किया, और अपना जीवन धर्म को समर्पित कर दिया।

04.   विष्णु देव हैं परम ब्रह्म, उनकी ही सेवा में सुख है।   भगवान विष्णु ही सर्वोच्च ईश्वर हैं, उनकी सेवा में ही असली सुख है।
निःस्वार्थ भक्ति ही साधन है, मुक्ति का यही मुख्य मुख है।   निस्वार्थ भक्ति ही एकमात्र साधन है, मुक्ति का यही मुख्य द्वार है।
उडुपी में कृष्ण को बिठाया, दूर किया सारा दुख है।   उन्होंने उडुपी में भगवान कृष्ण को स्थापित किया, और सारे दुखों को दूर किया।
अमर वाणी उनकी गूँजे, हृदय में बसे हर रुख है।   उनकी अमर वाणी गूँजती है, और हृदय के हर कोने में बसी है।

05.   ब्रह्म सूत्र पर भाष्य लिखा, ज्ञान की वर्षा कराई।   उन्होंने ब्रह्म सूत्र पर टीका लिखी, जिससे ज्ञान की वर्षा हुई।
पशु बलि को उन्होंने नकारा, धर्म की राह दिखाई।   उन्होंने पशु बलि का विरोध किया, और धर्म का सच्चा मार्ग दिखाया।
मानव सेवा ही प्रभु सेवा, सबको यह बात समझाई।   मानव सेवा ही ईश्वर की सेवा है, यह बात उन्होंने सबको समझाई।
सत्य, ज्ञान और भक्ति से, जीवन की नींव जमाई।   सत्य, ज्ञान और भक्ति से उन्होंने जीवन की नींव रखी।

06.   शंकराचार्य, रामानुज के बाद, तीसरा महान आचार्य।   शंकराचार्य और रामानुज के बाद, वह तीसरे महान आचार्य थे।
विद्वता और तपस्या से पूर्ण, जिसने किया सदाचार।   जो विद्वता और तपस्या से भरे हुए थे, और हमेशा सही आचरण करते थे।
धर्म की रक्षा हेतु आये, मिटाया हर अनाचार।   वह धर्म की रक्षा के लिए आए, और हर बुराई को मिटाया।
मध्वाचार्य की महिमा गाएँ, कर लें उनका आचार।   हम मध्वाचार्य की प्रशंसा करें, और उनके आदर्शों को अपनाएँ।

07.   आज प्रण लें हम सभी, भक्ति मार्ग को अपनाएँगे।   आज हम सभी संकल्प लें कि भक्ति के मार्ग पर चलेंगे।
भेदभाव को दूर करेंगे, प्रेम का दीपक जलाएँगे।   हम भेदभाव को खत्म करेंगे और प्रेम का दीपक जलाएँगे।
ईश्वर की सेवा में लगकर, जीवन को सफल बनाएँगे।   ईश्वर की सेवा में लगकर, हम अपने जीवन को सफल बनाएंगे।
श्री मध्वाचार्य की शिक्षाएँ, सदा हृदय में बसाएँगे।   श्री मध्वाचार्य की शिक्षाओं को हम हमेशा अपने दिल में रखेंगे।

इमोजी सारांश (Emoji Summary) - हिंदी कविता
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--अतुल परब
--दिनांक-02.10.2025-गुरुवार.
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