भवानी देवी निद्राकाल प्रIरंभ-तुळजापूर- भवानी देवी निद्राकाल:-💖 😴 🛏️ 💧 🕊️

Started by Atul Kaviraje, October 04, 2025, 03:58:45 PM

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Atul Kaviraje

भवानी देवी निद्राकाल प्रIरंभ-तुळजापूर-

भवानी देवी निद्राकाल: हिंदी कविता-

1. प्रथम चरण
तुळजापूर की भवानी, सबकी कुलदेवी मात।
आई है अब निद्रा की, पावन सुहानी रात।।
दशहरा बीता हर्ष से, युद्ध हुआ अब शांत।
पलंग बिछा है शेजघर, हृदय हुआ एकांत।।

(हिंदी अर्थ): तुळजापूर की भवानी, जो सबकी कुलदेवी हैं, उनके निद्राकाल की पवित्र रात आ गई है। दशहरा उत्सव समाप्त हो गया है और युद्ध शांत हो गया है। शेजघर (शयन कक्ष) में पलंग बिछा है, और हृदय अब शांत हो गया है।

2. द्वितीय चरण
चाँदी के उस पलंग पर, लेटीं मेरी माँ।
करुणा की दो आँखें, भरती सबका जहाँ।।
नवरात्रों की ऊर्जा को, करती हैं संचय।
योगनिद्रा में लीन माँ, करे जगत से भय।।

(हिंदी अर्थ): चाँदी के पलंग पर मेरी माँ भवानी विश्राम कर रही हैं। उनकी करुणा भरी आँखें पूरे संसार को भरती हैं। वह आने वाले कार्यों के लिए ऊर्जा का संचय योगनिद्रा में लीन होकर कर रही हैं, जिससे जगत का भय दूर हो।

3. तृतीय चरण
यह विश्राम नहीं केवल, यह तप का है सार।
विश्व के पालन हेतु, करती शक्ति संचार।।
सुगंधित तेलों से हो, अभिषेक हर बार।
दूर हो जाए श्रम सब, न हो कोई विकार।।

(हिंदी अर्थ): यह केवल विश्राम नहीं है, यह तपस्या का सार है। विश्व के पालन के लिए देवी शक्ति का संचार करती हैं। सुगंधित तेलों से उनका अभिषेक होता है, ताकि उनकी सारी थकान दूर हो जाए और कोई कष्ट न रहे।

4. चतुर्थ चरण
भक्त भी संयम रखते, न सोएँ आराम।
माँ की सेवा में तत्पर, गाएँ हरि का नाम।।
मन में है यह भावना, माँ लेती हैं नींद।
अपनी भक्ति से माँ को, देते शाश्वत सींद।।

(हिंदी अर्थ): भक्त भी इस दौरान संयम रखते हैं और स्वयं आराम नहीं करते। वे माँ की सेवा में लगे रहकर प्रभु का नाम गाते हैं। उनके मन में यह भावना है कि माँ विश्राम कर रही हैं, और वे अपनी भक्ति से माँ को शांति प्रदान करते हैं।

5. पंचम चरण
मंचकी निद्रा सिखाती, संतुलन का पाठ।
कर्म और विश्राम का, जीवन का यह घाट।।
जब तक माँ हैं सोईं, करना आत्म-चिंतन।
लोभ-मोह से दूर रहें, शुद्ध करें अपना मन।।

(हिंदी अर्थ): मंचकी निद्रा हमें जीवन में संतुलन का पाठ सिखाती है। जीवन रूपी इस किनारे पर कर्म और विश्राम दोनों आवश्यक हैं। जब तक माँ विश्राम कर रही हैं, हमें आत्म-चिंतन करना चाहिए और अपने मन को लोभ-मोह से दूर रखकर शुद्ध करना चाहिए।

6. षष्ठ चरण
अब होगी फिर सिंहासन, पर माँ की प्रतिष्ठा।
मिट जाएगी जग से, हर पीड़ा की निष्ठा।।
जागकर भवानी देंगी, सबको आशीर्वाद।
सुख-समृद्धि से गूँजेगा, सारा यह प्रसाद।।

(हिंदी अर्थ): अब माँ की सिंहासन पर पुनः स्थापना होगी। इससे जग से हर पीड़ा का भाव मिट जाएगा। जागकर भवानी माता सबको आशीर्वाद देंगी। सुख और समृद्धि से यह सारा प्रसाद गूँज उठेगा।

7. सप्तम चरण
तुळजा माता का प्यार यह, अद्भुत और महान।
निद्राकाल भी है उनका, एक दिव्य वरदान।।
चरणों में हम झुककर, माँ को करें प्रणाम।
सुख-शांति और भक्ति, हो जीवन का नाम।।

(हिंदी अर्थ): तुळजा माता का यह प्रेम अद्भुत और महान है। उनका निद्राकाल भी एक दिव्य वरदान है। हम उनके चरणों में झुककर उन्हें प्रणाम करते हैं। हमारा जीवन सुख, शांति और भक्ति से भरा रहे, यही कामना है।

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(Heart: Vatsalya) (Sleeping: Nidra) (Bed: Palang) (Water: Abhishek/Purity) (Dove: Shanti) (Meditating: Aatm-Chintan) (Crown: Sinhasan) (Sparkle: Ashirwad) (Om: Bhakti/Naam)

--अतुल परब
--दिनांक-03.10.2025-शुक्रवार.
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